स्वतंत्र भारत के महामहिम राष्ट्रपति/ उप राष्ट्रपति परिचय सूची

नाम : प्रतिभा पाटिल
पद : राष्ट्रपति भारत
कार्यकाल : २५ जुलाई २००७ - २५ जुलाई २०१२
समर्थित : स्वतन्त्र
उपलब्धि : NA
परिचय :

ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम


भारत के 11वें राष्ट्रपति
 
कार्य काल
२५ जुलाई २००७ – २५ जुलाई २०१२
पूर्ववर्ती अब्दुल कलाम
उत्तरावर्ती प्रणव मुखर्जी

कार्यकाल
८ नवम्बर २००४ – २३ जुलाई २००७
पूर्वाधिकारी मदन लाल खुराना
उत्तराधिकारी अख्लाक उर रहमान किदवई

जन्म १९ दिसम्बर १९३४
नाडगांवमहाराष्ट्रब्रिटिश भारत
राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवनसंगी देवीसिंह रणसिंह शेखावत
धर्म हिन्दू

 

२००७ चुनाव
प्रतिभा पाटिल भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी। वह राजस्थान की भी प्रथम महिला राज्यपाल थी।

प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (जन्म १९ दिसंबर १९३४) स्वतन्त्र भारत के ६० साल के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति तथा क्रमानुसार १२वीं राष्ट्रपति रही हैं।[1] राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्वंदी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से ज़्यादा मतों से हराया था। प्रतिभा पाटिल को ६,३८,११६ मूल्य के मत मिले, जबकि भैरोंसिंह शेखावत को ३,३१,३०६ मत मिले।[2][3][4][5] उन्होंने २५ जुलाई २०१२ को संसद के सेण्ट्रल हॉल में आयोजित समारोह में नव निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना कार्यभार सौंपते हुए राष्ट्रपति भवन से विदा ली।

प्रारंभिक जीवन

महाराष्ट्र के जलगांव जिले में जन्मी प्रतिभा के पिता का नाम श्री नारायणराव पाटिल था। साड़ी और बड़ी सी बिंदी लगाने वाली यह साधारण पहनावे वाली महिला राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही थी। उन्होंने जलगाँव के मूलजी जेठा कालेज से स्नातकोत्तर (एम ए) और मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कालेज (मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध) से कानून की पढा़ई की। वे टेबल टेनिस की अच्छी खिलाड़ी थीं तथा उन्होंने कई अन्तर्विद्यालयी प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त की।[6] १९६२ में वे एम जे कॉलेज में कॉलेज क्वीन चुनी गयीं।[7] उसी वर्ष उन्होंने एदलाबाद क्षेत्र से विधानसभा (एसेंबली) के चुनाव मेंभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की। उनका विवाह शिक्षाविद देवीसिंह रणसिंह शेखावत के साथ ७ जुलाई१९६५ को हुआ।[8] उनकी एक पुत्री तथा एक पुत्र है। श्री शेखावत के पूर्वज राजस्थान के सीकर जिले के थे और बाद में जलगांव महाराष्ट्र जाकर बस गये थे।

राजनीतिक जीवन

श्रीमती पाटिल ने २७ वर्ष की अवस्था में १९६२ में राजनीतिक जीवन का प्रारंभ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री यशवंत राव चव्हाण की देखरेख में प्रारंभ किया।[9] १९६२ से १९८५ तक वे पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रहीं। इस दौरान वर्ष १९६७ से १९७२ तक वह महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री और वर्ष १९७२ से १९७८ तक कैबिनेट मंत्री रहीं उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। उन्होंने १९६७ से १९७२ तक सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य, निषेध, पर्यटन, आवास और संसदीय कार्य, महाराष्‍ट्र सरकार में उप मंत्री पद पर कार्य किया। वे १९७२ से १९७४ तक महाराष्ट्र सरकार के समाज कल्‍याण विभाग, १९७४ से १९७५ तक सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य और समाज कल्‍याण विभाग, १९७५-१९७६ तक पुनर्वास और सांस्‍कृतिक कार्य विभाग और १९७७ से १९७८ तक शिक्षा विभाग में कैबिनेट मंत्री के पद आसीन रहीं। लेकिन जब १९७९ में कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष में पहुँची तो प्रतिभा पाटिल लगभग एक वर्ष तक विपक्ष की नेता रहीं। १९८२ से १९८५ तक फिर वे महाराष्‍ट्र सरकार में शहरी विकास और आवास तथा १९८३-१९८५ तक नागरिक आपूर्ति और समाज कल्‍याण के विभागों में कैबिनेट मंत्री रहीं। १९८५ में वे राज्यसभा पहुँची और १९८६ मेंराज्यसभा की उप सभापति बनी। १८ नवम्‍बर १९८६ से ५ नवम्‍बर १९८८ तक वे सभापति, राज्‍य सभा भी रहीं। वे १९८६ से ८८ के बीच लाभ समिति की अध्‍यक्षा और सदस्‍य, व्‍यापार सलाहकार समिति, राज्‍य सभा भी रहीं। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल प्रदेश कॉन्‍ग्रेस समिति महाराष्‍ट्र की अध्यक्षा (१९८८-१९९०), राष्‍ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण संस्‍थाओं की निदेशक, भारतीय राष्‍ट्रीय सहकारी संघ की शासी परिषद की सदस्‍य रही हैं।१९८९-१९९० में वे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख बनीं। उन्‍हें वर्ष १९९१ में दसवीं लोक सभा (संसद के निचले सदन) के लिए निर्वाचित किया गया और उन्‍होंने १९९१ में अध्‍यक्षा, सदन समिति, लोक सभा के रूप में भी कार्य किया। श्रीमती पाटिल को ८ नवम्बर २०४ को राजस्‍थान की राज्‍यपाल के रूप में नियुक्‍त किया गया। उन्‍होंने भारत के राष्‍ट्रपति पद पर निर्वाचन के लिए २२ जून २००७ को राज्‍यपाल के पद से इस्‍तीफा दे दिया।[10]

सामाजिक और सांस्‍कृतिक गतिविधियाँ

उन्‍होंने महिलाओं के कल्‍याण के लिए कार्य किया और मुम्‍बई, दिल्‍ली में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, ग्रामीण युवाओं के लाभ हेतु जलगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा श्रम साधना न्यास की स्‍थापना की। श्रीमती पाटिल ने महिला विकास महामण्‍डल, जलगांव में दृष्टिहीन व्‍यक्तियों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय और विमुक्‍त जमातियों तथा बंजारा जनजातियों के निर्धन बच्‍चों के लिए एक स्‍कूल की स्‍थापना की। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अनेक यात्राएं की है और इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ सोशल वेलफेयर कॉन्‍फ्रेंस, नैरोबी और पोर्टे रीको में भाग लिया। उन्‍होंने १९८५ में इस सम्‍मेलन में शिष्‍टमण्‍डल के सदस्‍य के रूप में बुल्‍गारिया में, महिलाओं की स्थिति पर ऑस्ट्रिया के सम्‍मेलन में शिष्‍टमण्‍डल की अध्‍यक्ष के रूप में, लंदन में १९८८ के दौरान आयोजित राष्‍ट्रमण्‍डलीय अधिकारी सम्‍मेलन में, चीन के बीजिंग शहर में विश्‍व महिला सम्‍मेलन में भाग लिया।

श्रीमती पाटिल की विशेष रुचि ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था के विकास और महिलाओं के कल्‍याण में है। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने जलगांव जिले में महिला होम गार्ड का आयोजन किया और १९६२ में उनकी कमांडेंट थीं, वे राष्‍ट्रीय सहकारी शहरी बैंक और ऋण संस्‍थाओं की उपाध्‍यक्ष रहीं तथा बीस सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्‍वयन समिति, महाराष्‍ट्र की अध्‍यक्षा थीं। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अमरावती में दृष्टिहीनों के लिए एक औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय, निर्धन और जरूरतमंद महिलाओं के लिए सिलाई कक्षाओं, पिछड़े वर्गों और अन्‍य पिछड़े वर्गों के बच्‍चों के लिए नर्सरी स्‍कूल खोल कर उल्‍लेखनीय योगदान दिया तथा किसान विज्ञान केन्‍द्र, अमरावती में किसानों को फसल उगाने की नई एवं वैज्ञानिक तकनीकें सिखाने, संगीत और कम्‍प्‍यूटर की कक्षाएं आयोजित की।

प्रमुख विवाद

प्रतिभा पाटिल के साथ सबसे पहला विवाद तब जु़डा जब उन्होंने राजस्थान की एक सभा में कहा कि राजस्थान की महिलाओं को मुगलों से बचाने के लिए परदा प्रथा आरंभ हुई। इतिहासकारों ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए दावेदार प्रतिभा का इतिहास ज्ञान शून्य है। जबकि मुस्लिम लीग जैसे दलों ने भी इस बयान का विरोध किया। समाजवादी पार्टी ने कहा कि प्रतिभा पाटिल मुसलिम विरोधी विचारधारा रखती हैं। प्रतिभा दूसरे विवाद में तब घिरी जब उन्होंने एक धार्मिक संगठन की सभा में अपने गुरू की आत्मा के साथ कथित संवाद की बात कही। प्रतिभा के पति देवी सिंह शेखावत पर स्कूली शिक्षक को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का आरोप है। उन पर हत्यारोपी अपने भाई को बचाने के लिए अपनी राजनीतिक पहुंच का पूरा पूरा इस्तेमाल करने का भी आरोप है। उन पर चीनी मिल कर्ज में घोटाले, इंजीनियरिंग कालेज फंड में घपले और उनके परिवार पर भूखंड हड़पने के संगीन आरोप हैं।[11]