स्वतंत्र भारत के माननीय प्रधानमंत्री परिचय सूची

नाम : श्री इंद्रकुमार गुज़राल
पद : मा. प्रधानमंत्री भारत सरकार
कार्यकाल : 21 अप्रेल, 1997-19 मार्च, 1998
पार्टी : जनता दल
चुनाव : जलंधर, पंजाब
परिचय :
इन्द्र कुमार गुजराल
भारत के १२वें प्रधानमन्त्री
कार्यकाल
२१ अप्रैल १९९७ – १९ मार्च १९९८
पूर्ववर्तीएच० डी० देवगौड़ा
परवर्तीअटल बिहारी वाजपेयी
जन्म४ दिसम्बर १९१९ 
झेलम, ब्रिटिश भारत
मृत्यु30 नवम्बर २०१२ (उम्र 92)
गुड़गाँव, भारत
राजनैतिक दलजनता दल
जीवन संगीशीला गुजराल
इन्द्र कुमार गुजराल (अंग्रेजी: I. K. Gujral जन्म: ४ दिसम्बर १९१९, झेलम - मृत्यु: ३० नवम्बर २०१२, गुड़गाँव) भारतीय गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और १९४२ के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गये।[1] अप्रैल १९९७ में भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में विभिन्न पदों पर काम किया। वे संचार मन्त्री, संसदीय कार्य मन्त्री, सूचना प्रसारण मन्त्री, विदेश मन्त्री और आवास मन्त्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कुछ समय तक बीबीसी की हिन्दी सेवा में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया था।
१९७५ में जिन दिनों वे इन्दिरा गान्धी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री थे उसी समय यह बात सामने आयी थी कि १९७१ के चुनाव में इन्दिरा गान्धी ने चुनाव जीतने के लिये असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया है। इन्दिरा गान्धी के बेटे संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश से ट्रकों में भरकर अपनी माँ के समर्थन में प्रदर्शन करने के लिये दिल्ली में लोग इकट्ठे किये और इन्द्र कुमार गुजराल से दूरदर्शन द्वारा उसका कवरेज करवाने को कहा। गुजराल ने इसे मानने से इन्कार कर दिया[2] क्योंकि संजय गांधी को कोई सरकारी ओहदा प्राप्त नहीं था। बेशक वे प्रधानमन्त्री के पुत्र थे।[3] इस कारण से उन्हें सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय से हटा दिया गया और विद्याचरण शुक्ल को यह पद सौंप दिया गया। लेकिन बाद में उन्हीं इन्दिरा गान्धी की सरकार में मास्को में राजदूत के तौर पर गुजराल ने १९८० में सोवियत संघ के द्वारा अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप का विरोध किया। उस समय भारतीय विदेश नीति में यह एक बहुत बड़ा बदलाव था। उस घटना के बाद ही आगे चलकर भारत ने सोवियत संघ द्वारा हंगरी और चेकोस्लोवाकिया में राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध किया।
व्यक्तिगत जीवन
गुजराल के पिता का नाम अवतार नारायण और माता का पुष्पा गुजराल था। उनकी शिक्षा दीक्षा डी०ए०वी० कालेज, हैली कॉलेज ऑफ कामर्स और फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज लाहौर में हुई।[कृपया उद्धरण जोड़ें] अपनी युवावस्था में वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शरीक हुए और १९४२ के \\\\\\\"अंग्रेजो भारत छोड़ो\\\\\\\" अभियान में जेल भी गये।[1]
हिन्दी, उर्दू और पंजाबी भाषा में निपुण होने के अलावा वे कई अन्य भाषाओं के जानकार भी थे और शेरो-शायरी में काफी दिलचस्पी रखते थे।[2] गुजराल की पत्नी शीला गुजराल का निधन ११ जुलाई २०११ को हुआ। उनके दो बेटों में से एक नरेश गुजराल राज्य सभा सदस्य है और दूसरा बेटा विशाल है। गुजराल के छोटे भाई सतीश गुजराल एक विख्यात चित्रकार तथा वास्तुकार भी है।
३० नवम्बर २०१२ को गुड़गाँव के मेदान्ता अस्पताल में गुजराल का निधन हो गया।[4]
लम्बी बीमारी के बाद निधन
गुजराल लम्बे समय से डायलिसिस पर चल रहे थे। १९ नवम्बर २०१२ को छाती में संक्रमण के बाद उन्हें हरियाणा स्थित गुड़गाँव के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ इलाज के दौरान ही उनकी हालत गिरती चली गयी। २७ नवम्बर २०१२ को वे अचेतावस्था में चले गये। काफी कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। आखिरकार ३० नवम्बर २०१२ को उनकी आत्मा ने उनका शरीर छोड़ दिया। उनके निधन का समाचार मिलते ही लोक सभा व राज्य सभा स्थगित हो गयी और इस अवसर पर राष्ट्रीय शोक की घोषणा के साथ भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री ने शोक व्यक्त किया।
जनता के दर्शनार्थ उनका पार्थिव शरीर उनके सरकारी आवास ५ जनपथ नई दिल्ली में रक्खा गया। १ दिसम्बर २०१२ को दोपहर बाद ३ बजे उनकी अंत्येष्टि शान्ति वन और विजय घाट के मध्यवर्ती क्षेत्र \\\\\\\"स्मृति स्थल\\\\\\\" पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ की गयी।[5]
गुजराल की अन्त्येष्टि में भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी व अरुण जेटली सहित अनेक हस्तियाँ शामिल हुईं।
उपलब्धि : NA