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स्वच्छ भारत अभियान

कोतवाल धन सिंह गुर्जर कर्मठ पुलिस प्रशासन सम्मान पत्र

नाम : श्री मनीष आनद
पद : आरक्षी
नियुक्त : अधौरा
ज़िला : कैमूर
राज्य : बिहार
सम्मान : NA
उपलब्धि/सामाजिक कार्य विवरण :
introduction
Mr. Manish Anand
Reserve/ social worker
Bihar police
Police Station Adhaura
District : Kaimur (bhabua) 
State :  Bihar 
Mobile no 9097725431
 
कार्य क्षेत्र अधौरा के बारे में
अधौरा बिहार राज्य, भारत के कैमुर (झाबुआ) जिले में एक ब्लॉक है। अधौरा ब्लॉक हेड क्वार्टर अधौरा शहर है। यह पटना डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय भाबुआ से दक्षिण की ओर 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राज्य की राजधानी पटना से पूर्व की ओर 214 किमी।
अधौरा ब्लॉक दक्षिण में भवनाथपुर ब्लॉक, पश्चिम की ओर नागवा ब्लॉक, पूर्व की तरफ नवाट्टा ब्लॉक, उत्तर में कैमर (भाबुआ) ब्लॉक से घिरा हुआ है। भाबुआ शहर, हुसैनबाद शहर, सासरम शहर, मोहनिया शहर अधौरा के पास के शहर हैं।
अधौरा में 104 गांव और 11 पंचायत शामिल हैं। अटारा सबसे छोटा गांव है और अधौरा सबसे बड़ा गांव है। यह 92 मीटर ऊंचाई (ऊंचाई) में है।
रोहतसगढ़ किला, सासरम, वाराणसी (बनारेस), सारनाथ (मृगदाव), बेटला राष्ट्रीय उद्यान देखने के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के निकट हैं।
अधौरा ब्लॉक की जनसांख्यिकी
मैथिली यहां स्थानीय भाषा है। लोग भी हिंदी बोलते हैं, उर्दू। एडौरा ब्लॉक की कुल जनसंख्या 7,630 सदनों में 44,664 रहती है, कुल 104 गांवों और 11 पंचायतों में फैली हुई है। पुरुष 23,562 हैं और महिलाएं 21,102 हैं
अधौरा ब्लॉक में राजनीति
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र सासाराम के वर्तमान सांसद 
माननीय छेदी पासवान भारतीय जनता पार्टी संपर्क न. 9934774400
विधान सभा क्षेत्र चैनपुर के वर्तमान विधायक 
माननीय  बृज किशोर बीजेपी संपर्क न. 9431680473
चेनपुर विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
अधौवरा भगवानपुर चैनपुर चंद कैमर (भाबुआ)
चेनपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2015 बृज किशोर बीजेपी 58913 = 671 मोहम्मद ज़मा खान बीएसपी 58242
2010  बृज किशोर विंद बीजेपी 46510 = 13580 डॉ अजय आलोक बीएसपी 32930
2005  महाबली सिंह आरजेडी 34655 = 1916 बृज किशोर बिंद बीजेपी 32739
0  महाबली सिंह आरजेडी 39 9 88 = 2226 बृज किशोर विंद 37762
2009 जेआर बृज किशोर विंद बीजेपी 34077 = 3369 बिरेन्द्र सिंह आरजेडी 30708
2000  महाबली सिंह बीएसपी 27077 = 5102 किशोर प्रसाद 21975
1995  महाबली सिंह बीएसपी 31558 = 11997 लाल मुनी चौबे बीजेपी 1 9 61
1990 जेएन लाल मुनी चौबे बीजेपी 19648 = 3654 महाबली सिंह बीएसपी15994
1985  परवेज अहसान खान कांग्रेस  16870 =2514 लालमुनी चौबे बीजेपी 14356
1980  लाल मुनी चौबे बीजेपी 12111 = 348 राम लाहिन सिंह जेएनपी  11763
1977  लालमुनी चौबे जेएनपी 31831 18162 भोला सिंह कांग्रेस  1366 9
1972  लाल मुनी चौबी बीजेएस 19642 = 9169 दीना नाथ सिंह एनसीओ 10473
1969 बद्री सिंह पीएसपी 20317 = 7114 मंगल चरण सिंह कांग्रेस  13203
1967  एम सी सिंह कांग्रेस 20353 = 8503 बी सिंह पीएसपी पीएसपी पीएसपी 11850
1951  गुप्ता नाथ सिंह कांग्रेस 11607 = 8731 सूर्य नाथ सिंह आरआरपी  2876
अधौरा ब्लॉक का मौसम और जलवायु
गर्मियों में गर्म है। Adhaura गर्मी उच्चतम दिन का तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच है।
जनवरी का औसत तापमान 13 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 18 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 25 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 31 डिग्री सेल्सियस है, मई 34 डिग्री सेल्सियस है।
अधौरा  ब्लॉक कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
10 किमी से भी कम समय में अधौरा ब्लॉक के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। रेलवे स्टेशन कस्बों के नजदीक पहुंचने योग्य हैं। मुगल सराई जेएन रेल वे स्टेशन कभी भी आधुनिक रेलवे स्टेशन 91 किलोमीटर दूर अधौरा के पास है
रास्ते से
भाबुआ अधौरा से सड़क कनेक्टिविटी रखने वाले अधौरा के आस-पास के शहर हैं।
अधौरा ब्लॉक के पिन कोड
821102 (भगवानपुर (कैमर (भाबुआ)), 821113 (ताकीया बाज़ार), 821101 (भाबुआ), 821106 (हट्टा (कैमुर (भाबुआ))), 82110 9 (मोहनिया), 821108 (कुद्रा
आस पास के शहर
भाबुआ 41 किलोमीटर दूर है
हुसैनबाद 55 किमी निकट
सासरम 55 किलोमीटर दूर
मोहनिया 56 किमी
प्रखंड के पास 
अधौरा  0 किमी निकट
भवनाथपुर के पास 28 किलोमीटर दूर
नागवा 28 किमी निकट
नवाट्टा 30 किमी
एयर पोर्ट्स के पास 
वाराणसी हवाई अड्डे के पास 126 किलोमीटर
गया हवाई अड्डे 151 किमी निकट
पटना हवाई अड्डे 200 किलोमीटर दूर है
बामराउली हवाई अड्डे 230 किमी निकटतम
जिलों के पास
कैमर (भाबुआ) 34 किमी निकट
रोहतस 55 किमी निकट
सोनभद्र 61 किलोमीटर दूर
रेलवे स्टेशन के पास गढ़वा 70 किलोमीटर दूर है
मुहम्मदगंज रेल वे स्टेशन 45 किलोमीटर दूर है
हैदरनगर रेल वे स्टेशन 46 किलोमीटर दूर है
कोतवाल धन सिंह गुर्जर जीवनी : कोतवाल धन सिंह गुर्जर भारत के प्रथम स्वतंत्रा संग्राम के प्रथम क्रान्तिकारी थे। जिन्होने 10 मई 1857 को मेरठ से क्रान्ति शूरूआत की।
इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति का प्रारम्भ/आरम्भ ”10 मई 1857“ को ”मेरठ“ में हुआ था और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है उस दिन मेरठ में धनसिंह के नेतृत्व में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। धन सिंह कोतवाल जनता के सम्पर्क में थे, धनसिंह का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में भारतीय क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस चीफ के पद पर थे। 10 मई 1857 को धन सिंह ने की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया। और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात २ बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था सब नष्ट कर चुकी थी। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, और सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गुर्जर है इसलिए उसने गुर्जरो की भीड को नहीं रोका और उन्हे खुला संरक्षण दिया। इसके बाद घनसिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया 1857 की क्रान्ति की शुरूआत धन सिंह कोतवाल ने की अतः इसलिए 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते है। मेरठ की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः 4 बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपों से हमला किया। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनको कैद कर फांसी की सजा दे दी गई। आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक "स्वाधीनता आन्दोलन" और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। कोतवाल का नारा -मारो या मरो
साधू व कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने छावनी में जाकर सैनिको को अंग्रेजो से बगावत करने को लिये प्रेरित किया व साथ ही जेल में बंद कैदियो को कोतवाल जी ने अपने साथ क्रान्ति के लिये तैयार कर लिया। कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने गांव को साथ साथ आसपास के सभी गांवो में गुप्तखाने यह संदेश भिजवा दिया कि अंग्रेजो के खिलाफ दस मई को शाम पांच बजे निर्णायक लडाई लडी जायेगी ,सब को मेरठ की कोतवाली में आना है। और हुआ भी यहीं किसानो की घुटन ने लू में तपिश बढा दी ,सैनिको के क्रोध ने दस मई की उस शाम को रौद्र रूप धारण कर लिया और जैसे ही मेरठ में पांच बजे गिरजाघर व घंटाघर के घंटे बजे और अंग्रेजो ने चर्च में जाकर प्रार्थना की ,ठीक उसी समय मेरठ की कोतवाली में कोतवाल के नारे मारो या मरो के उदघोष के साथ सदियो से गुलाम भारत की आजादी का बिगुल बज उठा।दस मई की वह सांझ कोई साधारण सांझ नहीं थी बल्कि किसानो व सैनिको की साझी सांझ थी जिसमें वे अपने हको के लिये लड रहे थे, पराधीनता की रातो से लडकर आने वाले कल का सवेरा आजाद व खुशहाल देखना चाहते थे।
यह सांझ हिंदू व मुसलमानो की साझी सांझ थी जब दोनो समुदायो ने कंधे से कंधा मिलाकर इस जनक्रान्ति में बढ चढकर हिस्सा लिया व भाइचारे की मिशाल कायम की। कोतवाली में क्रान्ति का पहला कदम उठा , कोतवाल ने पुलिस के सिपाहियो से क्रान्ति के लिये आह्वान किया जो साथ ना आये उन्हें अंदर जाकर चुप बैठने को कहा व बाकि को साथ लेकर मेरठ के कारागारो में बंद कैदियो को क्रान्ति में शामिल होने की शर्त पर ताला तोडकर 850 कैदियों को रिहा कर दिया व कोतवाली के हथियार बांट दिये। इस प्रकार कोतवाली से कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में चली यह टुकडी मुक्तिवाहिनी बन गयी।
मेरठ कैंट में पहुँचकर वहाँ भारतीय सैनिको ने जबरदस्त विद्रोह कर दिया व मारो फिरंगियो को ,मारो गोरो को नारो के साथ अंग्रेज अधिकारियो को मार दिया मगर बच्चो व औरतो को सुरक्षित गिरजाघर में जाने दिया ।वहीं गांवो से किसानो ने कूच करना शुरू किया व ले लो ,ले लो जैसे जोशीले नारे के साथ आसमान गूंज उठा । ले लो ,ले लो यह नारा गांव देहात में अब भी जोश व ललकार को लिये लगाया जाता है । उसी दिन किसान,पुलिस सिपाही ,बागी व सैनिको का समूह जो कि अब मुक्तिवाहिनी का रूप से चुका था कोतवाल धन सिंह गुर्जर को नेतृत्व में दिल्ली की ओर चल निकला।
मेरठ के इस कोतवाल ने जो अब क्रान्तिकारीयो की अगुवाई कर रहा था मारो या मरो के नारे को साथ जोश भरते हुए उसी दिन दस मई को दिल्ली की ओर प्रस्थान किया। अगले दिन क्रान्तिनायक कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में मुक्तिवाहिनी ने मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को हिंदुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया व इस गदर की कमान बहादुरशाह जफर को सौंप दी। पहले तो बादशाह बहादुरशाह जफर ने इंकार किया मगर फिर सभी क्रान्तिकारियो के आग्रह पर अंग्रेजो के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिये । उस दौर में मुगल सल्तनत अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी व मुगल बादशाह नाम के बादशाह थे। लेकिन मुगल बादशाह का प्रभाव पूरे हिंदुस्तान में होने को कारण वीर क्रान्तिकारीयो ने मुगल बादशाह को ही कमान सौंप देना उचित समझा ।
मेरठ की क्रान्ति के जनक कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने असाधारण नेतृत्व कौशल का परिचय दिया व अपने जोशीले भाषण व नारो से मुक्तिवाहिनी में ऐसा जोश भरा कि मेरठ से दिल्ली तक हर रास्ते व बाधा को पार करके अंग्रेजीराज की धज्जियाँ उडाते चले गये व गुलामी की बेडियों को फेंकते चले गये। ब्रितानी भारत में औपनिवेशिक अंधेरे को क्रान्ति की मशाल से जलाकर कोतवाल धन सिहँ गुर्जर ने अनुकरणीय वीरता व नायकत्व का अनुपम उदाहरण पेश किया । धन्य है वो संत जिसने गुलामी में वैराग्य की बजाय देश को आजाद कराने की अलख जगायी।बात में अंग्रेजो ने अपने खिलाफ लोगो के ऊपर बहुत ही बर्बरतापूर्ण व अमानवीय कारवाई की । कोतवाल धन सिंह गुर्जर को मेरठ के किसी चौराहे पर 4 जुलाई 1857 को दिनदहाडे फाँसी पर चढा दिया व लोगो को हराने के लिये शव को वहीं पेड पर लटकने दिया ताकि लोगो में खौफ रहे व अंग्रेजो के खिलाफ कोई चूँ तक ना करें
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी कोतवाल धन सिंह गुर्जर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी