स्वतंत्रता संग्राम सेनानी/महापुरुष/क्रन्तिकारी जन्मदिवस सूची

नाम :
अंगदान दिवस
जन्मदिवस :
10 Novambar 2010
मुत्यु :
lifetime
जन्म स्थान :
दिल्ली
प्रदेश :
नई दिल्ली
विचार :
NA
जीवनी :
अंगदान दिवस 
किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर का ऊतक या कोई अंग दान करना अंगदान (Organ donation) कहलाता है। यह ऊतक या अंग किसी दूसरे जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित (ट्रान्सप्लान्ट) किया जाता है। इस कार्य के लिये दाता के शरीर से दान किये हुए अंग को शल्यक्रिया द्वारा निकाला जाता है।
भारत में अंगदान की स्थिति
भारत में कार्निया दान की स्थिति काफी अच्छी है किन्तु \\\\\\\'मस्तिष्क मृत्यु\\\\\\\' के बाद किये जाने वाले देह दान में बहुत धीमी गति से प्रगति हो रही है।
इस मानचित्र में भारत के उन राज्यों को दिखाया गया है जिनमें मृत प्रत्यारोपण (Deceased Donation Transplantation) किया गया है।
सारणी-१ - भारत में - 2012.
राज्यमृत दाताओं की संख्यानिकाले गये अंगों की संख्याअंगदाताओं की संख्या (प्रति १० लाख की जनसंख्या)
तमिलनाडु832521.15
Maharashtra29680.26
Gujarat18460.30
Karnataka17460.28
Andhra Pradesh13370.15
Kerala12260.36
Delhi-NCR12310.29
Punjab12240.43
Total196530०.१६
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जैविक ऊतकों या अंगों को एक मृत या जीवित व्यक्ति से प्राप्त करके या निकालकर, उन्हें किसी दूसरे प्राप्तकर्ता के शरीर में जिसे इसकी आवश्यकता होती है, उसमें प्रत्यारोपित किया जाता है, तो उस प्रक्रिया को अंगदान कहते हैं। अंग या ऊतक को प्राप्त करने या प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया को हार्वेस्टिंग के रूप में जाना जाता है। अंगदान किसी के भी जीवन को बचा सकता है, लेकिन भारत में लोगों के बीच गलत धारणा और ज्ञान की कमी होने के कारण अंगदान का प्रतिशत उतना अधिक नहीं है, जितना कि इसे होना चाहिए। अंगदान करने वालो की कमी होने के कारण अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करने वाले सैकड़ों लोग मर रहे हैं। निम्नलिखित कारणों से अंगों और दाताओं की प्रतीक्षा करने वाले लोगों के बीच इतना अंतर हैः
सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में नियम के अनुसार, केवल उन्हीं के अंग निकाले जा सकते हैं, जिनकी मृत्यु अस्पताल में होती है। जिसके परिणामस्वरूप मौके पर मरने वाले व्यक्ति के परिजन अंगों को दान करने में असमर्थ हैं।
एक अन्य प्रमुख कारण यह है कि बहुत से लोग अपने जीवनकाल में अपने अंगों को दान करने की इच्छा (निधन होने पर अंगों को दान करने की एक पंजीकृत इच्छा) ही नहीं करते हैं।
जागरुकता की कमी।
धार्मिक मान्यताओं के प्रति विश्वास और गलत धारणाएं भी व्यक्तियों को अंगदान करने से बाधित करती हैं।
अंगदान क्या है?
लोगों के लिए यह समय अंगदान करने की बारीकियों से अवगत होने का है, ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद आठ अन्य लोगों को नया जीवन प्रदान कर सके। पहले हमें यह समझने की आवश्यकता है कि अंगदान दो प्रकार से होते हैः
जीवित दाता
इसमें जीवित व्यक्ति अपने अंगो को दान करता है।
जीवित रहते हुए यकृत और गुर्दा तथा दुर्लभ मामलों में अग्न्याशय, आँत और फेफड़े के एक भाग को भी दान किया जा सकता है।
आमतौर पर यह दान दाता और प्राप्तकर्ता के मापदंडों के मिलान के आधार पर परिवार के अंतर्गत होना चाहिए।
मृतक दाता
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यहाँ मृतक या मृत मस्तिष्क वाले व्यक्ति के अंग उपकार के रूप में प्राप्त किए जाते हैं।
मृत मस्तिष्क की मस्तिष्क नली निष्क्रिय होती है जिसमें स्वैच्छिक श्वसन क्रिया नहीं होती है।
एक पंजीकृत प्रतिज्ञा के रूप में दाता की पूर्व सहमति या अंगो को निकालने के लिए उसके परिजनों की सहमति आवश्यक होती है।
भले ही मृतक ने अंगों को दान करने का वचन दिया हो, तब भी इस मामले में परिजनों के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।
जीवित रहते हुए दान किए जाने वाले अंग
यकृत: यकृत में पुनरुद्भवन (पुनः निर्माण) की क्षमता होती है, इस प्रकार यदि यकृत का एक हिस्सा दान कर दिया जाए, तो वह फिर से वृद्धि या उसी स्थित को प्राप्त कर लेता है।
गुर्दा: मनुष्य एक गुर्दे से भी जीवित रह सकता है, इसलिए दूसरे गुर्दे को दान किया जा सकता है।
फेफड़े: फेफड़े के एक भाग को दान किया जा सकता है। यद्यपि यह यकृत के विपरीत हैं, क्योंकि फेफड़ों में पुनरुद्भवन की क्षमता नहीं होती है।
अग्न्याशय: इसकी क्रियाशीलता को ध्यान में रखते हुए, अग्न्याशय का एक भाग दान किया जा सकता है
आँत: दुर्लभ मामलों में दाताओं के द्वारा आँत का एक हिस्सा दान किया जा सकता है।
कैंसर और एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति तथा सेप्सिस (सड़ने वाले घाव) या इंट्रावेनस (IV) दवाओं का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति सक्रिय संक्रमण के कारण, अंगों को दान नहीं कर सकते हैं। जबकि मृत शरीर से निम्न अंगों और ऊतकों को निकाला जा सकता है:
गुर्दा- एक प्रत्यारोपित गुर्दे के काम करने का समय लगभल नौ साल होता है।
यकृत- एक यकृत में पुनरुद्भवन की क्षमता होती है। इसे व्यक्ति से निकालने पर दो व्यक्तियों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। अतः एक यकृत का 2 व्यक्ति लाभ उठा सकते हैं।
हृदय
फेफड़े– एक या दोनों फेफड़ों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
अग्न्याशय
आँत
रक्त वाहिनी
रक्त और प्लेटलेट्स
ऊतक- मौत के 24 घंटों के अन्दर इन्हें दान किया जा सकता है।
कॉर्निया (नेत्रपटल)– कॉर्निया को मृत्यु के 24 घंटों के अन्दर दान किया जा सकता है। यह माना जाता है कि एक मृत व्यक्ति की कॉर्निया दो अंधे लोगों के जीवन में उजाला कर सकती है।
हड्डियाँ
त्वचा
नसें
टेंडन
स्नायुबंधन (अस्थि-बंधन)
हृदय के वाल्व
कार्टिलेज (नरम हड्डी)
यद्यपि दाताओं के शरीर से निकाले गए अधिकांश अंगो को 6 से 72 घंटों के अन्दर ही प्रतिस्थापित कर देना चाहिए। जबकि कॉर्निया, त्वचा, हृदय के वाल्व, हड्डी, टेडन, अस्थि-बंधन और कार्टिलेज जैसे ऊतकों को बाद में उपयोग के लिए संरक्षित और संग्रहित किया जा सकता है।
आयु प्रतिबंधः सामान्य स्वास्थ्य वाला कोई भी व्यक्ति अपने अंगों को दान कर सकता है।
अंगदान की प्रक्रिया
अपने जीवनकाल में कोई भी व्यक्ति अपने अंगों को दान करने की प्रतिज्ञा कर सकता है। इसके लिए उनको दाता कार्ड प्रदान किया जाता है। अंग को दान करते समय व्यक्ति के पास दाता कार्ड होना और अपने नजदीकी परिजनों को सूचित करना अनिवार्य है।
मृत मस्तिष्क वाले मरीजों के मामले में, अंगों के दान करने के लिए अनुसरण किए जाने वाले नियमों के साथ-साथ मानव अंगों के प्रत्यारोपण अधिनियम की स्थापना की गई है। इस अधिनियम में निर्धारित प्रक्रियाओं के अतिरिक्त, कानूनी अधिकारी को अंगों को निकालने से पूर्व परिवार से सहमति तथा कोरोनर की आवश्यकता होती है। हालांकि कानूनी औपचारिकताओं वाली प्रक्रिया में मरीज को वेंटिलेटर पर जीवित रखा जाता है।
मृतक के सबसे खास परिजन उसके अंगों को दान कर सकते हैं।
भारत में अंगदान दिवस
एक हाल ही में हुए अध्ययन से पता चलता है कि भारत में हर साल अंग विफलता (अंगों का कार्य न करना) और अंगों की उपलब्धता की कमी के कारण 5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। अंगदान दिवस विभिन्न लोगों, सरकारी संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों और कई अन्य संगठनों द्वारा मनाया जाता है, जो अंगदान और इसके मूल्य के बारे में लोगों को जागरूक करने तथा लोगों को अपने अंगों को दान करने के प्रेरित करते हैं। एक दाता आठ लोगों की जिंदगिया बचा सकता है। ऑनलाइन रजिस्ट्री के अलावा भी अंगों को दान करने का वचन दिया जा सकता है और निम्नलिखित संगठनों में अंगदान किया जा सकता है:
मोहन फाउंडेशन
गिफ्ट योर ऑर्गन फाउंडेशन
शतायु
उपहार एक जीवन
यह समय मिथ्यक और कहानियों को भूलकर, विज्ञान पर विश्वास करने और संकट-ग्रस्त लोगों की मदद करने का है। यह महसूस करने का समय है कि हम अपनी मौत के बाद भी किसी की मदद कर सकते हैं। यह हमारे अंगों को दान करने की प्रतिज्ञा करने का समय है।
अंगदान के संबंध में किसी भी प्रकार की पूछताछ के लिए, कृपया 18004193737 (मोहन फाउंडेशन) पर टोल फ्री कॉल करें।
 
भारत में मृतक की ओर से अंग दान की भारी संभावना है क्योंकि यहां भारी संख्या में जानलेवा सड़क दुर्घटना