माता पिता का साया जन्मदिन मनाया बधाई संदेश सूची

नाम :
आलिया अंसारी
जन्मतिथि :
21जुलाई 2013
वर्तमान वर्ष :
5 वा जन्मदिन 2018
पर्यावरण उपहार :
5 पेड़ लगाए गए
उपहार भेंटकर्ता :
शाकिर हुसैन (अब्बु)
जन्म स्थल :
शहवाजपुर
नगर/ब्लॉक :
नगर पालिका परिषद बदायूँ
जिला :
बदायूँ
राज्य :
उत्तर प्रदेश
संदेश :
NA
विवरण : introduction
Birthday Girl : Alia Ansari
Father : Mr. Bilal Ansari
class : 1th
School Name : Budaun Public School
Date of birth : 21 July 2013 Sunday
This Year : 21 july 2018 5th Birthday
Gift By : Baby Car
Environmental gifts : 5 trees planted by Shakir Hussain
class : 1th
School Name : Budaun Public School
 (journalist Sansani 24 Ghante)
Mohallah Name: Sehwajpur
Municipality Name: Budaun
District : Budaun
State : Uttar Pradesh
Division : Bareilly
Language : Hindi and Urdu
Current Time 10:20 PM
Date: Wednesday , July21,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 05832
Ward : 5
Assembly constituency : Badaun assembly constituency
Assembly MLA : abid raza khan
Lok Sabha constituency : Badaun parliamentary constituency
Parliament MP : Dr. Sanghmitra Maurya

जन्म स्थान  बदायूं जिला के बारे में
जन्मस्थल सहवाजपुर बदायूं नगर पालिका परिषद् में एक क्षेत्र का नाम है जो बदायूं बरेली रोड से जुड़ा है वर्तमान में वार्ड संख्या २,५ में आता है टिकट गंज, इमली वाली मस्जिद, तकिया मोहल्ला, आर्य समाज क्षेत्र से घिरा है

बदायूं जिले उत्तर प्रदेश राज्य के 71 जिलों में से एक है, बदायूं जिला प्रशासनिक मुख्यालय बदायूं है
यह राज्य की राजधानी लखनऊ की तरफ 261 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बदायूं जनसंख्या जनसंख्या 3712738 है।
यह जनसंख्या के अनुसार राज्य में 16 वें सबसे बड़ा जिला है।
भूगोल और जलवायु बदायूं जिला

यह अक्षांश -28.0, रेखांश -79.1 पर स्थित है। बदायूं जिला उत्तर में बरेली जिले के साथ सीमा पर, पश्चिम में बुलंदशहर जिला, पश्चिम में काशीराम नगर जिला, उत्तर में मोरादाबाद जिला, उत्तर में रामपुर जिला, पूर्व में शाहजहांपुर जिला, के साथ सीमा साझा कर रहा है। बदायूं जिला लगभग 5168 वर्ग किलोमीटर के एक क्षेत्र में रह रहे हैं। । इसकी 193 मीटर से 161 मीटर ऊँचाई सीमा होती है। यह जिला हिंदी बेल्ट का है।

बदायूं जिला का मौसम
गर्मियों में गर्म है बदायूं जिला गर्मी में उच्चतम दिन का तापमान 26 डिग्री से 47 डिग्री सेल्सियस के बीच है

जनवरी के औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, फरवरी 17 डिग्री सेल्सियस, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस, अप्रैल 31 डिग्री सेल्सियस, मई 36 डिग्री सेल्सियस रहा है
बदायूं जिले के डेमो ग्राफिक्स
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है इसके अलावा लोग उर्दू बोलते हैं बदायूं जिला को १६ ब्लॉक , पंचायत, 2461 गांवों में विभाजित किया गया है।

जनवरी के औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, फरवरी 17 डिग्री सेल्सियस, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस, अप्रैल 31 डिग्री सेल्सियस, मई 36 डिग्री सेल्सियस रहा है
बदायूं जिले के डेमो ग्राफिक्स
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है इसके अलावा लोग उर्दू बोलते हैं बदायूं जिला को १६ ब्लॉक , पंचायत, 2461 गांवों में विभाजित किया गया है।

बदायूं जिले के 2011 की जनगणना
बदायूं जिला कुल जनसंख्या 3712738 जनगणना 2011 के अनुसार है। महिलाएं हैं 1997169 और महिलाएं 1715569 हैं। कुल मिलाकर लोगों के बीच 2456347 हैं। इसके कुल क्षेत्रफल 5168 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या के अनुसार राज्य का 16 वां सबसे बड़ा जिला है। लेकिन क्षेत्र में राज्य के 7 वें सबसे बड़ा जिला देश की 71 वीं सबसे बड़ी जनसंख्या जनसंख्या से। साक्षरता दर से राज्य में 66 वें सबसे ज्यादा जिला। साक्षरता दर से देश में 601 सबसे ज्यादा जिला। साक्षरता दर 52.91 है
सड़क परिवहन
जिला मुख्यालय बदायूं सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नरौरा, बदायूं, चंदौसी, सहसवान इस शहर के प्रमुख शहरों और दूरदराज के गांवों तक सड़क संपर्क के मुताबिक हैं। बदायूं लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क पर 261 किलोमीटर है
रेल वाहक
जिले में रेलवे स्टेशनों में से कुछ, चांदौसी जीएन, बाबरा, बदायूं, उझानी  , असफपुर, करंगी, दबतोरी , संभाल ए. जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है।
बस परिवहन
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (यूपीएसआरटीसी) इस जिले के बड़े शहरों से शहर और गांवों तक बसें  चलाता है।

बदायूं 1 के.एम
उज़नी 41 के.एम.
सहवार 41 के.एम.
सहसवान 41 के.एम.

हवाई बंदरगाहों के पास
पंतनगर हवाई अड्डा 130 किमी
खेरिया हवाई अड्डा 167 के.एम
गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 230 कि.मी.
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 236 के.एम.  

जिले से पास
बदायूं 0 के.एम.
बरेली 53 किलोमीटर
काशीराम नगर 59 किलोमीटर
एटा 77 किमी

रेलवे स्टेशन से करीब
बदायूं रेलवे स्टेशन 1.9 किलोमीटर
शेखूपुर रेल वे स्टेशन 3.6 किलोमीटर 
 
आदर्श :
शहवाजपुर
माँ की ममता, पिता की क्षमता का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता”
आपके जन्मदिन पर आज की कहानी माता पिता के प्यार की है | जीवन में आप कितने ही रिश्ते निभा लो मगर जो सच्चाई माँ बाप के प्यार में मिलेगी वो दुनिया में आप को कही नहीं मिले गी | अपना सब कुछ खो कर माँ बाप हमको बनाते है पर पता नहीं क्यू कुछ बनने के बाद बच्चे अपने माँ बाप को क्यू भूल जाते है | यह कहानी है संदीप मिश्रा की | संदीप अपनी पत्नी गीता के साथ दिल्ली में लक्ष्मी नगर में एक छोटे से घर में रहता था | उसने ये घर किराए पे लिया था जिसका वो हर महीने 8000 रुपए देता था | संदीप के माता पिता कुशी नगर गाव में रहते थे जो की उत्तर प्रदेश में है | संदीप के पिता किसान थे | संदीप पढ़ लिख कर दिल्ली चला गया और वहा उसे अच्छी नौकरी भी मिल गई | लेकिन दिल्ली जैसे बड़े शहर में खरचे भी बहुत होते है | संदीप कमाता तो अच्चा था पर बहुत कम ही saving कर पाता था | कई महीने से संदीप अपने काम में बहुत ज्यादा व्यस्त हो गया था | उसको कुछ पैसो की परेशानी भी हो गई थी | वो आज कल काफी चिंता में रहता था | एक दिन सुबह सुबह जब संदीप पूजा कर रहा था तब अचानक से घर की घंटी बजती है | संदीप की पत्नी गीता दरवाजा खोलती है और देखती है सामने तो उसके ससुर जी खड़े है | गीता उनके पैर छू कर उन्हें प्रणाम करती है और वही संदीप अपने पापा को देख कर चिंता में आ जाता है | संदीप को उसके पापा आवाज़ लागते है “क्या हुआ खुश नहीं हो हमें देख कर” | संदीप नहीं नहीं पापा आप को अचानक देखा तो bas यू ही | संदीप उनके पैर छू कर उन्हें कमरे में ले आता है | संदीप और गीता एक दुसरे से आँखों ही आँखों में बाते कर रहे होते है | संदीप का हाथ वैसे ही टाइट था और उसे डर था की कही पापा उस से कोई पैसो की मदद तो नहीं लेने आए | संदीप ने कई महीनो से अपने घर में कोई पैसा नहीं भेजा वही गीता पापा को चाय पिला कर, उनके नहाने के लिए पानी गरम कर रही होती है | संदीप के पापा उनसे पूछते है “बेटा सब ठीक तो है न” तू उदास क्यू दिख रहा है | संदीप कहता है ऐसा कुछ नहीं है पापा, सब ठीक है | संदीप अपने दिमाग में सोचता है की कही पापा ने पैसे मांगे तो मै क्या बोलूँगा, पैसो का इंतजाम कैसे करूँगा तभी उसके पापा बोलते है फिर कहा खो गए बेटा, संदीप नहीं पापा कही नहीं | तभी गीता आवाज़ लगा के कहती है “आई पापा पानी गरम हो गया है नहा लीजिये” | जैसे ही वो नहाने जाते है तब गीता संदीप से पूछती है “पापा क्यू आए है, कही उनको पैसो की तो जरुरत नहीं” | संदीप कहता है पता नहीं उसी बात की तो मुझे चिंता है | गीता बोली अब क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा | इतने में संदीप के पापा बहार आ जाते है | गीता उनसे खाने के लिए पूछती है तो वे कहते है “आज तो मै अपने बेटे बहु के साथ खाऊंगा” | गीता जल्दी से खाना लगा देती है और सब मिल के खाना खाने के लिए बैठ जाते है | एक अजीब सी खामोशी भी उनके आस पास होती है | संदीप के पापा गाव की बाते करने लगते है और संदीप सिर्फ हमम हमम कर रहा होता है और वही गीता भी सर निचे कर के सिर्फ खाने में देख रही होती है | उन दोनों को डर था कही ज्यादा बात करने से पापा उनसे पैसे ना मांग ले | दोनों ही पापा को एक तरह से ignor कर रहे थे | लेकिन संदीप के पापा का ध्यान बातो और खाने में था | वे अपने बेटे से इतने दिनों बाद मिले थे तो वे बहुत खुश थे | संदीप के पापा संदीप से पूछते है अच्छा तम्हारा काम कैसे चल रहा है, अब संदीप को और डर लगता है की अब तो पक्का थोड़ी देर बाद पापा पैसे मांगे गे | संदीप सब ठीक है पापा | संदीप के पापा बेटा तम्हारे चहेरे से तो नहीं लगता | कोई परेशानी है तो हम को बताओ हम ठीक कर देंगे | तभी संदीप सोचता है अभी मै इनको अपनी परेशानी बताऊंगा तो फिर ये भी मुझे अपनी परेशानी बताएँगे | वही गीता भी डरी बैठी थी की कही पापा कुछ मांग ना ले | खाना खाने के बाद जब सब कमरे में बैठे तो संदीप के पापा ने उसके हाथ में 30000 रुपये दिए | संदीप और गीता जैसे हैरान ही हो गए | संदीप पापा ये क्या | संदीप के पापा बोले रख लो बेटा तुम्हे जरुरत में काम आएगा | इस बार गाव में फसल अच्छी हुई है और फसलो के दाम भी अच्छे मिले है | तेरी माँ और मुझे तो कुछ ख़ास जरुरत नहीं पर तू तो बड़े शहर में रहता है, तुझे जरुरत पड़ती रहती होगी | बड़े शहर के खर्चे भी बड़े होते है बच्चे | ये सब देख कर जैसे संदीप और गीता अपने ही आँखों में गिर गए थे | दोनों ये सोच रहे थे कि हम कितने स्वार्थी है, एक बार भी पापा से उनका हाल नहीं पूछा | और पापा है कि बिन कहे ही हमारी परेशानी समझ गए | दोनों के आँखों में जैसे पानी ही आ गया | तभी संदीप के पापा संदीप से कहते है, बेटा कभी कभी हम से मिलने आ जाया करो | तम्हारी माँ दरवाज़े में खड़ी तुम्हारी रहा देखती है | हम दोनों के लिए तो सब कुछ तुम ही हो | मानते है तुम शहर में काफी व्यस्त रहते होंगे पर कभी कभी हमें याद किया करो | बस अपना हाल सुना दिया करो कि तुम दोनों ठीक हो | बस इतना सुनने के लिए ही हम जीते है | ये सुन कर संदीप पापा के गले लग कर रोने लगा | अरे बेटा, क्या हुआ | संदीप कुछ नहीं पापा, आज फिर से आपने मुझे याद दिला दिया की मै आज भी आप का बेटा हु और आप मेरे पापा | आगे से आप को शिकायत का मौका नहीं दूंगा | संदीप के पापा, चल ab रोना बंद कर, मै हस कर जाना चाहता हु | संदीप, आप अभी चले जाएंगे, नहीं पापा कुछ दिन तो रुको | नहीं बेटा तेरी माँ घर में अकेली है और मुझे भी जरुरी काम है | किसी और दिन जरुर रुकुंगा | इस के बाद संदीप हर महीने अपने माता पिता को मिलने जाने लगा और अब तो गीता भी संदीप को हर महीने माँ पापा से मिलने को कहती | हम कितने ही बड़े क्यू न हो जाए मगर हम अपने माँ बाप के लिए हमेशा बच्चे ही रहते है | हम अपना समय हर किसी को देते है पर कही ना कही हम उनको भूल जाते है जिन्होंने हमारे लिए अपना सब कुछ त्यागा है | माँ बाप अपने बच्चो का चेहरा देख के सब पता लगा लेते है कि उन्हें क्या चाहिए | उसी तरह से हमारा भी येही फ़र्ज़ बनता है कि हम इस बात का ध्यान रखे कि उनको क्या चाहिए | इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य बच्चों के मन मे माता पिता द्वारा दिये गए कुर्बानी को समझना और बचपन की यादों में वर्षों बाद भी बचपन की तस्वीर दिखाकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाना ये प्रोजेक्ट श्रीमती शाहजहां फ़क़ीर मोहम्मद (मासूमपुरिया) को समर्पित है जिन्होंने अपने बच्चों को देशप्रेम, समाज प्रेम, पर्यावरण प्रेम, के लिये बचपन से ही प्रेरित किया , शाकिर हुसैन सलाहकार बोर्ड अध्यक्ष नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति नई दिल्ली