सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
मा. रविन्द्र मोहन सक्सेना
पद :
क्षेत्रीय संगठन मंत्री
संगठन :
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग मिनिस्ट्रीयल एसोसिएशन
मनोनीत :
बरेली मंडल क्षेत्र
निवास :
सिविल लाइन
नगर/ब्लॉक :
नगर पालिका परिषद् बदायूं
जनपद :
बदायूं
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :

माननीय रविंद्र मोहन सक्सेना जी को सामाजिक कार्यों, संस्था को सहयोग करने के उपरान्त देश के कर्न्तिकारिओं महापुरुषों की जीवनी जन जन तक पहुंचाने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने तथा राज्य / राष्ट्रिय स्तरीय कार्यक्रमों में मंच संचालन की कुशलता  सफलता पूर्वक देश निर्माण में किये गए कार्यों हेतु नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति सामाजिक संस्था नई दिल्ली द्वारा संस्था वेबसाइट www.njssamiti.com में पूर्ण विवरण दर्ज कर श्रीमान जी को   सुखदेव थापर संघठन/एसोसिएशन/यूनियन पदाधिकारी सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया , मैहनाज अंसारी 

विवरण :
Name : Honorable Ravindra Mohan Saxena 
Designation  : Regional organization minister
Organization : State employee union
Nominated : Bareilly 
residence Name : Patel Nagar Behind Cane office , Near Railway station Civil Line
Nagar Name : Nagar palika parishad Budaun
District : Budaun 
State : Uttar Pradesh 
Division : Bareilly 
Language : Hindi and Urdu 
Current Time 06:09 PM
Date: Thursday , Oct 04,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 05832 
Mob : 9412564455
Assembly constituency : Badaun assembly constituency 
Assembly MLA : Mahesh Chandra Gupta (BJP) 9415607320
Lok Sabha constituency : Badaun parliamentary constituency 
Parliament MP : Dharmendra Yadav (SP)
ward Member : Honorable Meena Sharma 
ward - 4 - Civil Lines III
Mob - 9412048151 
 
निवास स्थान के बारे में 
नगर पालिका बदायूं के वार्ड न. 4 में कुल 5496 मतदाता हैं ,निकाय चुनाव 2017 में वार्ड न. 4 - सिविल लाइन तृतीय से बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी माननीय मीना शर्मा जी को कुल पड़े मत संख्या (2445) में से (463) मत पाकर निकटतम निर्दलीय प्रत्याशी 
2 - चितान सिंह, निर्दलीय (390) मत प्राप्त 
3 - ,मनोज कुमार निर्दलीय (294) मत पाकर तीसरे न. पर रहे 
कुसुम लता जी 50 से अधिक मतों से विजय प्राप्त की 
 पालिका परिषद बदायूं के बारे में 
नगर पालिका परिषद में कुल 130118 मतदाता हैं, बदायूं; शहर में कुल 25 वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी द्वारा समर्थित नगर पालिका परिषद की अध्यक्षता में, श्रीमती दीपामाला गोयल जी ने(32316) 49.89 मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार 
श्रीमती फातिमा रजा (2 9,140) को वोटों के 3 हजार अधिक मतों से को हराकर चुनाव जीता 
3- प्रीति साहू (बहुजन समाज पार्टी) 1377 मत प्राप्त किये 
५- राजा रानी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) ५९० मत प्राप्त किये 
श्रीमती दीपामाला गोयल जी बीजेपी पार्टी क्षेत्र की कद्दावर नेता हैं जो पहले भी चुनाव लड़ चुकी हैं अपनी जुझरु मिलनसार होने के कारण क्षेत्र के नागरिक बहुत सम्मान देते हैं, 
बदायूं जिले के बारे में 
बदायूं जिले उत्तर प्रदेश राज्य के 71 जिलों में से एक है, बदायूं जिला प्रशासनिक मुख्यालय बदयुण है, यह 261 किलोमीटर की दूरी पर लखनऊ की राज्य की राजधानी में स्थित है। बदायुन जनसंख्या की आबादी 3712738 है। यह आबादी के अनुसार राज्य का 16 वां सबसे बड़ा जिला है। भूगोल और जलवायु बदायन जिला अक्षांश -28.0, रेखांश -79.1 पर स्थित है। बदायूं जिले उत्तर में बरेली जिले के साथ सीमा के साथ सीमा पर, पश्चिम में बुलंदशहर जिले, पश्चिम में काशीराम जिले, उत्तर में मोरादाबाद जिले, उत्तर में रामपुर जिले, और पूर्व में शाहजहांपुर जिला हैं। बदायन जिला लगभग 5168 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रह रहा है। । इसकी सीमा 1 9 1 मीटर से 161 मीटर है। यह जिला हिंदी बेल्ट है 
 बदायूं जिले का मौसम 
बदायूं जिले में गर्मी गर्म है, उच्चतम तापमान 26 डिग्री और 47 डिग्री सेल्सियस के बीच है। 
जनवरी का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, 17 डिग्री सेल्सियस, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस, 31 अप्रैल, सेल्सियस, 36 डिग्री सेल्सियस है। 
 बदायूं जिले के डेमो ग्राफ़िक्स हिंदी एक स्थानीय भाषा है, उर्दू बोलने वाले लोगों के अलावा, बदायूं जिले को 16 ब्लॉक, पंचायत, 2461 गांवों में विभाजित किया गया है। 
बदायूं जिले की 2011 की जनगणना 
बदायूं जिले की कुल आबादी 3712738 जनगणना 2011 के मुताबिक है। महिलाएं हैं 1 99 6 9 6 9 और महिलाएं 17155 9 हैं। कुल में 2456347 लोग हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 5168 वर्ग किमी है। यह आबादी के अनुसार राज्य में 16 वें सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन इस क्षेत्र में, देश की 71 वीं सबसे बड़ी जनसंख्या जनसंख्या से, राज्य का 7 वां सबसे बड़ा जिला। साक्षरता दर के साथ राज्य में 66 वें सबसे ज्यादा जिला साक्षरता दर देश में 601 सबसे अधिक जिला है साक्षरता दर 52.91 है। 
 सड़क परिवहन 
जिला मुख्यालय अच्छी तरह से बदायण रोड से जुड़ा हुआ है। नरौरा, बदायूं, चंदौसी, सहसवान इस शहर के बड़े शहरों और दूरदराज के गांवों तक सड़क संपर्क के अनुरूप हैं। बदायूं लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी) के लिए सड़क पर 261 किलोमीटर की दूरी पर है 
 रेलवे वाहक 
जिले में कुछ रेलवे स्टेशन, चंदौसी , बाबारा, बदायूं, उजनी, असफपुर, करांगी, डबतोरी, । जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ता है। 
 बस परिवहन 
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (यूपीएसआरटीसी) इस जिले के प्रमुख शहरों से शहरों और गांवों तक बसें चलाती है। 
बदायूं 1 के.एम. 
उज़नी 41 के.एम. 
41 किमी सह-ऑप 
सहसवान 41 किमी 
हवाई बंदरगाहों के पास 
पंतनगर हवाई अड्डा 130 किमी 
खेरिया हवाई अड्डा 167 किमी 
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 230 किमी
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डा 236 किमी 
जिला से 
 बदायूं 0 के.एम. 
बरेली 53 किमी 
काशीराम नगर 59 कि.मी. 
एटा 77 किमी 
  रेलवे स्टेशन के करीब 
 बदायूं रेलवे स्टेशन 1.9 किमी 
शेखपुर रेलवे स्टेशन 3.6 किमी 
जिले में राजनीति 
बदायूं जिले में प्रमुख राजनीतिक दल 
कांग्रेस, बसपा, भाजपा, सपा, बदायूं जिले में प्रमुख राजनीतिक दल हैं। 
बदायूं जिले में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 
बदायूं जिले में 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों 
वर्तमान विधायक बदायूं  जिले 
 निर्वाचन क्षेत्र का नाम - पार्टी - मोबाइल नंबर 
1-बिसौली कुशाग सागर भाजपा 7060104567 
2-सहवासन ओमकार सिंह एसपी 9458500750 
3-बिल्सी पंडित आर.के. शर्मा भाजपा 8006160000 
4-बदायूँ महेश चंद्र गुप्त भाजपा 9415607320
बदायूँ विधानसभा क्षेत्र में मंडल
जगत, सालारपुर, वजीरगंज, बदायूँ 
बदायूँ विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012 अबीद रजा खान सपा ६२७८६ = 15413 महेश चंद्र गुप्त भाजपा = 47373
2007 =महेश चन्द्र भाजपा 36403 =7198 विमल कृष्ण अग्रवाल उरफ पप्पी = सपा एसपी 29205
2002 विमल कृष्ण अग्रवाल उरफ पप्पी बसपा 36148 = 3314 जुगेंद्र सिंह अनज सपा 32834
1996 प्रेम स्वरूप पाठक बीजेपी 61726 =15471 जोेन्द्र सिंह एसपी सपा 46255
1993 जुगेंदर सिंह एसपी 40825 =728 कृष्ण स्वरूप भाजपा 40097
1991  कृष्ण स्वरूप , भाजपा, 41123, =8850, खालिद पारवेज, जेडी 32273
1989 कृष्णा स्वरुप भाजपा 31950 =7200 खलिद परवेज निर्दलीय 24750
1985 प्रेमिला भादर मेहरा कांग्रेस 31133 =9645 कृष्ण स्वरूप भाजपा 21488
1980 =श्रीकृष्ण गोयल कांग्रेस (आई) 30289 =16244 कृष्ण स्वरूप भाजपा 14045
1977 कृष्ण स्वरूप जेएनपी 30338 = 3108 पुरुषोत्तम लाल बधवार (राजाजी) कांग्रेस 27230
1974 पुरुषोत्तम लाल उरफ राजा जी कांग्रेस 35017 =14407 कृष्ण स्वरुप बीजेएस 20610
1969 कृष्ण स्वरुप बीजेएस 34730 =1036 9 फखरे आलम कांग्रेस 24361
1967 एम। ए अहमद आरपीआई 15879 =2708 एच। बी गोयल निर्दलीय 13171
1962 रुखम सिंह कांग्रेस १६०९१= 608 अस्रार अहमद निर्दलीय 14490
1957 टिका राम निर्दलीय 22286 = 1453 असर अहमद कांग्रेस 20833
सामाजिक कार्य :

श्री रविंदर मोहन सक्सेना लोक निर्माण विभाग बदायूं में प्रशासनिक पद पर कार्यरत हैं सक्सेना जी ने हमेशा सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है , जिले प्रदेश में मंच संचालन करने के लिए प्रसद्धि हैं लोक निर्माण विभाग में प्रति वर्ष राष्ट्र पर्व पर खेलकूद प्रतियोगिता के माध्यम से देश के युवा वर्ग में देश भावना जागृत करते हैं , गरीब बेटी के विवाह दान दहेज़ देकर सहायता करते हैं गर्मी के दिनों में ठंडी प्याऊ लगवाकर रस्ते चलने वाले मुसाफिरों को पानी की वयवस्था करते हैं , उर्स , गंगा नहान पर केम्प लगाकर आने वाले जायरीनों, दर्शनर्थिओं का अभिवादन कर सहयोग करते हैं, मिलनसार स्वभाव के कारण साथी कर्मचारी और क्षेत्रीय नागरिक सम्मान करते हैं 

क्षेत्रीय नागरिकों के आधार पर प्रस्तुत 

सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी