सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
माननीय सुनील लाठर
पद :
प्रदेश प्रवक्ता
संगठन :
अखिल भारतीय प्रधान संगठन
मनोनीत :
उत्तर प्रदेश
निवास :
हरोरा
नगर/ब्लॉक :
बिलारी
जनपद :
मुरादाबाद
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :

माननीय जी ने ग्र्राम पंचायत के विकास में प्रधानों सदस्यों के हक़ के लिए किये गए संघर्ष के उपरान्त देश और समाज तक महापुरुषों की जीवनी पहुंचने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने के लिए संस्था द्वारा क्रांतिकारी सुखदेव थापर संगठन पदाधिकारी सम्मान  पत्र देकर सम्मानित किया गया है , मैहनाज अंसारी - संस्थापक 

विवरण :
Name : Honorable Sunil Lathar
position : State Spokesperson
Organization : Akhil Bhartiy Prdhan Sanghthan Uttar Pardesh
Residences Name : Harora
Block Name : Bilari
District : Moradabad 
State : Uttar Pradesh 
Division : Moradabad 
Language : Hindi and Urdu, English, Khariboli, Haryanvi, Punjabi, Kumaoni 
Current Time 11:08 PM
Date: Tuesday , Oct 02,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 05921 
Mob :8126314259
Assembly constituency : Bilari assembly constituency
Assembly MLA : Mohd. Faeem  (SP) Contact Number: 8477800000
Lok Sabha constituency : Sambhal parliamentary constituency 
Parliament MP : Satyapal Singh (BJP) Contact Number: 09412523537
Gram Prdhan Name : Puran Singh Mob. 9359542458
BDC Membar Name : Raju Mob. 9012535579
Pin Code : 244411 
निवास स्थान हरोरा के बारे में
हरोरा उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के मुरादाबाद  जिले में बिलारी ब्लॉक में एक पंचायत है। यह मुरादाबाद डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय मुरादाबाद से दक्षिण की ओर 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बिलारी  (देहाट) से 6 किलोमीटर दूर। राज्य राजधानी लखनऊ से 335 किमी
हरोरा पिन कोड 244411 है और डाक प्रमुख कार्यालय है।
उद्रानपुर चक उर्फ बेरामपुर (2 किमी), नागलिया जाट (2 किमी), इलाहादपुर खेम उर्फ रायपुर (2 किमी), मकरंदपुर (3 किमी), सानई (3 किलोमीटर) हरोरा के पास के गांव हैं। हरोरा उत्तर की ओर कुंदरकी ब्लॉक से घिरा हुआ है, दक्षिण की ओर बनियाखेड़ा ब्लॉक, पूर्व की ओर शाहबाद ब्लॉक, दक्षिण की ओर चंदौसी ब्लॉक।
शाहबाद, रामपुर, सिरसी, चंदौसी, संभल हरोरा के शहरों के नजदीकी हैं।
हरोरा 2011 जनगणना विवरण
हरोरा स्थानीय भाषा हिंदी है। हारोरा गांव कुल जनसंख्या 2 9 58 है और घरों की संख्या 524 है। महिला जनसंख्या 47.0% है। गांव साक्षरता दर 40.3% है और महिला साक्षरता दर 15.3% है।
आबादी
जनगणना पैरामीटर जनगणना डेटा
कुल जनसंख्या 2958
सदनों की कुल संख्या 524
महिला जनसंख्या% 47.0% (1389)
कुल साक्षरता दर% 40.3% (11 9 3)
महिला साक्षरता दर 15.3% (454)
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या% 0.0% (0)
अनुसूचित जाति जनसंख्या% 34.0% (1005)
कामकाजी जनसंख्या% 25.6%
2011 598 तक बाल (0 -6) जनसंख्या
गर्ल चाइल्ड (0 -6) 2011 तक जनसंख्या% 49.8% (2 9 8)
हारोरा के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) प्राथमिक विद्यालय विजयपुर कक्ष -2
2) केपी। श्रीमानमगर सहसपुर कक्ष -3
3) के.यू.एम.स्कूल कक्ष -1
4) के.यू.एम.स्कूल कक्ष -2
5) गन्ना समिति कक्ष -8
हारोरा कैसे पहुंचे
 
रेल द्वारा
राजा का सहसपुर रेल मार्ग स्टेशन, सोनकपुर हॉल्ट रेलवे स्टेशन हरोरा के पास  रेलवे स्टेशन हैं।मुरादाबाद रेल वे स्टेशन हरोरा के नजदीक 27 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है
 
शहरों के नजदीक
शाहबाद, रामपुर 20 किलोमीटर 
सिरसी  22 किलोमीटर 
चंदौसी 23 किमी
सम्भल 30 किमी
 
तालुक के पास
बिलारी 6 किमी 
कुंदरकी 14 किमी 
बनियाखेड़ा 15 किलोमीटर
शाहबाद 18 किमी 
 
एयर पोर्ट्स के पास
पंतनगर हवाई अड्डे के पास 86 किलोमीटर 
मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे के पास 163 किलोमीटर 
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 190 किमी
खेरिया एयरपोर्ट 206 किलोमीटर 
 
पर्यटक स्थलों के पास
मोरादाबाद 26 किमी 
काशीपुर 75 किलोमीटर 
रामनगर 101 किमी 
काठगोदाम 111 किलोमीटर 
बुलंदशहर 111 किमी 
 
जिलों के पास
मोरादाबाद 26 किमी
रामपुर 30 किलोमीटर 
ज्योतिबा फुले नगर 53 किलोमीटर
बरेली 69 किमी के पास
 
रेलवे स्टेशन के पास
राजा का सहसपुर  रेल मार्ग स्टेशन 6.9 किलोमीटर 
सोनीकपुर हॉल रेलवे स्टेशन 8.0 किमी 
चंदौसी जेएन रेल वे स्टेशन 21 किलोमीटर 
मुरादाबाद  रेल वे स्टेशन 27 किलोमीटर 
बिलारी विधान सभा क्षेत्र में विधायक जितने का इतिहास 
2012  = बिलारी -  30   हाजी मो. इरफान  एसपी 55694 लखन सिंह सैनी बीएसपी 54154
1962 =  बिलारी-32 हेत राम  पीएसपी 13319 माही लाल कोंग्रस 11445
1957 = बिलारी-64  जगदीश नारायण  कोंग्रस 22468 अख्तर हुसैन 17308
1957 = बिलारी-64   माही लाल एम आईएनसी 21931 ओम प्रकाश शर्मा 17185
1951 = बिलारी- 37  हर सहाय  कोंग्रस 23841 बुद्ध सिंह एसपी 10881
1951 = बिलारी- 37  मेही लाल कोंग्रस 32741 शियाम एल एम एम 13306
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी