अरुणा आसफ़ अली निगम महापौर/ पार्षद परिचय सूची

नाम : श्री मशरूर खान
पद : निगम पार्षद
वॉर्ड : न. ७०-मुगलपुरा
नगर निगम मुरादाबाद
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
चुनाव : NA
सम्मान :
NA

विवरण :

श्री मसरुर खान निगम पार्षद वार्ड न. ७० 

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निवास - जहाज वाली बिल्डिंग , जमा मस्जिद रोड मुगलपुरा मुरादाबाद उत्तर प्रदेश ,8192802670==

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shree masrur khan nigam paarshad ward no. 70 -address jahaj wali bilding zama masjid road 

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moradabad uttar prdesh 

विकास कार्य :

विकास कार्य रिपोर्ट कार्ड 2016-2017 में जारी 

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मा. निगम पार्षद वार्ड न. ७० द्वारा कराया गया विकास कार्य रिपोर्ट कार्ड 
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१-ख्वाजा मुस्तफा मस्जिद से मुगलों वाली मस्जिद तक सी. सी. टाइल्स द्वारा सुधार कार्य अनुमानित लागत -२,९४,३१४ रुपये 
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२-जमील के मकान से मुरसलीम के मकान तक सी सी टाइल्स द्वारा सड़क सुधार निर्माण कार्य अनुमानित लागत-२,५६,६४६
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३-बाबू भाई के मकान से हाफिज के मकान तक अवं अन्य गलिओं का निर्माण कार्य अनुमानित लागत-५,३८,६०० 
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४-एडम, एंड इंज मिशन हॉस्पिटल के बराबर में गली तथा चौक का सी।  सी।  टाइल्स द्वारा सड़क का निर्माण कार्य अनुमानित लागत-४,२८,३२२
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 ६- वाली मस्जिद के सामने खाली पड़ी ज़मीन पर मौ. अली पार्क का निर्माण कराया अनुमानित लागत - १५ लाख 

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७- जमा मस्जिद पार्क का सोन्दर्ये कारण अनुमानित लागत - ८० लाख 

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८-बरबरान कूड़ा घर का निर्माण कार्य अनुमानित लागत - २० लाख

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९- बरबरान कूड़ाघर से कच्चे नाले का सी सी द्वारा निर्माण रामगंगा तक निर्माण  कार्य 

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१०-मुगलपुरा क्षेत्र में जल निगम द्वारा पनि हेतु पाइप लाइन का कार्य अनुमानित लागत ९० लाख

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११-मुगलपुरा जमा मस्जिद बरबरान में सोडियम लाइट व हाई मास्ट लाइट व सोलर लाइट अनुमानित लागत २ करोड़ 

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१२-मुगलपुरा क्षेत्र में इंडिया मार्क २७ नल अनुमानित लागत- १० लाख

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१३-मुगलपुरा क्षेत्र में दो पनि के बड़े टयुबैल ११ बूस्टर पम्प अनुमानित लागत १ करोड़ २० लाख

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१४-डूडा विभाग द्वारा बिजली के पोल व तार अनुमानित लागत ५० लाख

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१५- वार्ड के सभी सड़कों को पक्का व सुधार अनुमानित लागत ५ करोड़ 

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ये जानकारी मा. निगम पार्षद द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित है अन्य जानकारी सूचि उपलब्ध होने पर दी जाएगी 

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अरुणा आसफ़ अली की जीवनी
पूरा नाम – अरुणा आसफ़ अली
जन्म – 16 जुलाई 1909
जन्मस्थान – कालका ग्राम, पंजाब
पिता – उपेन्द्रनाथ गांगुली
माता – अम्बालिका देवी
विवाह – आसफ़ अली

अरुणा आसफ अली का जन्म अरुणा गांगुली के नाम से 16 जुलाई 1909 को ब्रिटिश कालीन भारत में बंगाली ब्राह्मण परीवार में पंजाब के कालका ग्राम में हुआ था। उनके पिता उपेन्द्रनाथ गांगुली एक रेस्टोरेंट के मालिक थे। उनकी माता अम्बालिका देवी त्रिलोकनाथ सान्याल की बेटी थी।
उपेन्द्रनाथ गांगुली का छोटा भाई धीरेंद्रनाथ गांगुली भूतकालीन फ़िल्म डायरेक्टर थे। उनका एक और भाई नागेंद्रनाथ एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे जिन्होंने नोबेल प्राइज विनर रबीन्द्रनाथ टैगोर की बेटी मीरा देवी से विवाह किया था।
अरुणा की बहन पूर्णिमा बनर्जी भारत के कांस्टिटुएंट असेंबली की सदस्य है। अरुणा की पढाई लाहौर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में पूरी हुई। ग्रेजुएशन के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में वह पढाने लगी। वहा उनकी मुलाकात आसफ अली से हुई, जो अल्लाहाबाद में कांग्रेस पार्टी की नेता थे। 1928 में अपने परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने सितम्बर 1928 में विवाह कर लिया।
आसफ अली विवाह करने और महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी की एक सक्रीय सदस्य बनी। हिंसात्मक होने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और इसीलिये 1931 के गांधी-इरविन करार के बावजूद उन्हें छोड़ा नही गया।
लेकिन कैद बाकी महिलाओ ने उनका साथ देते हुए कहा की वे तभी जेल छोड़ेंगे जब अरुणा आसफ अली को भी रिहा किया जायेगा। लोगो के भारी सहयोग को देखते हुए आख़िरकार अधिकारियो को अरुणा आसफ अली को रिहा करना ही पड़ा।
1932 में उन्होंने तिहार जेल में अपनी विविध मांगो को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। उस समय तिहार जेल की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उनकी भूक हड़ताल से तिहार जेल में काफी सुधार हुए। बाद में वह अम्बाला चली गयी।
महात्मा गांधी के आह्वान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं जब सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का परिचय दिया और नौ अगस्त के दिन मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दे डाली।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज अरुणा आसफ अली भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर उनके कार्य और उनका अंदाज आने वाली पीढ़ियों को सदैव रास्ता दिखाते रहेंगें। उन्हें यूँ ही स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी‘ नहीं कहा जाता है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अरुणा आसफ़ अली के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी