अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ नगर पालिका चेयरमैन/ सभासद परिचय सूची

नाम : माननीय रानी गुप्ता
पद : सभासद न. प. परि.
वॉर्ड : 18 -भोला नगर
पालिका/परिषद झींझक
ज़िला : कानपुर देहात
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : निर्दलीय
चुनाव : 2017 - 506/147 वोट
सम्मान :
NA

विवरण :

Introduction
Honorable Rani Gupta
Members
ward No. - 18 Bhola Nagar
Municipal Council Jhinjhak
District- Kanpur Dehat
State - Uttar Pradesh
Mob - 9956381850
Merit - High SchoolI
Support - independence
झींझक नगर पालिका परिषद के बारे में
नगर पालिका झींझक के वार्ड न.18 में कुल 772 मतदाता हैं ,निकाय चुनाव 2017 में वार्ड न.18 भोला नगर से निर्दलीय प्रत्याशी माननीय रानी गुप्ता जी को कुल पड़े मत संख्या (506) में से (147) मत पाकर निकटतम निर्दलीय प्रत्याशी
2 -नीलम - बीजेपी (144) मत प्राप्त

3 - दान कली निर्दलीय (91) मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे
माननीय रानी गुप्ता जी 3 से अधिक मतों से जीतकर विजय हासिल की

झींझक नगर पालिका कानपुर देहात जिले का एक नगर है। कुल मतदाता संख्या 19357 जिसमे २५ वार्ड हैं इस नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष माननीय सरोजनी जी हैं, जो निकाय चुनाव 2017 में बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से जीती हैं जिनको कुल पड़े मत (13586) में से 3130 मत प्राप्त हुए
2- सरोजनी देवी = भारतीय जनता पार्टी 3034 मत प्राप्त हुए

3- कमलेश निर्दलीय 2774 मत प्राप्त हुए

4- रमा देवी = समाजवादी पार्टी 1969 मत प्राप्त कर चौथे न. पर रहीं
उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी को लगभग 90 से अधिक वोटों से हराकर नगर की जनता ने अध्यक्ष चुना है,

झींझक उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहत जिले में, झींझक एक शहर है। यह कानपुर डिवीजन से संबंधित है। यह पश्चिम में 34 किलोमीटर की दूरी पर जिला मुख्यालय अकबरपुर, रमाबाई नगर में स्थित है। यह एक तहसील मुख्यालय है
झींझक पिन कोड 20 9 302 है और पोस्टल हेड ऑफिस झींझक है।
गढ़ी महरा (2 किलोमीटर), मुड़ेरा किरण सिंह (2 किलोमीटर), करिया झला (3 किलोमीटर), लागर्थ (3 किलोमीटर), शाहपुर देरपुर (3 किलोमीटर), पास गांव हैं झींझक डेरापुर ब्लॉक से दक्षिण की तरफ, दक्षिणी ओर सैंडलपुर ब्लॉक , उत्तरी तट की तरफ रसालाबाद ब्लॉक , उत्तर दिशा में सहार ब्लॉक से घिरा है।
अछालदा, पख़्रानन, चकेरी, भजनपुरा झिंझक में निकटतम शहर हैं।
यह स्थान कानपुर देहत जिले और औरैया जिला की सीमा में है। औरय्या जिला भाग्यनगर पश्चिम की ओर है।
झिंझक की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है
झींझक में राजनीति
सपा, बसपा, बीजेपी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
झींझक के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) प्राइमरी स्कूल जिश्मामाऊ
2) प्राइमरी स्कूल पराजनीी उत्तर काश
3) पूर्वा मध्यम विद्यालय कक्ष नं। 1 मंगलपुर
4) कन्या पूर्ण माध्यमिक विद्यालय भीखदेव उत्तर कक्ष
5) नई पुरव माध्यमिक विद्यालय झिंजक दक्षी काश

रसूलबाद (कन्नौज) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदा सांसद
माननीय डिम्पल यादव (समाजवादी पार्टी) Tels: (011) 23795017, 9868180845,

रसूलबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मौजूदा विधायक
माननीय नीलम शंखवार (भारतीय जनता पार्टी) Contact Number: 9415727530

रसूलबाद विधानसभा क्षेत्र में मंडल
झिंझक, मैथा, रसुलबाद, सैंडलपुर,

रसूलबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012 (एससी) शिव कुमार बिरिया एसपी 66940 =16835 नीलम शंखवार बसपा 50105

झिंझक पहुंचने के लिए कैसे

रेल द्वारा
झींझक रेलवे स्टेशन, पैरा जानी हॉल्ट रेलवे स्टेशन झींझक के पास बहुत निकटवर्ती रेलवे स्टेशन हैं। कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन झींझक के करीब 69 किलोमीटर की दूरी पर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

शहरों के पास
अछलादा के पास 40 किमी
पुखरायां 42 के.एम.
चकेरी के पास 47 किलोमीटर
भजनपुरा के 62 किलोमीटर

ब्लॉक से करीब
झिंझक 0 के.एम.
देहरापुर 15 किलोमीटर
सैंडलपुर के पास 16 किमी
रसूलबाद 18 किलोमीटर

हवाई अड्डे के निकट कानपुर हवाई अड्डा 77 किमी अमौसी एयरपोर्ट 12 9 के.एम. ग्वालियर एयरपोर्ट 171 के.एम. खेरिया हवाई अड्डा 211 के.एम.
पर्यटन स्थल
बिथुर 59 किमी
कन्नौज 66 के.एम.
कानपुर 67 किलोमीटर
लखनऊ 135 किलोमीटर
नीमिशरण्य करीब 163 कि.मी.

जिले से पास
औरैया 27 किलोमीटर
कानपुर देहट 32 किलोमीटर
कन्नौज 63 किलोमीटर
कानपुर नगर 66 के.एम.

रेलवे स्टेशन से करीब
झिंझक रेल वे स्टेशन 1.1 के.एम.
पैरा जानी हॉल्ट रेल वे स्टेशन 7.2 के.एम.
रुरा रेलवे स्टेशन करीब 20 किमी

विकास कार्य :

NA
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय,
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला ख़ाँ था। उनकी माँ मजहूरुन्निशाँ बेगम बला की खूबसूरत खबातीनों (स्त्रियों) में गिनी जाती थीं। अशफ़ाक़ ने स्वयं अपनी डायरी में लिखा है कि जहाँ एक ओर उनके बाप-दादों के खानदान में एक भी ग्रेजुएट होने तक की तालीम न पा सका वहीं दूसरी ओर उनकी ननिहाल में सभी लोग उच्च शिक्षित थे। उनमें से कई तो डिप्टी कलेक्टर व एस. जे. एम. (सब जुडीशियल मैजिस्ट्रेट) के ओहदों पर मुलाजिम भी रह चुके थे।
बचपन से इन्हें खेलने, तैरने, घुड़सवारी और बन्दुक चलने में बहुत मजा आता था। इनका कद काठी मजबूत और बहुत सुन्दर था। बचपन से ही इनके मन देश के प्रति अनुराग था। देश की भलाई के लिये चल रहे आंदोलनों की कक्षा में वे बहुत रूचि से पढाई करते थे। धीरे धीरे उनमें क्रांतिकारी के भाव पैदा हुए। वे हर समय इस प्रयास में रहते थे कि किसी ऐसे व्यक्ति से भेंट हो जाय जो क्रांतिकारी दल का सदस्य हो।
अपने चार भाइयो में अशफाकुल्ला सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई रियासत उल्लाह खान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के सहकर्मी थे। जब मणिपुर की घटना के बाद बिस्मिल को भगोड़ा घोषित किया गया तब रियासत अपने छोटे भाई अश्फाक को बिस्मिल की बहादुरी के किस्से सुनाते थे। तभी से अश्फाक को बिस्मिल से मिलने की काफी इच्छा थी, क्योकि अश्फाक भी एक कवी थे और बिस्मिल भी एक कवी ही थे। जब मैनपुरी केस के दौरान उन्हें यह पता चला कि राम प्रसाद बिस्मिल उन्हीं के शहर के हैं तो वे उनसे मिलने की कोशिश करने लगे। 1920 में जब बिस्मिल शाहजहाँपुर आये और जब उन्होंने स्वयं को व्यापार में वस्त कर लिया, तब अश्फाक ने बहोत सी बार उनसे मिलने की कोशिश की थी लेकिन उस समय बिस्मिल ने कोई ध्यान नही दिया था।
1922 में जब नॉन-कोऑपरेशन (असहयोग आन्दोलन) अभियान शुरू हुआ और जब बिस्मिल ने शाहजहाँपुर में लोगो को इस अभियान के बारे में बताने के लिये मीटिंग आयोजित की तब एक पब्लिक मीटिंग में अशफाकुल्ला की मुलाकात बिस्मिल से हुई थी धीरे धीरे वे राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आये और उन्होंने बिस्मिल को अपने परिचय भी दिया की वे अपने सहकर्मी के छोटे भाई है। उन्होंने बिस्मिल को यह भी बताया की वे अपने उपनाम 'वारसी' और 'हसरत' से कविताये भी लिखते है। बाद में उनके दल के भरोसेमंद साथी बन गए। इस तरह से वे क्रांतिकारी जीवन में आ गए। बाद में कुछ समय तक साथ रहने के बाद अश्फाक और बिस्मिल भी अच्छे दोस्त बन गये। अश्फाक जब भी कुछ लिखते थे तो तुरंत बिस्मिल को जाकर दिखाते थे और बिस्मिल उनकी जांच कर के गलतियों को सुधारते भी थे। कई बाद तो बिस्मिल और अश्फाक के बीच कविताओ और शायरियो की जुगलबंदी भी होती थी, जिसे उर्दू भाषा में मुशायरा भी कहा जाता है।
वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे उनके लिये मंदिर और मस्जिद एक समान थे। एक बार शाहजहाँपुर में हिन्दू और मुसलमान आपस में झगड़ गए और मारपीट शुरू हो गयी। उस समय अशफाक बिस्मिल के साथ आर्य समाज मन्दिर में बैठे हुए थे। कुछ मुसलमान मंदिर पर आक्रमण करने की फ़िराक में थे। अशफाक ने फ़ौरन पिस्तौल निकाल लिया और गरजते हुए बोले 'मैं भी कट्टर मुस्लमान हूँ लेकिन इस मन्दिर की एक एक ईट मुझे प्राणों से प्यारी हैं। मेरे लिये मंदिर और मस्जिद की प्रतिष्ठा बराबर है। अगर किसी ने भी इस मंदिर की नजर उठाई तो मेरी गोली का निशाना बनेगा। अगर तुम्हें लड़ना है तो बाहर सड़क पर जाकर खूब लड़ो।' यह सुनकर सभी के होश उड़ गए और किसी का साहस नहीं हुआ कि उस मंदिर पर हमला करे।
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।
1857 के गदर में उन लोगों (उनके ननिहाल वालों) ने जब हिन्दुस्तान का साथ नहीं दिया तो जनता ने गुस्से में आकर उनकी आलीशान कोठी को आग के हवाले कर दिया था। वह कोठी आज भी पूरे शहर में जली कोठी के नाम से मशहूर है। बहरहाल अशफ़ाक़ ने अपनी कुरबानी देकर ननिहाल वालों के नाम पर लगे उस बदनुमा दाग को हमेशा-हमेशा के लिये धो डाला।
राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की दोस्ती :-
चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तब हजारों की संख्या में युवा खुद को धोखे का शिकार समझ रहे थे। अशफ़ाक उल्ला खां उन्हीं में से एक थे। उन्हें लगा अब जल्द से जल्द भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के साथ वह शाहजहांपुर के प्रतिष्ठित और समर्पित क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ जुड़ गए।
आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे। वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे। धर्मों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों का मकसद सिर्फ देश को स्वराज दिलवाना ही था। यही कारण है कि जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए। धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई।
काकोरी कांड
जब क्रांतिकारियों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों से विनम्रता से बात करना या किसी भी प्रकार का आग्रह करना फिजूल है तो उन्होंने विस्फोटकों और गोलीबारी का प्रयोग करने की योजना बनाई। इस समय जो क्रांतिकारी विचारधारा विकसित हुई वह पुराने स्वतंत्रता सेनानियों और गांधी जी की विचारधारा से बिलकुल उलट थी। लेकिन इन सब सामग्रियों के लिए अधिकाधिक धन की आवश्यकता थी। इसीलिए राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार के धन को लूटने का निश्चय किया। उन्होंने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन में जाने वाले धन को लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा।
ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों के इस बहादुरी भरे कदम से भौंचक्की रह गई थी। इसलिए इस बात को बहुत ही सीरियसली लेते हुए सरकार ने कुख्यात स्कॉटलैंड यार्ड को इसकी तफ्तीश में लगा दिया। एक महीने तक CID ने भी पूरी मेहनत से एक-एक सुबूत जुटाए और बहुत सारे क्रांतिकारियों को एक ही रात में गिरफ्तार करने में कामयाब रही। 26 सितंबर 1925 को पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। और सारे लोग भी शाहजहांपुर में ही पकड़े गए। पर अशफाक बनारस भाग निकले। जहां से वो बिहार चले गए। वहां वो एक इंजीनियरिंग कंपनी में दस महीनों तक काम करते रहे। वो गदर क्रांति के लाला हरदयाल से मिलने विदेश भी जाना चाहते थे।
अपने क्रांतिकारी संघर्ष के लिए अशफाक उनकी मदद चाहते थे। इसके लिए वो दिल्ली गए जहां से उनका विदेश जाने का प्लान था। पर उनके एक अफगान दोस्त ने, जिस पर अशफाक को बहुत भरोसा था, उन्हें धोखा दे दिया। और अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी