शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष/ सदस्य परिचय सूची

नाम : उरफी
पद : नगर पंचायत सदस्य
वॉर्ड : 13 -
नगर पंचायत कांठ
ज़िला : मुरादाबाद
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : निर्दलीय
चुनाव : 2017 -
सम्मान :
NA

विवरण :

कांठ नगर पंचायत के बारे में

नगर पंचयत में कुल 24538 मतदाता हैं, कांठ नगर में कुल 17 वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में निर्दलीय समर्थित नगर पंचायत की अध्यक्ष पद पर माननीय प्रीति जी ने कुल पड़े मत संख्या 17677 में से (5013) 29.35 मत पाकर निर्दलीय समर्थित उम्मीदवार

इकबाल अालम (4461) को 600 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता

3- शकील अहमद ((समाजवादी पार्टी) 3479 मत प्राप्त किये

५- राजपाल (भारतीय जनता पार्टी) 1524 मत प्राप्त कर चौथे न. पर रहे

कांठ , भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद जिले में एक नगर है। यह मुरादाबाद डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय मुरादाबाद से उत्तर की ओर 34 किमी स्थित है। छजलेट से 9 किलोमीटर राज्य की राजधानी लखनऊ से 392 किमी कांठ पिन कोड 244501 है और डाक प्रमुख कार्यालय काठ है। अकबरपुर चहदौरी (3 किलोमीटर), पहाड़ माउ (3 किलोमीटर), चंद्री अकबरपुर (3 किलोमीटर), मोहरी हजरतपुर (3 किलोमीटर), उस (4 किलोमीटर) गांव के गांव हैं। कांठ बुद्धानगर स्योहारा तहसील से लेकर उत्तर की तरफ, डिलारी ब्लॉक की ओर पूर्व, अमरोहा तहसील पश्चिम की तरफ, ठाकुरद्वारा तहसील पूर्व की तरफ। सहसपुर, स्योहारा, ठाकुरद्वारा, नोगांवा सदात शहर के पास कांठ हैं। यह स्थान मोरादाबाद जिले और ज्योतिबा फुले नगर जिला की सीमा में है। ज्योतिबा फुले नगर जिले अमरोहा इस जगह के लिए पश्चिम है। काठ की जनसांख्यिकी= हिंदी यहां स्थानीय भाषा है कंठ कैसे पहुंचे रेल द्वारा कांठ रेलवे स्टेशन, मेवा नवाडा रेलवे स्टेशन, काठ के बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। मोरादाबाद रेलवे स्टेशन कांठ के करीब 32 किलोमीटर दूर एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है शहरों के पास
सहसपुर के पास 8 किमी
सोहेरा के पास 18 किलोमीटर
ठाकुरद्वारा 23 के.एम.
नौगवन सदात 25 किलोमीटर

तालुक से करीब
छेजलेट 9 किलोमीटर
बुधानपुर सेहारा 15 किलोमीटर
दिलारी 16 किमी
अमोहा 22 किमी

हवाई बंदरगाहों
पंतनगर हवाई अड्डे 91 किलोमीटर
मुज़फ्फरनगर हवाई अड्डा 114 किमी
देहरादून हवाई अड्डा 16 9 के.एम.
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 178 के.एम.

पर्यटन स्थल के पास
मोरादाबाद 32 के.एम.
काशीपुर 40 किलोमीटर
कोर्बेट नेशनल पार्क 67 किलोमीटर
रामनगर 68 किलोमीटर
हस्तिनापुर 70 किलोमीटर

जिले से पास
ज्योतिबा फुले नगर 26 किमी
मोरादाबाद 33 के.एम.
रामपुर 53 किलोमीटर
बिजनौर 67 किलोमीटर

रेलवे स्टेशन से करीब कंथ रेल वे स्टेशन 1.0 किलोमीटर
मीवा नवाडा रेलवे स्टेशन करीब 7.8 कि.मी. सोहेरा रेल वे स्टेशन 18 के.एम.
अमरोहा रेलवे स्टेशन करीब 26 किलोमीटर दूर कंठ में राजनीति कांठ के पास मतदान केंद्र / बूथ 1) ग्राम पंचायत भव्य पाक कक्ष कक्ष 2) आदर्श बिहारी कन्या इंटर कोलेगे कंठ कक्ष 3 3) आदर्श बिहारी कन्या इंटर कोलेगे कंठ कक्ष 1 4) आदर्श जे.एच.एस. पाकबाड़ा कक्ष 4 5) D.s.m। इंटर कोलेगे कंठ कक्ष 1 कंठ विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों
बीजेपी , बीजेपी, आरएलडी, बसपा, कांठ विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
कांग्रेस (यू), जेपी, जेडी, बीकेडी, जेएनपी, इंक पिछले सालों में लोकप्रिय राजनीतिक पार्टियां हैं।
वर्तमान में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में विधायक
माननीय राजेश कुमार सिंह (बीजेपी) Contact Number: 9412243141

वर्तमान में लोकसभा क्षेत्र में सांसद
माननीय कुंवर सर्वेश सिंह (बीजेपी) mob. 09013869409 (M)

कंठ विधानसभा क्षेत्र में मंडल
छजलैट डिलारी मुरादाबाद

कांठ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले विधायकों का इतिहास

2012 अनीसुरमैन पीईसीपी 37092 =1534 रिजवान अहमद खान बसपा 35558

2007 रिज़वान अहमद खान बसपा 37945 =16128 अभय चौधरी रालोद 21817

2002 रिजवान अहमद खान बीएसपी 48011 =9578 राजेश कुमार सिंह भाजपा भाजपा भाजपा 38433

1996 राजेश कुमार उरफ चुन्नु बीजेपी 63233 =11671 रिजवान अहमद खान बसपा 51562

1993 महबूब अली जेपी 31498 =1476 ठाकुर पाल सिंह भाजपा 30022

1991 ठाकुर पाल सिंह भाजपा 26523 =262 राजेश कुमार जद 26261

1989 चंद्रपाल सिंह जेडी 28701 =10856 समरपाल सिंह कांग्रेस 17845

1985 समर पाल सिंह कांग्रेस 30511 =11056 राम कृष्णा 19455

1980 राम किशन कांग्रेस (यू) 37966 =25255 गोविंद सिंह निर्दलीय 12414

1977 हरगोविन्द सिंह जेएनपी 19811 =2592 नूनहिल सिंह कांग्रेस कांग्रेस 16552

1974 चंद्र पाल सिंह बीकेडी 22122 =7321 नौंहल सिंह कांग्रेस 14801

1969नॉय निहल सिंह बीकेडी 21550 =8999 चंद्रपाल सिंह कांग्रेस 12551

1967 J. Singh IND 30583 =13350 डी। दयाल कांग्रेस 17233

1962 दादायाल खन्ना कांग्रेस 15534 =7

विकास कार्य :

NA
राजगुरु का जीवन परिचय –
पूरा नाम – शिवराम हरि राजगुरु
अन्य नाम – रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र (इनके पार्टी का नाम)
जन्म – 24 अगस्त 1908
जन्म स्थान – खेड़ा, पुणे (महाराष्ट्र)
माता-पिता – पार्वती बाई, हरिनारायण
धर्म – हिन्दू (ब्राह्मण)
राष्ट्रीयता – भारतीय
योगदान – भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष
संगठन – हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
मृत्यु /शहादत – 23 मार्च 1931
वीर और महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था|इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था|राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था|इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया|राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे|भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था|इस कारण अंग्रेजो से घृणा तो स्वाभाविक ही था|ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे|संकट मोल लेने में भी इनका कोई जवाब नहीं था|किन्तु ये कभी-कभी लापरवाही कर जाते थे|राजगुरु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए इनको अपने बड़े भैया और भाभी का तिरस्कार सहना पड़ता था|माँ बेचारी कुछ बोल न पातीं|ऐसी परिस्थिति से गुजरने के बावजूद भी आपने देश सेवा नही बंद करी और अपना जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया|
आपको बताये आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी|मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये|उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना|साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे|
राजगुरु के बारे में प्राप्त एतिहासिक तथ्यों से ये ज्ञात होता है कि शिवराम हरी अपने नाम के पीछे राजगुरु उपनाम के रुप में नहीं लगाते थे, बल्कि ये इनके पूर्वजों के परिवार को दी गयी उपाधी थी|इनके पिता हरिनारायण पं. कचेश्वर की सातवीं पीढ़ी में जन्में थे|पं. कचेश्वर की महानता के कारण वीर शिवाजी के पोते शाहूजी महाराज इन्हें अपना गुरु मानते थे|पं. कचेश्वर वीर शिवाजी द्वारा स्थापित हिन्दू राज्य की राजधानी चाकण में अपने परिवार के साथ रहते थे|इनका उपनाम “ब्रह्मे” था|ये बहुत विद्वान थे और सन्त तुकाराम के शिष्य थे|इनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की चर्चा पूरे गाँव में थी|लोग इनका बहुत सम्मान करते थे|इतनी महानता के बाद भी ये बहुत सज्जनता के साथ सादा जीवन व्यतीत करते थे|
क्रन्तिकारी जीवन –
दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था|पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई|अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी|
आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे|इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये|अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|इन्होंने इन दिनों में देखा कि वो व्यक्ति प्रतिदिन शाम के बीच घूमने के लिये जाता हैं|कई दिन तक उस पर नजर रखकर उसकी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान से देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इसे मारने के लिये दो पिस्तौलों की आवश्यकता पड़ेगी
आपको बताये शिव वर्मा राजगुरु को धर्मशाला में ही उनकी प्रतिक्षा करने को कह कर पिस्तौल का इन्तजाम करने के लिये लाहौर आ गये|यहाँ से नयी पिस्तौल की व्यवस्था करके तीसरे दिन जब ये दिल्ली आये तो 7 बज चुके थे|शिव को पूरा विश्वास था कि राजगुरु इन्हें तय स्थान पर ही मिलेंगें|इसलिए ये धर्मशाला न जाकर पिस्तौल लेकर सीधे उस सड़क के किनारे पहुँचे जहाँ घटना को अन्जाम देना था|वर्मा ने वहाँ पहुँच कर देखा कि उस स्थान पर पुलिस की एक-दो पुलिस की मोटर घूम रही थी|उस स्थान पर पुलिस को देखकर वर्मा को लगा कि शायद राजगुरु ने अकेले ही कार्य पूरा कर दिया|अगली सुबह प्रभात रेल से आगरा होते हुये कानपुर चले गये|लेकिन इन्हें बाद में समाचार पत्रों में खबर पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि राजगुरु ने गलती से किसी और को देशद्रोही समझ कर मार दिया था|
मृत्यु –
दोस्तों आपको बताये पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये|वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली|वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी|इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया|तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया|
इस तरह राजगुरु जी जब तक रहे तब तक देश में एक अलग ही माह्वल था और ये सिर्फ देश के लिए ही जिए
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें , मेहनाज़ अंसारी