शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष/ सदस्य परिचय सूची

नाम : मा. राजकुमार मेहता
पद : न. प. अध्यक्ष
वॉर्ड : 00
नगर पंचायत डोमचांच
ज़िला : कोडरमा
राज्य : झारखंड
पार्टी : आजसू पार्टी
चुनाव : 2018 NA वोट
सम्मान :
माननी जी को निकाय चुनाव 2018 में विजेता चुने जाने के उपरान्त नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव समस्त क्षेत्र का विकास करेंगे एवं संस्था को सामाजिक कार्य में सहयोग करने माननीय जी को शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष / सदस्य सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है महापुरुषों की जीवनी समाज तक पहुंचाने के लिए धन्यबाद - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी)

विवरण :

Introduction 

Honorable Rajkumar Mehta

Designation : Chairman

Ward No. : 00

Nagar Panchayat  Domchanch

Disst :  Koderma 

State - Jharkhand 

Mob - 9876543210

Eligibility - Diploma 

Support - AJSU

 

महापुरुषों की जीवनी समाज तक पहुंचाने के लिए 

नगर पंचयत डोमचांच के बारे में 

नगर पंचायत डोमचांच  मुख्यालय है । डोमचांच दक्षिणी, डोमचांच उत्तरी, डोमचांच पूर्वी और मेहथाडीह पंचायत के पूरे इलाके को शामिल किया गया है । वहीं तेतरियाडीह पंचायत का कुछ हिस्सा है नगर पंचायत की आबादी लगभग 25 हजार होगी। 2011 की जनगणना के आधार पर इसे सेंसस टाऊन पहले ही घोषित किया जा चुका था । नगर पंचायत डोमचांच प्रदेश का 44वां नगर निकाय है 

डोमचांच भारत के झारखंड राज्य के कोडरमा जिले में एक नगर पंचायत है। यह जिला मुख्यालय कोडरमा से पूर्व की ओर 3 किमी स्थित है। राज्य की राजधानी रांची से 148 किमी

डोमचांच जैनगर ब्लॉक से दक्षिण की तरफ, चंदवाड़ा ब्लॉक की ओर पश्चिम से घिरा हुआ है, पूर्व में मार्कचो ब्लॉक, दक्षिण की ओर बरही ब्लॉक।

झुमरी तिलैया, हिसुआ, नवादा, हजारीबाग डोमचांच के शहरों के नजदीकी हैं।

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है।

डोमचांच में राजनीति

जेवीएम, सीपीआई (एमएल) (एल), बीजेपी, आरजेडी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

डोमचांच के पास मतदान केंद्र / बूथ

1) मिडिल स्कूल खराब

2) मिडिल स्कूल गुमो नंबर 2 बरवाडीह (दक्षिण)

3) पंचायत भवन डोमंच

4) उन्नत मिडिल स्कूल बरवाडीह

5) उन्नत मध्य विद्यालय गजदीह

संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा सांसद 

माननीय रविंद्र कुमार राय बीजेपी संपर्क न. 

कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक।

माननीय डॉ नीरा यादव बीजेपी संपर्क न. 9431334228

कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।

कोडरमा, मार्कचो, सतगवान,

कोडर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2014  डॉ नीरा यादव बीजेपी 84874 = 13525 अन्नपूर्णा देवी आरजेडी 7134 9

200 9  अन्नपूर्णा देवी आरजेडी 46922 = 17283 रमेश सिंह  जेवीएम 29639

2005 अन्नपूर्णा देवी आरजेडी 46452 26454 साजिद हुसैन निर्दलिय  19998

 

डोमचांच कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

हिरोदीह रेल वे स्टेशन, कोडरमा रेल वे स्टेशन डोमचांच में बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। डोया जेएन रेल वे स्टेशन डोमंचन ईस्ट के पास प्रमुख रेलवे स्टेशन 82 किमी दूर है

डोमचांच के पास पिनकोड

825410 (कोडर्मा), 825421 (कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन), 82540 9 (झुमरी तेलैया)

 

शहरों के नजदीक

झुमरी तिलैया 11 किलोमीटर दूर

हिसुआ 53 किमी निकट

नवादा 54 किमी निकट

हजारीबाग 66 किलोमीटर दूर है

 

तालुक के पास

कोडरमा 0 किलोमीटर निकट है

जैनगर 13 किलोमीटर दूर

चंदवाड़ा 16 किमी निकट

मरकच्चो  21 किमी निकट

 

एयर पोर्ट्स के पास

गया हवाई अड्डे 84 किमी निकट

रांची हवाई अड्डे 144 किमी निकटतम

पटना हवाई अड्डे के पास 154 किमी

वाराणसी हवाई अड्डे के पास 336 किमी

 

पर्यटक स्थलों के पास

झूमरी टेलैया 9 किमी के पास

कोडरमा 11 किलोमीटर निकट है

हजारीबाग 47 किलोमीटर दूर

काकोलाट 54 किलोमीटर निकट है

बोध गया 78 किमी निकट

जिलों के पास

कोडरमा 3 किलोमीटर निकट है

नवादा 54 किमी निकट

हजारीबाग 64 किलोमीटर दूर है

गिरिडीह  82 किलोमीटर निकट है

रेलवे स्टेशन के पास

हिरोदीह रेल वे स्टेशन 9.2 किलोमीटर निकट है

कोडरमा रेल वे स्टेशन 10 किलोमीटर दूर है

हजारीबाग आरडी रेल वे स्टेशन 46 किलोमीटर दूर है

विकास कार्य :

2019

राजगुरु का जीवन परिचय –
पूरा नाम – शिवराम हरि राजगुरु
अन्य नाम – रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र (इनके पार्टी का नाम)
जन्म – 24 अगस्त 1908
जन्म स्थान – खेड़ा, पुणे (महाराष्ट्र)
माता-पिता – पार्वती बाई, हरिनारायण
धर्म – हिन्दू (ब्राह्मण)
राष्ट्रीयता – भारतीय
योगदान – भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष
संगठन – हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
मृत्यु /शहादत – 23 मार्च 1931
वीर और महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था|इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था|राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था|इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया|राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे|भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था|इस कारण अंग्रेजो से घृणा तो स्वाभाविक ही था|ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे|संकट मोल लेने में भी इनका कोई जवाब नहीं था|किन्तु ये कभी-कभी लापरवाही कर जाते थे|राजगुरु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए इनको अपने बड़े भैया और भाभी का तिरस्कार सहना पड़ता था|माँ बेचारी कुछ बोल न पातीं|ऐसी परिस्थिति से गुजरने के बावजूद भी आपने देश सेवा नही बंद करी और अपना जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया|
आपको बताये आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी|मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये|उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना|साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे|
राजगुरु के बारे में प्राप्त एतिहासिक तथ्यों से ये ज्ञात होता है कि शिवराम हरी अपने नाम के पीछे राजगुरु उपनाम के रुप में नहीं लगाते थे, बल्कि ये इनके पूर्वजों के परिवार को दी गयी उपाधी थी|इनके पिता हरिनारायण पं. कचेश्वर की सातवीं पीढ़ी में जन्में थे|पं. कचेश्वर की महानता के कारण वीर शिवाजी के पोते शाहूजी महाराज इन्हें अपना गुरु मानते थे|पं. कचेश्वर वीर शिवाजी द्वारा स्थापित हिन्दू राज्य की राजधानी चाकण में अपने परिवार के साथ रहते थे|इनका उपनाम “ब्रह्मे” था|ये बहुत विद्वान थे और सन्त तुकाराम के शिष्य थे|इनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की चर्चा पूरे गाँव में थी|लोग इनका बहुत सम्मान करते थे|इतनी महानता के बाद भी ये बहुत सज्जनता के साथ सादा जीवन व्यतीत करते थे|
क्रन्तिकारी जीवन –
दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था|पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई|अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी|
आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे|इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये|अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|इन्होंने इन दिनों में देखा कि वो व्यक्ति प्रतिदिन शाम के बीच घूमने के लिये जाता हैं|कई दिन तक उस पर नजर रखकर उसकी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान से देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इसे मारने के लिये दो पिस्तौलों की आवश्यकता पड़ेगी
आपको बताये शिव वर्मा राजगुरु को धर्मशाला में ही उनकी प्रतिक्षा करने को कह कर पिस्तौल का इन्तजाम करने के लिये लाहौर आ गये|यहाँ से नयी पिस्तौल की व्यवस्था करके तीसरे दिन जब ये दिल्ली आये तो 7 बज चुके थे|शिव को पूरा विश्वास था कि राजगुरु इन्हें तय स्थान पर ही मिलेंगें|इसलिए ये धर्मशाला न जाकर पिस्तौल लेकर सीधे उस सड़क के किनारे पहुँचे जहाँ घटना को अन्जाम देना था|वर्मा ने वहाँ पहुँच कर देखा कि उस स्थान पर पुलिस की एक-दो पुलिस की मोटर घूम रही थी|उस स्थान पर पुलिस को देखकर वर्मा को लगा कि शायद राजगुरु ने अकेले ही कार्य पूरा कर दिया|अगली सुबह प्रभात रेल से आगरा होते हुये कानपुर चले गये|लेकिन इन्हें बाद में समाचार पत्रों में खबर पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि राजगुरु ने गलती से किसी और को देशद्रोही समझ कर मार दिया था|
मृत्यु –
दोस्तों आपको बताये पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये|वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली|वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी|इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया|तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया|
इस तरह राजगुरु जी जब तक रहे तब तक देश में एक अलग ही माह्वल था और ये सिर्फ देश के लिए ही जिए
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें , मेहनाज़ अंसारी