शहीद उधम सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष/सदस्य परिचय सूची

नाम : श्रीमती शीतल उदय सांगले
पद : जिला परिषद अध्यक्ष
वॉर्ड : 00
ज़िला पंचायत : नाशिक
राज्य : महाराष्ट्र
पार्टी : शिव सेना
चुनाव : 2018 NA वोट
सम्मान :
माननीय जी को निकाय चुनाव् में विजेता चुने जाने के उपरान्त नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर संस्था को सामाजिक कार्य महापुरुषों की जीवनी समाज तक पहुंचाने के लिए माननीय जी को शहीद उधम सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष / सदस्य सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी)

विवरण :

introduction

Honorable, Smt. Sheetal Uday Sangle

Post : Zila Parishad Chairman

Zila Parishad : Nashik

State : Maharashtra 

Sapotars : Shiv Sena

 Mob.  : 9423552326 

 

नाशिक जिला परिषद के बारे में

नाशिक जिला महाराष्ट्र राज्य, भारत के 34 जिलों में से एक है। यह खंडेश और उत्तरी महाराष्ट्र क्षेत्र से संबंधित है। नासिक जिला प्रशासनिक प्रमुख तिमाही नासिक है। यह राज्य की राजधानी मुंबई की ओर 170 किलोमीटर दक्षिण स्थित है। नासिक जिला आबादी 610 9 052 है। यह जनसंख्या द्वारा राज्य में 4 वां सबसे बड़ा जिला है।

भूगोल और जलवायु नासिक जिला

यह अक्षांश -19.9, रेखांश -73.7 पर स्थित है। नासिक जिला पूर्व में अहमदनगर जिले के साथ सीमा साझा कर रहा है, पश्चिम में ठाणे जिला, उत्तर में डांग जिला। यह उत्तर में गुजरात राज्य के साथ सीमा साझा कर रहा है। नासिक जिले में लगभग 15530 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है। । इसकी 632 मीटर से 127 मीटर ऊंचाई सीमा है। यह जिला पश्चिमी भारत से संबंधित है।

नाशिक जिले का जलवायु

गर्मियों में गर्म है। नासिक जिला गर्मियों में सबसे ज्यादा दिन का तापमान 31 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच है।

जनवरी का औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस है, फरवरी 22 डिग्री सेल्सियस है, मार्च 25 डिग्री सेल्सियस है, अप्रैल 28 डिग्री सेल्सियस है, मई 30 डिग्री सेल्सियस है।

नाशिक जिले के डेमो ग्राफिक्स

मराठी यहां स्थानीय भाषा है। लोग भी हिंदी बोलते हैं, अहिरानी और भिली। नासिक जिला 15 तालुक, 14 9 8 पंचायतों, 3211 गांवों में बांटा गया है। पीठ तालुका 96774 आबादी वाले आबादी द्वारा सबसे छोटा तालुका है। 1317367 आबादी के साथ जनसंख्या द्वारा नाशिक तालुका सबसे बड़ा तालुका है।

नासिक जिले से प्रमुख उत्पादक आइटम, फसलों, उद्योग और निर्यात

एग्रिगोड़्स , अनार, बाजरा, बिडी, बिडी फैक्ट्री, कपड़ा, रंग, थैला, बिस्तर, अंगूर, अंगूर, गेहूं, अंगूर / ओन, मास्करा / कपड़ा, प्याज, ओनोइन, ओन, गुलाब, रॉस, चीनी, SugarCane, Sugarcane, Sugercane, टमाटर, यहां से प्रमुख उत्पादक वस्तुएं और निर्यात हैं।

नाशिक जिले की जनगणना 2011

जनगणना 2011 के अनुसार नाशिक जिला कुल जनसंख्या 610 9 052 है। मेले 3163673 हैं और महिलाएं 2 9 4537 9 हैं। कुल मिलाकर लोग 404174 9 हैं। कुल क्षेत्रफल 15530 वर्ग किमी है। यह जनसंख्या द्वारा राज्य का चौथा सबसे बड़ा जिला है। लेकिन राज्य द्वारा राज्य में तीसरा सबसे बड़ा जिला। जनसंख्या द्वारा देश में 11 वां सबसे बड़ा जिला। साक्षरता दर से राज्य में 1 9 वां उच्चतम जिला। देश में 148 वें जिला साक्षरता दर से साक्षरता दर 80.9 6 है

नासिक जिले में राजनीति

सीपीएम, मनसे, बीजेपी, एनसीपी, आईएनसी, एसएचएस नासिक जिले में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

नाशिक जिले में कुल 15 विधानसभा क्षेत्र।

निर्वाचन क्षेत्र का नाम विधायक नाम पार्टी

नंदगांव पंकज छगन भुजबल एनसीपी

मालेगांव बाहरी भुज दादाजी दागदू एसएचएस

बागलान चव्हाण दीपिका संजय एनसीपी

कलवान गावित जिवा पांडु सीपीएम

चंदवाड़ डॉ। आहेर राहुल डॉल्टराव बीजेपी

येवला चगन भुजबल एनसीपी

नाशिक जिले में कुल 3 संसद निर्वाचन क्षेत्र।

निर्वाचन क्षेत्र का नाम एमपी नाम पार्टी

धुले डॉ भामरे सुभाष रामराव बीजेपी

डिंडोरी चव्हाण हरिश्चंद्र देवम बीजेपी

नासिक गोडसे हेमंत तुकाराम एसएचएस

नासिक जिला पर्यटन

इगतपुरी, नासिक, ओज़र, त्रंबकेश्वर, तलेगांव झील, त्रिंगलवाड़ी झील, भत्सा नदी घाटी, देवलाली शिविर, सिक्का संग्रहालय, सिन्नार गर्गोटी संग्रहालय, विग्नेश्वर मंदिर, स्वामी ब्राह्मणंद गुफा, शिवनेरी किला, विश्वनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर, कुशवर्त, पर्यटन स्थलों हैं

नासिक जिले में मंदिर

सप्तशृंगी, त्रंबकेश्वर शिव मंदिर, पांडवलेनी गुफाएं, पंचवती, कला राम मंदिर, सुंदर नारायण मंदिर, कपलेश्वर मंदिर नाशिक जिले में प्रसिद्ध मंदिर हैं

नासिक परिवहन

सड़क परिवहन

 

जिला मुख्यालय नासिक सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नासिक, ओज़र, सताना, सिन्नर, येवला, मनमाड, नंदगांव इस जिले के शहर प्रमुख शहरों और दूरस्थ गांवों के लिए सड़क कनेक्टिविटी रखते हैं। मुंबई में सड़क से नाशिक 170 किलोमीटर है (महाराष्ट्र की राजधानी)

रेल वाहक

नासिक में प्रमुख रेल मार्ग स्टेशन मनमाड जेएन, नासिक रोड भारत के अधिकांश महत्वपूर्ण शहरों और रेलवे स्टेशन से जुड़ रहा है।

जिले के कुछ रेलवे स्टेशन इगतपुरी, देवलाली, नागर्सोल, लासलगांव, कसरा, नंदगांव, निफाद, अंकई .... जो जिले के अधिकांश कस्बों और गांवों को जोड़ते हैं।

बस परिवहन

 डांग जिले से घिरा, दादरा और नगर हवेली जिला, दीव जिला,। त्रिंबकेश्वर शिव मंदिर, त्रंबक, नासिक जिला त्रंबकेश्वर राम कुंड नासिक कलिका यात्रा नासिक कालराम मंदिर

नाशिक जिले में पिन कोड

423202 (जीएसएसके), 422012 (अशोक नगर (नासिक)), 422008 (त्रिमूर्ति चौक), 422103 (सिन्नार), 422211 (सुरगाना), 422308 (केकेएनगर (नासिक)), 423104 (मनमाड शिवाजी चौक), 422401 (देवलाली) , 423206 (वाडनर मालेगांव), 423105 (मालेगांव शिविर), 422010 (अंबाद एएस), 422009 (इंदिरा नगर (नासिक)), 422201 (चंदोरी), 422112 (आईए मुसलगांव सिन्नर), 422003 (पुराया पार्क), 423301 (सताना) , 422113 (इंडेक्स एस्ट। मालेगांव सिन्नर), 423402 (अंडरसुल), 422301 (बीएस नगर), 422606 (नंदुरशिंगोट),

शहरों के नजदीक

नासिक 3 किमी निकट

ओज़र 21 किलोमीटर निकट है

सिन्नर 30 किलोमीटर दूर है

संगमनेर 71 किलोमीटर दूर

एयर पोर्ट्स के पास

गांधीनगर हवाई अड्डे के पास 2 किलोमीटर दूर है

छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड 153 किलोमीटर दूर है

लोहेगांव एयरपोर्ट 174 किलोमीटर दूर है

चिकक्कल्थाना हवाई अड्डे के पास 188 किलोमीटर दूर है

जिलों के पास

नासिक 0 किलोमीटर निकट

डैंग 98 किमी निकट

दादरा और नगर हवेली 98 किलोमीटर दूर

दीव 124 किमी निकट

रेलवे स्टेशन के पास

नासिक रोड रेलवे स्टेशन 7.6 किलोमीटर दूर है

देवलाली रेलवे स्टेशन 11 किलोमीटर दूर है

विकास कार्य :

2019

शहीद उधम सिंह जीवनी
उधम सिंह Udham Singh एक राष्ट्रवादी भारतीय क्रन्तिकारी थे जिनका जन्म शेर सिंह के नाम से 26 दिसम्बर 1899 को सुनम, पटियाला, में हुआ था। उनके पिता का नाम टहल सिंह था और वे पास के एक गाँव उपल्ल रेलवे क्रासिंग के चौकीदार थे। सात वर्ष की आयु में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया जिसके कारण उन्होंने अपना बाद का जीवन अपने बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ 24 अक्टूबर 1907 से केंद्रीय खालसा अनाथालय Central Khalsa Orphanage में जीवन व्यतीत किया। दोनों भाईयों को सिख समुदाय के संस्कार मिले अनाथालय में जिसके कारण उनके नए नाम रखे गए। शेर सिंह का नाम रखा गया उधम सिंह और मुक्त सिंह का नाम रखा गया साधू सिंह। साल 1917 में उधम सिंह के बड़े भाई का देहांत हो गया और वे अकेले पड़ गए।
उधम सिंह के क्रन्तिकारी जीवन की शुरुवात

उधम सिंह ने अनाथालय 1918 को अपनी मेट्रिक की पढाई के बाद छोड़ दिया। वो 13 अप्रैल 1919 को, उस जलिवाला बाग़ हत्याकांड के दिल दहका देने वाले बैसाखी के दिन में वहीँ मजूद थे। उसी समय General Reginald Edward Harry Dyer ने बाग़ के एक दरवाज़ा को छोड़ कर सभी दरवाजों को बंद करवा दिया और निहत्थे, साधारण व्यक्तियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी। इस घटना में हजारों लोगों की मौत हो गयी। कई लोगों के शव तो कुए के अन्दर से मिले।
उधम सिंह को जेल
इस घटना के घुस्से और दुःख की आग के कारण उधम सिंह ने बदला लेने का सोचा। जल्दी ही उन्होंने भारत छोड़ा और वे अमरीका गए। उन्होंने 1920 के शुरुवात में Babbar Akali Movement के बारे में जाना और वे वापस भारत लौट आये। वो छुपा कर एक पिस्तौल ले कर आये थे जिसके कारण पकडे जाने पर अमृतसर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके कारण उन्हें 4 साल की जेल हुई बिना लाइसेंस पिस्तौल रखने के कारण।
जेल से छुटने के बाद इसके बाद वे अपने स्थाई निवास सुनाम Sunam में रहने के लिए आये पर वहां के व्रिटिश पुलिस वालों ने उन्हें परेशां किया जिसके कारण वे अमृतसर चले गए। अमृतसर में उधम सिंह ने एक दुकान खोला जिसमें एक पेंटर का बोर्ड लगाया और राम मुहम्मद सिंह आजाद के नाम से रहने लगे Ram Mohammad Singh Azad. उधम सिंह ने यह नाम कुछ इस तरीके से चुना था की इसमें सभी धर्मों के नाम मौजूद थे। उधम सिंह शहीद भगत सिंह के विचारों से प्रेरित उधम सिंह भगत सिंह के कार्यों और उनके क्रन्तिकारी समूह से बहुत ही प्रभावित हुए थे। 1935 जब वे कश्मीर गए थे, उन्हें भगत सिंह के तस्वीर के साथ पकड़ा गया था। उन्हें बिना किसी अपराध के भगत सिंह का सहयोगी मान लिया गया और भगत सिंह को उनका गुरु। उधम सिंह को देश भक्ति गीत गाना बहुत ही अच्छा लगता था और वे राम प्रसाद बिस्मिल के गीतों के बहुत शौक़ीन थे जो क्रांतिकारियों के एक महान कवी थे।
कश्मीर में कुछ महीने रहने के बाद, उधम सिंह ने भारत छोड़ा। 30 के दशक में वे इंग्लैंड गए। उधम सिंह जलियावाला बाग हत्या कांड का बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे। यह मौका बहुत दिन बाद 13 मार्च 1940 को आया।
लन्दन में उधम सिंह ने लिया जलिवाला हत्याकांड का बदला
उस दिन काक्सटन हॉल, लन्दन Caxton Hall, London में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन East India Association और रॉयल सेंट्रल एशियाई सोसाइटी Royal Central Asian Society का मीटिंग था। लगभग शाम 4.30 बजे उधम सिंह ने पिस्तौल से 5-6 गोलियां सर माइकल ओ द्व्येर Sir Michael O’Dwyer पर फायर किया और वहीँ उसकी मौत हो गयी। इस गोलीबारी के समय भारत के राज्य सचिव को भी Secretary of State for India चोट लग गयी जो इस सभा के प्रेसिडेंट President थे। सबसे बड़ी बात तो यह थी की उधम सिंह को यह करने का कोई भी डर नहीं था। वे वहां से भागे भी नहीं बस उनके मुख से यह बात निकली की – मैंने अपने देश का कर्तव्य पूरा कर दिया।
शहीद उधम सिंह की मृत्यु
1 अप्रैल, 1940, को उधम सिंह को जर्नल डायर Sir Michael O’Dwyer को हत्यारा माना गया। 4 जून 1940 को पूछताच के लिए सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट, पुराणी बरेली Central Criminal Court, Old Bailey में रखा गया था अलाकी उन्हें जस्टिस एटकिंसन Justice Atkinson के फांसी की सजा सुना दी थी। 15 जुलाई 1940 में एक अपील दायर की गयी थी उन्हें फांसी से बचाने के लिए परन्तु उसको खारीच कर दिया गया। 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को लन्दन के Pentonville जेल में फांसी लगा दिया गया।
उनकी एक आखरी इच्छा थी की उनके अस्थियों को उनके देश भेज दिया जाये पर यह नहीं किया गया। 1975 में भारत सरकार, पंजाब सरकार के साथ मिलकर उधम सिंह के अस्थियों को लाने में सफल हुई। उनको श्रदांजलि देने के लिए लाखों लोग जमा हुए थे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी उधम सिंह के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी