नाम : | मा. गुरमीत कौर | ||
पद : | निगम पार्षद | ||
वॉर्ड : | 69 सैनिक कॉलोनी | ||
नगर निगम | जम्मू | ||
राज्य : | जम्मू-कश्मीर | ||
पार्टी : | भारतीय जनता पार्टी | ||
चुनाव : | 2018= 1396/574 वोट | ||
सम्मान : |
next year | ||
विवरण : introduction Name : Honorable Gurmeet Kaur Designation : Municipal Corporator Ward : 69 - Sainik Colony Municipal Corporation : Jammu State : Jammu & Kashmir Eligibility : NA Mobail No : 9419210856 Support - Bharatiya Janata Party (BJP) Residence : H.NO. 55 EXTENSION SECTOR-D SAINIK COLONY, JAMMU Pin Code : 180001 Assembly constituency : assembly constituency
Assembly MLA :
Lok Sabha constituency : parliamentary constituency
Parliament MP :
Pin Code : 180001
Post Office Name : Jammu
वार्ड न. 69 - सैनिक कॉलोनी नगर निगम जम्मू के बारे में
नगर निगम वार्ड न. 69 - सैनिक कॉलोनी निकाय चुनाव 2018 में भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय गुरमीत कौर जी ने कुल पड़े मत संख्या 1396 में से (574) मत पाकर
2 = परबहार स्लैथिआ = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (398) को 176 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता
3- संतोष शर्मा = निर्दलीय (254) मत पाकर कर तीसरे स्थान प्राप्त किया
चन्नी हिम्मत, चौधी, गंगालय, सुजवान, त्रिकुटा नगर निकट कॉलोनी के पास के इलाके हैं
नगर निगम जम्मू के बारे में
जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं।
यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है।
इतिहास
कश्मीर का इतिहास और जम्मू एवं कश्मीर का इतिहास
कई इतिहासकारों एवं स्थानीय लोगों के विश्वास के अनुसार जम्मू की स्थापना राजा जम्बुलोचन ने १४वीं शताब्दी ई.पू. में की थी और नाम रखा जम्बुपुरा जो कालांतर में बिगड़ कर जम्मू हो गया। राय जम्बुलोचन राजा बाहुलोचन का छोटा भाई था। (१८४६–१९५२) में बाहुलोचन ने तवी नदी के तट पर बाहु किला बनवाया था और जम्बुलोचन ने जम्बुपुरा नगर बसवाया था। राजा एक बार आखेट करते हुए तवी नदी के तट पर एक स्थान पर पहुंचा जहां उसने देखा कि एक शेर व बकरी एक साथ एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं। पानी पीकर दोनों जानवर अपने अपने रास्ते चले गये। राजा आश्चर्यचकित रह गया और आखेट का विचार छोड़कर अपने साथियों के पास पहुंचा व सारी कथा विस्तार से बतायी। सबने कहा कि यह स्थान शंति व सद्भाव भरा होगा जहां शेर व बकरी एक साथ पानी पी रहे हों। तब उसने आदेश दिया कि इस स्थान पर एक किले का निर्माण किया जाये व उसके निकट ही शहर बसाया जाये। इस शहर का नाम ही जम्बुपुरा या जम्बुनगर पड़ा और कालांतर में जम्मू हो गया।आज भी यहां बाहु का किला एक ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल है।
नगर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। जम्मू शहर से 32 किलोमीटर (20 मील) दूरस्थ अखनूर में पुरातात्त्विक खुदाई के बाद इस जम्मू नगर के हड़प्पा सभ्यता के एक भाग होने के साक्ष्य भी मिले हैं। जम्मू में मौर्य, कुशाण, कुशानशाह और गुप्त वंश काल के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। ४८० ई. के बाद इस क्षेत्र पर एफ्थलाइटिस का अधिकार हो गया था और यहां कपीस और काबुल से भी शासन हुआ था। इनके उत्तराधिकारी कुशानो-हेफ्थालाइट वंश हुए जिनका अधिकार ५६५ से ६७० ई. तक रहा। तदोपरांत ६७० ई. से लेकर ११वीं शताब्दी केआरंभ तक शाही राजवंश का राज रहा जिसे ग़ज़्नवी के अधीनस्थों ने छीन लिया। जम्मू का उल्लेख तैमूर के विजय अभियानों के अभिलेखों में भी मिलता है। इस क्षेत्र ने सिखों एवं मुगलों के आक्रमणों के साथ एक बार फिर से शक्ति-परिवर्तन देखा और अन्ततः ब्रिटिश राज का नियंत्रण हो गया। यहां ८४० ई. से १८६० ई. तक देव वंश का शासन भिरहा था। तब नगर अन्य भारतीय नगरों से अलग-थलग पड़ गया और उनसे पिछड़ गया था। उसके उपरांत डोगरा शासक आये और जम्मू शहर को अपनी खोई हुई आभा व शान वापस मिली। उन्होंने यहां बड़े बड़े मन्दिरों व तीर्थों का निर्माण किया व पुराने स्थानों का जीर्णोद्धार करवाया, साथ ही कई शैक्षिक संस्थाण भी बनवाये। उस काल में नगर ने काफ़ी उन्नति की।
डोगरा शसकों से जम्मू का शासन १९वीं शताब्दी में महाराजा रंजीत सिंह जी के नियंत्रण में आया और इस प्रकार जम्मू सिख साम्राज्य का भाग बना। महाराजा रंजीत सिंह ने गुलाब सिंह को जम्मू का शासक नियुक्त किया। किन्तु ये शासन अधिक समय नहीं चल पाया और महाराजा रंजीत सिंह के देहान्त के बाद ही सिख साम्राज्य कमजोर पड़ गया और महाराजा दलीप सिंह के शासन के बाद ही ब्रिटिश सेना के अधिकार में आ गया और दलीप सिंह को कंपनी के आदेशानुसार इंग्लैंड ले जाया गया। किन्तु ब्रिटिश राज के पास पंजाब के कई भागों पर अधिकार करने के कारण उस समय पहाड़ों में युद्ध करने लायक पर्याप्त साधन नहीं थे। अतः उन्होंने महाराजा गुलाब सिंह को सतलुज नदी के उत्तरी क्षेत्र का सबसे शक्तिमान शासक मानते हुए जम्मू और कश्मीर का शासक मान लिया। किन्तु इसके एवज में उन्होंने महाराज से भारतीय रुपया७५ लाख नकद लिये। यह नगद भुगतान महाराजा के सिख साम्राज्य के पूर्व जागीरदार रहे होने के कारण वैध माना गया और इस संधि के दायित्त्वों में भी आता था। इस प्रकार महाराजा गुलाब सिंह जम्मू एवं कश्मीर के संस्थापक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
उन्हीं के वंशज महाराजा हरिसिंह भारत के विभाजन के समय यहां के शासक थे और भारत के अधिकांश अन्य रजवाड़ों की भांति ही उन्हें भी भारत के विभाजन अधिनियम १९४७ के अन्तर्गत्त ये विकल्प मिले कि वे चाहें तो अपने निर्णय अनुसार भारत या पाकिस्तान से मिल जायें या फ़िर स्वतंत्र राज्य ले लें; हालांकि रजवाड़ों को ये सलाह भी दी गई थी कि भौगोलिक एवं संजातीय परिस्थितियों को देखते हुए किसी एक अधिराज्य (डोमीनियन) में विलय हो जायें। अन्ततः जम्मू प्रान्त भारतीय अधिराज्य(तत्कालीन) में ही विलय हो गया।
आवागमन
राष्ट्रीय राजमार्ग
सड़क मार्ग
जम्मू से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग १अ जम्मू शहर और क्षेत्र को कश्मीर घाटी से जोड़ता है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग १ब इसे पुंछ शहर से जोड़ता है। जम्मू कठुआ से सड़क मार्ग द्वारा मात्र 80 किलोमीटर (50 मील) की दूरी पर है और उधमपुर से 68 किलोमीटर (42 मील) की दूरी पर है। यहां से हिन्दू तीर्थ वैष्णो देवी का निकटवर्ती पड़ाव कटरा 49 किलोमीटर (30 मील) की सड़क दूरी पर है।
स्थानीय परिवहन
शहर में मिनी बस द्वारा नगर बस सेवा उपलब्ध है जिसके निश्चित मार्ग शहर भर में परिवहन सुलभ कराते हैं। इनके अलावा मैटाडोर भी उपलब्ध हैं। बसों के सिवाय ऑटोरिक्शा और स्थानीय टैक्सी सेवा भी मिलती है। छोटी दूरी तय करने हेतु साइकिल रिक्शा भी सदा उपलब्ध रहती हैं।
वायु मार्ग
जम्मू विमानक्षेत्र जम्मू शहर से मात्र 7 किलोमीटर (4 मील) की दूरी पर सतबाड़ी नामक क्षेत्र में बना है। यहां से श्रीनगर, लेह, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, बंगलुरु आदि कई बड़े शहरों की सीधी वायु सेवा उपलब्ध है।
रेल मार्ग
जम्मू क्षेत्र के रेलवे स्टेशन
जम्मूक्षेत्र में कुल ११ रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें प्रमुख स्टेशन जम्मू तवी (स्टेशनकूट JAT) है। यह स्टेशन भारत के प्रमुख नगरों से भली-भांति जुड़ा हुआ है। सियालकोट को जाने वाली पुरानी रेलवे लाइन अब भारत के विभाजन के समय से बंद हो चुकी है और तभी से १९७१ तक जम्मू में कोई रेल-सेवा नहीं रही थी। १९७५ में भारतीय रेल ने जम्मू-पठानकोट रेलवे लाइन का कार्य पूर्ण किया और जम्मू एक बार फिर से देश से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा। कश्मीर रेलवे केआरंभ हो जाने से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन का महत्त्व दोहरा हो गया है।
दर्शनीय स्थल जम्मू क्षेत्र
पुरमंडल
वैष्णो देवी गुफा
भैरों मंदिर
नंदिनी वन्य जीवन अभयारण्य
मानसर सरोवर
बाहू का किला
जम्मू के त्योहार
लोहड़ी (१३ जनवरी)
बैसाखी (१३ या १४ अप्रैल)
बाहु मेला (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर)
चैत्रे चौदस (मार्च-अप्रैल)
पुरमंडल मेला (फ़रवरी-मार्च)
झीरी मेला (अक्टूबर-नवंबर)
नवरात्रि (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर)
जम्मू राजाओं की सूची
राय सूरज देव ८५०-९२०
राय भोज देव ९२०-९८७
राय अवतार देव ९८७-१०३०
राय जसदेव १०३०-१०६१
राय संग्राम देव १०६१-१०९५
राय जसास्कर १०९५-११६५
राय ब्रज देव ११६५-१२१६
राय नरसिंह देव १२१६-१२५८
राय अर्जुन देव १२५८-१३१३
राय जोध देव १३१३-१३६१
राय मल देव १३६१-१४००
राय हमीर देव (भीम देव) १४००-१४२३
राय अजायब देव
राय बैरम देव
राय खोखर देव (देहान्त १५२८)
राय कपूर देव १५३०-१५७०
राय समील देव १५७०-१५९४
राय संग्राम, जम्मू राजा १५९४-१६२४
राजा भूप देव १६२४-१६५०
राजा हरि देव १६५०-१६८६
राजा गुजै देव १६८६-१७०३
राजा ध्रुव देव १७०३-१७२५
राजा रंजीत देव १७२५-१७८२
राजा ब्रजराज देव १७८२-१७८७
राजा सम्पूर्ण सिंह १७८७-१७९७
राजा जीत सिंह १७९७-१८१६
राजा किशोर सिंह १८२०-१८२२
जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा
महाराजा गुलाब सिंह १८२२-१८५६
महाराजा रणबीर सिंह १८५६-१८८५
महाराजा प्रताप सिंह १८८५-१९२५
महाराजा हरि सिंह १९२५-१९४८
कर्ण सिंह (जन्म १९३१) भारत के राजनयिक
आस पास के शहर
जम्मू 1 किमी निकट
उधमपुर 41 किलोमीटर दूर
कथुआ 83 किमी निकट
सुजानपुर 94 किमी
तालुक द्वारा पास के पास
जम्मू 0 किलोमीटर निकट
राजौरी 1 किमी निकट
पंचराई 1 किमी निकट
सतवारी 5 किमी
पास एयर एयरपोर्ट के पास
सतवारी एयरपोर्ट 7 किलोमीटर
पठानकोट एयरपोर्ट 104 किमी
राजा संसी हवाई अड्डे 128 किमी
श्रीनगर हवाई अड्डे 157 किमी
जिलों के पास
जम्मू 1 किमी निकट
सांबा 33 किमी निकट
उधमपुर 37 किमी निकट
रेलवे स्टेशन के पास रंबन 72 किलोमीटर
जम्मू तवी रेल मार्ग स्टेशन 5.5 किलोमीटर
विजयपुर जम्मू रेलवे स्टेशन 27 किलोमीटर
राजनीतिक्षेत्र की महत्त्वपूर्ण राजनैतिक पार्टियों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ़्रेंस, जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जम्मू एंड कश्मीर नेशनल पैन्थर्स पार्टी हैं। जम्मू के कुछ हिन्दू और स्थानीय भाजपा शाखा जम्मू को वर्तमान कश्मीर राज्य से विलग कर एक अलग राज्य बनाकर भारतीय संघ में विलय कर देने की मांग करते रहे हैं। इसका कारण है कि सभी नीतियां कश्मीर-केन्द्रित होने के कारण जम्मू क्षेत्र की अनदेखी होती जा रही है।जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास
2014 राजेश गुप्ता बीजेपी 21776 विक्रम मल्होत्रा कांग्रेस 9082
2008 अशोक कुमार खजुरिया बीजेपी 15907 नरेंद्र सिंह कांग्रेस 5474
2002 योगेश कुमार सावनी कांग्रेस 11784 अशोक कुमार बीजेपी 8448
1998 अशोक कुमार एजीपी 13164 वेद कुमार कांग्रेस 6967
1996 वैद विष्णो दत्त बीजेपी 1947 रमन भल्ला कांग्रेस6546
1987 चमन लाल बीजेपी 13 9 30 वेद प्रकाश कांग्रेस 10697
1983 ओम प्रकाश एमसी 14262 चमन लाल बीजेपी 7619
1977 राम नाथ भलगोत्रा जेएनपी 13179 अमृत कुमार मल्होत्रा कांग्रेस 5141
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विकास कार्य : नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गयी सरकारी योजनाओं की सूचीमोदी सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की गयी है. इन योजनाओं के द्वारा वे देश के लोगों के लिए कई तरह की सुविधाएँ लाने की कोशिश में है. पिछले तीन साल में मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की है.
यहाँ पर मोदी सरकार द्वारा अब तक की सभी योजनाओं के विषय में दिया जा रहा है :
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