अरुणा आसफ़ अली निगम महापौर/ पार्षद परिचय सूची

नाम : मा. गुरमीत कौर
पद : निगम पार्षद
वॉर्ड : 69 सैनिक कॉलोनी
नगर निगम जम्मू
राज्य : जम्मू-कश्मीर
पार्टी : भारतीय जनता पार्टी
चुनाव : 2018= 1396/574 वोट
सम्मान :
next year

विवरण :

introduction 

Name : Honorable Gurmeet Kaur

Designation : Municipal Corporator

Ward :  69 - Sainik Colony

Municipal Corporation : Jammu

State : Jammu & Kashmir 

Eligibility :  NA

Mobail No : 9419210856

Support - Bharatiya Janata Party (BJP)

Residence : H.NO. 55 EXTENSION SECTOR-D SAINIK COLONY, JAMMU Pin Code : 180001 

Assembly constituency : assembly constituency 
Assembly MLA : 
Lok Sabha constituency : parliamentary constituency 
Parliament MP : 
Pin Code : 180001 
Post Office Name : Jammu
वार्ड न. 69 - सैनिक कॉलोनी नगर निगम जम्मू के बारे में
नगर निगम वार्ड न. 69 - सैनिक कॉलोनी निकाय चुनाव 2018 में भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय गुरमीत कौर जी ने कुल पड़े मत संख्या 1396 में से (574)  मत पाकर 
2 = परबहार स्लैथिआ = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस   (398)  को 176 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- संतोष शर्मा = निर्दलीय (254)  मत पाकर कर तीसरे स्थान प्राप्त किया  
चन्नी हिम्मत, चौधी, गंगालय, सुजवान, त्रिकुटा नगर निकट कॉलोनी के पास के इलाके हैं
नगर निगम जम्मू के बारे में 
जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं।
यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है।
इतिहास
 कश्मीर का इतिहास और जम्मू एवं कश्मीर का इतिहास
कई इतिहासकारों एवं स्थानीय लोगों के विश्वास के अनुसार जम्मू की स्थापना राजा जम्बुलोचन ने १४वीं शताब्दी ई.पू. में की थी और नाम रखा जम्बुपुरा जो कालांतर में बिगड़ कर जम्मू हो गया। राय जम्बुलोचन राजा बाहुलोचन का छोटा भाई था। (१८४६–१९५२) में बाहुलोचन ने तवी नदी के तट पर बाहु किला बनवाया था और जम्बुलोचन ने जम्बुपुरा नगर बसवाया था। राजा एक बार आखेट करते हुए तवी नदी के तट पर एक स्थान पर पहुंचा जहां उसने देखा कि एक शेर व बकरी एक साथ एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं। पानी पीकर दोनों जानवर अपने अपने रास्ते चले गये। राजा आश्चर्यचकित रह गया और आखेट का विचार छोड़कर अपने साथियों के पास पहुंचा व सारी कथा विस्तार से बतायी। सबने कहा कि यह स्थान शंति व सद्भाव भरा होगा जहां शेर व बकरी एक साथ पानी पी रहे हों। तब उसने आदेश दिया कि इस स्थान पर एक किले का निर्माण किया जाये व उसके निकट ही शहर बसाया जाये। इस शहर का नाम ही जम्बुपुरा या जम्बुनगर पड़ा और कालांतर में जम्मू हो गया।आज भी यहां बाहु का किला एक ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल है।
नगर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। जम्मू शहर से 32 किलोमीटर (20 मील) दूरस्थ अखनूर में पुरातात्त्विक खुदाई के बाद इस जम्मू नगर के हड़प्पा सभ्यता के एक भाग होने के साक्ष्य भी मिले हैं। जम्मू में मौर्य, कुशाण, कुशानशाह और गुप्त वंश काल के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। ४८० ई. के बाद इस क्षेत्र पर एफ्थलाइटिस का अधिकार हो गया था और यहां कपीस और काबुल से भी शासन हुआ था। इनके उत्तराधिकारी कुशानो-हेफ्थालाइट वंश हुए जिनका अधिकार ५६५ से ६७० ई. तक रहा। तदोपरांत ६७० ई. से लेकर ११वीं शताब्दी केआरंभ तक शाही राजवंश का राज रहा जिसे ग़ज़्नवी के अधीनस्थों ने छीन लिया। जम्मू का उल्लेख तैमूर के विजय अभियानों के अभिलेखों में भी मिलता है। इस क्षेत्र ने सिखों एवं मुगलों के आक्रमणों के साथ एक बार फिर से शक्ति-परिवर्तन देखा और अन्ततः ब्रिटिश राज का नियंत्रण हो गया। यहां ८४० ई. से १८६० ई. तक देव वंश का शासन भिरहा था। तब नगर अन्य भारतीय नगरों से अलग-थलग पड़ गया और उनसे पिछड़ गया था। उसके उपरांत डोगरा शासक आये और जम्मू शहर को अपनी खोई हुई आभा व शान वापस मिली। उन्होंने यहां बड़े बड़े मन्दिरों व तीर्थों का निर्माण किया व पुराने स्थानों का जीर्णोद्धार करवाया, साथ ही कई शैक्षिक संस्थाण भी बनवाये। उस काल में नगर ने काफ़ी उन्नति की।
डोगरा शसकों से जम्मू का शासन १९वीं शताब्दी में महाराजा रंजीत सिंह जी के नियंत्रण में आया और इस प्रकार जम्मू सिख साम्राज्य का भाग बना। महाराजा रंजीत सिंह ने गुलाब सिंह को जम्मू का शासक नियुक्त किया। किन्तु ये शासन अधिक समय नहीं चल पाया और महाराजा रंजीत सिंह के देहान्त के बाद ही सिख साम्राज्य कमजोर पड़ गया और महाराजा दलीप सिंह के शासन के बाद ही ब्रिटिश सेना के अधिकार में आ गया और दलीप सिंह को कंपनी के आदेशानुसार इंग्लैंड ले जाया गया। किन्तु ब्रिटिश राज के पास पंजाब के कई भागों पर अधिकार करने के कारण उस समय पहाड़ों में युद्ध करने लायक पर्याप्त साधन नहीं थे। अतः उन्होंने महाराजा गुलाब सिंह को सतलुज नदी के उत्तरी क्षेत्र का सबसे शक्तिमान शासक मानते हुए जम्मू और कश्मीर का शासक मान लिया। किन्तु इसके एवज में उन्होंने महाराज से भारतीय रुपया७५ लाख नकद लिये। यह नगद भुगतान महाराजा के सिख साम्राज्य के पूर्व जागीरदार रहे होने के कारण वैध माना गया और इस संधि के दायित्त्वों में भी आता था। इस प्रकार महाराजा गुलाब सिंह जम्मू एवं कश्मीर के संस्थापक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
उन्हीं के वंशज महाराजा हरिसिंह भारत के विभाजन के समय यहां के शासक थे और भारत के अधिकांश अन्य रजवाड़ों की भांति ही उन्हें भी भारत के विभाजन अधिनियम १९४७ के अन्तर्गत्त ये विकल्प मिले कि वे चाहें तो अपने निर्णय अनुसार भारत या पाकिस्तान से मिल जायें या फ़िर स्वतंत्र राज्य ले लें; हालांकि रजवाड़ों को ये सलाह भी दी गई थी कि भौगोलिक एवं संजातीय परिस्थितियों को देखते हुए किसी एक अधिराज्य (डोमीनियन) में विलय हो जायें। अन्ततः जम्मू प्रान्त भारतीय अधिराज्य(तत्कालीन) में ही विलय हो गया।
आवागमन
राष्ट्रीय राजमार्ग
सड़क मार्ग
जम्मू से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग १अ जम्मू शहर और क्षेत्र को कश्मीर घाटी से जोड़ता है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग १ब इसे पुंछ शहर से जोड़ता है। जम्मू कठुआ से सड़क मार्ग द्वारा मात्र 80 किलोमीटर (50 मील) की दूरी पर है और उधमपुर से 68 किलोमीटर (42 मील) की दूरी पर है। यहां से हिन्दू तीर्थ वैष्णो देवी का निकटवर्ती पड़ाव कटरा 49 किलोमीटर (30 मील) की सड़क दूरी पर है।
स्थानीय परिवहन
शहर में मिनी बस द्वारा नगर बस सेवा उपलब्ध है जिसके निश्चित मार्ग शहर भर में परिवहन सुलभ कराते हैं। इनके अलावा मैटाडोर भी उपलब्ध हैं। बसों के सिवाय ऑटोरिक्शा और स्थानीय टैक्सी सेवा भी मिलती है। छोटी दूरी तय करने हेतु साइकिल रिक्शा भी सदा उपलब्ध रहती हैं।
वायु मार्ग
जम्मू विमानक्षेत्र जम्मू शहर से मात्र 7 किलोमीटर (4 मील) की दूरी पर सतबाड़ी नामक क्षेत्र में बना है। यहां से श्रीनगर, लेह, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, बंगलुरु आदि कई बड़े शहरों की सीधी वायु सेवा उपलब्ध है।
रेल मार्ग
जम्मू क्षेत्र के रेलवे स्टेशन
जम्मूक्षेत्र में कुल ११ रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें प्रमुख स्टेशन जम्मू तवी (स्टेशनकूट JAT) है। यह स्टेशन भारत के प्रमुख नगरों से भली-भांति जुड़ा हुआ है। सियालकोट को जाने वाली पुरानी रेलवे लाइन अब भारत के विभाजन के समय से बंद हो चुकी है और तभी से १९७१ तक जम्मू में कोई रेल-सेवा नहीं रही थी। १९७५ में भारतीय रेल ने जम्मू-पठानकोट रेलवे लाइन का कार्य पूर्ण किया और जम्मू एक बार फिर से देश से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा। कश्मीर रेलवे केआरंभ हो जाने से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन का महत्त्व दोहरा हो गया है।
दर्शनीय स्थल जम्मू क्षेत्र 
पुरमंडल
वैष्णो देवी गुफा
भैरों मंदिर
नंदिनी वन्य जीवन अभयारण्य
मानसर सरोवर
बाहू का किला
जम्मू के त्योहार
लोहड़ी (१३ जनवरी)
बैसाखी (१३ या १४ अप्रैल)
बाहु मेला (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर)
चैत्रे चौदस (मार्च-अप्रैल)
पुरमंडल मेला (फ़रवरी-मार्च)
झीरी मेला (अक्टूबर-नवंबर)
नवरात्रि (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर)
जम्मू राजाओं की सूची
राय सूरज देव ८५०-९२०
राय भोज देव ९२०-९८७
राय अवतार देव ९८७-१०३०
राय जसदेव १०३०-१०६१
राय संग्राम देव १०६१-१०९५
राय जसास्कर १०९५-११६५
राय ब्रज देव ११६५-१२१६
राय नरसिंह देव १२१६-१२५८
राय अर्जुन देव १२५८-१३१३
राय जोध देव १३१३-१३६१
राय मल देव १३६१-१४००
राय हमीर देव (भीम देव) १४००-१४२३
राय अजायब देव
राय बैरम देव
राय खोखर देव (देहान्त १५२८)
राय कपूर देव १५३०-१५७०
राय समील देव १५७०-१५९४
राय संग्राम, जम्मू राजा १५९४-१६२४
राजा भूप देव १६२४-१६५०
राजा हरि देव १६५०-१६८६
राजा गुजै देव १६८६-१७०३
राजा ध्रुव देव १७०३-१७२५
राजा रंजीत देव १७२५-१७८२
राजा ब्रजराज देव १७८२-१७८७
राजा सम्पूर्ण सिंह १७८७-१७९७
राजा जीत सिंह १७९७-१८१६
राजा किशोर सिंह १८२०-१८२२
जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा
महाराजा गुलाब सिंह १८२२-१८५६
महाराजा रणबीर सिंह १८५६-१८८५
महाराजा प्रताप सिंह १८८५-१९२५
महाराजा हरि सिंह १९२५-१९४८
कर्ण सिंह (जन्म १९३१) भारत के राजनयिक
आस पास के शहर
जम्मू 1 किमी निकट
उधमपुर 41 किलोमीटर दूर
कथुआ 83 किमी निकट
सुजानपुर 94 किमी
तालुक द्वारा पास के पास 
जम्मू 0 किलोमीटर निकट
राजौरी 1 किमी निकट
पंचराई 1 किमी निकट
सतवारी 5 किमी
पास एयर एयरपोर्ट के पास 
सतवारी एयरपोर्ट 7 किलोमीटर 
पठानकोट एयरपोर्ट 104 किमी 
राजा संसी हवाई अड्डे 128 किमी
श्रीनगर हवाई अड्डे 157 किमी
जिलों के पास
जम्मू 1 किमी निकट
सांबा 33 किमी निकट
उधमपुर 37 किमी निकट
रेलवे स्टेशन के पास रंबन 72 किलोमीटर 
जम्मू तवी रेल मार्ग स्टेशन 5.5 किलोमीटर
विजयपुर जम्मू रेलवे स्टेशन 27 किलोमीटर 

राजनीति

क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण राजनैतिक पार्टियों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ़्रेंस, जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जम्मू एंड कश्मीर नेशनल पैन्थर्स पार्टी हैं। जम्मू के कुछ हिन्दू और स्थानीय भाजपा शाखा जम्मू को वर्तमान कश्मीर राज्य से विलग कर एक अलग राज्य बनाकर भारतीय संघ में विलय कर देने की मांग करते रहे हैं। इसका कारण है कि सभी नीतियां कश्मीर-केन्द्रित होने के कारण जम्मू क्षेत्र की अनदेखी होती जा रही है।

जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास 
2014  राजेश गुप्ता  बीजेपी 21776 विक्रम मल्होत्रा कांग्रेस  9082
2008  अशोक कुमार खजुरिया  बीजेपी 15907 नरेंद्र सिंह कांग्रेस 5474
2002  योगेश कुमार सावनी कांग्रेस 11784 अशोक कुमार  बीजेपी 8448
1998  अशोक कुमार  एजीपी 13164 वेद कुमार कांग्रेस 6967
1996 वैद विष्णो दत्त  बीजेपी 1947 रमन भल्ला कांग्रेस6546
1987  चमन लाल  बीजेपी 13 9 30 वेद प्रकाश कांग्रेस 10697
1983 ओम प्रकाश एमसी 14262 चमन लाल बीजेपी 7619
1977  राम नाथ भलगोत्रा जेएनपी 13179 अमृत कुमार मल्होत्रा कांग्रेस 5141

विकास कार्य :

 

नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गयी सरकारी योजनाओं की सूची 

मोदी सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की गयी है. इन योजनाओं के द्वारा वे देश के लोगों के लिए कई तरह की सुविधाएँ लाने की कोशिश में है. पिछले तीन साल में मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की है. 

यहाँ पर मोदी सरकार द्वारा अब तक की सभी योजनाओं के विषय में दिया जा रहा है :

 
  1. डिजिटल इंडिया : डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत 2014 के अगस्त में हुई थी. इसकी शुरुआत देश को डिजिटल और इलेक्ट्रिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए की गयी थी. देश के डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक रूप में विकसित होने से देश की अर्थनीति में भी सुधार आएगा. इस मुहीम के अंतर्गत सरकार ये चाहती थी कि भारत सरकार के सभी मंत्रालय आम लोगों से डिजिटल प्लेटफार्म पर जुड़ सके, ताकि सरकार के कामों का ब्यौरा लोगों तक जल्द से जल्द पहुँच सके. इससे सरकार को लोगों का फीडबैक मिलता रहे और गवर्नेंस आसान हो सके. साल 2014 में शुरू हुई यह डिजिटल प्रोग्राम योजना साल 2019 में जाकर ख़त्म हो जायेगी.
  2. प्रधान मंत्री जन धन योजना : प्रधानमंत्री द्वारा चालू किये गये योजनाओं में प्रधानमंत्री जन धन योजनाअतिमहत्वपूर्ण है. इस योजना के तहत सरकार द्वारा ग़रीब लोगों को या वैसे लोगों को जिनका बैंक अकाउंट नहीं है, उन्हें जीरो बैलेंस अकाउंट खोलने की सुविधा दी गयी. इस सुविधा का लाभ उठाते हुए एक बड़ी संख्या में लोगों ने अपने बैंक अकाउंट खुलवाए. इस तरह ये एक बहुत सफ़ल योजना रही.
  3. स्वच्छ भारत अभियान : ये प्रोग्राम हालाँकि देश में कोई नया प्रोग्राम नहीं थी. इससे पहले की सरकार ने भी एक इसी तरह की योजना निर्मल भारत के नाम से शुरू की थी, किन्तु निर्मल भारत प्रोग्राम से देश को कोई ख़ास लाभ नहीं मिल सका था. अतः इसके बाद तात्कालिक सरकार ने भारत में स्वच्छता की कटिबद्धता बढाने के लिए और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए नये सिरे से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की. महात्मा गाँधी के सपने को सच करने की इस मुहीम में कई बड़ी हस्तियों ने भी भाग लिया.
  4. मेक इन इंडिया : मेक इन इंडिया योजना के तहत सरकार का उद्देश्य अपने देश में प्रोडक्शन बढ़ाना और युवाओं को रोज़गार देना था. इस योजना की रूप रेखा इस तरह से तैयार की गयी थी कि देश में विदेशी कम्पनियाँ भी इन्वेस्ट करने को राज़ी हो सकें. इस तरह देश एक तरह से मैन्युफैक्चरिंग मार्केट की तरह काम कर सके और नौकरियों की संख्या में भी इजाफा हो. भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही यह योजना 25 विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है.
  5. सांसद आदर्श ग्राम योजना : सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत लोकसभा के सभी सांसद अपने फण्ड से कुछ पैसे का इस्तेमाल एक गाँव के विकास में योगदान के लिए करें. इस तरह से देश के सभी गाँव शहरों की तरह नए इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी अन्य सुविधाओं के साथ अपना विकास अच्छी तरह से कर सके. इस योजना के तहत सभी सांसद को एक एक गाँव ‘गोद लेने’ की बात कही गयी थी. ऐसा माना जा रहा है कि साल 2019 तक ये योजना रंग लाती हुई नज़र आएगी.
  6. अटल पेंशन योजना : इस योजना के तहत लोगों को ओल्ड ऐज पेंशन की सुविधा मिल पाएगी. अटल पेंशन योजना के तहत उन वृद्धों को पेंशन की सुविधा देने की बात तय थी, जो कई छोटी मोटी जगहों पर काम करके अपना गुज़ारा करते हैं. यह योजना उन्हें उनके रिटायरमेंट से पहले बुढापे के लिए धन संचय की सुविधा देती है. यह योजना रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरफ से चलाई जाती है. इस योजना के तहत वृद्ध लोगों को 1 हज़ार से 5 हज़ार तक के पेंशन की सुविधा मिल सकती है
     
  7. प्रधानमंत्री आवास योजना : भारत सरकार द्वारा यह योजना उन लोगों के लिए चलायी जा रही है, जिनके पास अपना घर नहीं है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अनुसार साल 2022 तक देश भर में लगभग 2 करोड़ घरों का निर्माण कराया जाएगा. इस योजना के तहत उन लोगों को लाभ पहुँचाया जाएगा, जो ग़रीब और मजबूर है. इस योजना के अनुसार उन्हें सब्सिडी और ऋण दिया जाएगा, ताकि वे घर बना सके और धीरे धीरे ऋण भी चूका सकें. वरिष्ठ नागरिकों, एससी/ एसटी एवं महिलाओं को इसके लिए और भी अधिक सुविधा दी जायेगी.
  8. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना : यह योजना एक तरह की जीवन बीमा योजना है. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अनुसार पालिसी लेने वाले को एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी दी जायेगी. इस योजना के तहत पालिसी होल्डर को सालाना तौर पर रू 330 जमा करने होंगे और इसके बदले में उन्हें रू 2 लाख की पालिसी प्राप्त होगी. 18 वर्ष से 50 वर्ष के अन्दर का कोई भी आदमी इस योजना के तहत जीवन बीमा प्रीमियम ख़रीद सकता है. इसके लिए पालिसी होल्डर के पास एक बैंक अकाउंट होना अनिवार्य है, जिससे इस योजना को लिंक अप किया जा सके.
  9. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना : प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत दुर्घटना सम्बंधित मृत्यु अथवा आंशिक रूप से होने वाली शारीरिक समस्याओं पर बीमा दिए जाने पर जोर दिया गया है. देश के कई ऐसे ग्रामीण हिस्से हैं, जहाँ के लोगों को किसी तरह की बीमा की प्राप्ति नहीं हुई है. यह योजना इन्हीं जैसे लोगों को बीमा मुहैया कराने के लिए शुरू की गयी है. सरकार ने इसका सब्सक्रिप्शन चार्ज भी केवल 12 रू रखा है, जिसके एवज में पालिसी होल्डर को 2 लाख तक की बीमा प्राप्त होगी. इस बीमा का लाभ उठाने के लिए काग़ज़ी कार्यवाही बहुत ही कम है.
  10. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना : भारत में कृषि का बहुत बड़ा महत्व है. अतः यहाँ की कृषि विकास को ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की है. इस योजना से प्राप्त जानकारियों के अनुसार देश के लगभग 45 प्रतिशत कृषि क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ पर सिंचाई की व्यवस्था बनायी हुई है और बाक़ी जगहों पर पुरानी पद्धति से ही सिंचाई होती है. इस योजना के तहत सरकार सिंचाई के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगी, जिसकी सहायता से सिंचाई आसानी से की जा सकेगी.
  11. प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना : किसानों को मौसम की मार से बचाने तथा रबी और खरीफ फसलों को इन्स्युरेंस देने के लिए सरकार ने आसान और सस्ती बीमा योजना निकाली है. इसका लाभ सभी तरह के किसान उठा पाएंगे. केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरू की गयी है. यह योजना पुरानी बीमा योजना एनएआईएस और एमएनएआईएस की जगह शुरू की गयी है. इस योजना के अनुसार किसानों को 2% पूरे खरीफ फसल के लिए और 1.5% रबी फसल के लिए नियमित रूप से भुगतान करना होगा.
  12. प्रधानमंत्री जन औषधि योजना : यह योजना पुराने जन औषधि योजना के स्थान पर शुरू किया गया है. इसके अंतर्गत 3000 जन औषधि यानि सरकारी दवा की दूकान खोली जाने की बात है, जहाँ से लोग कम पैसे में दवाइयां ख़रीद सकेंगे. इस योजना का अंतर्गत 500 तरह की दवाइयां बहुत काम दामों में बेचे जाने की बात है. कोई एनजीओ अथवा अन्य सामाजिक संस्थान भारत सरकार से एक बार में 2.5 लाख रूपए की सहायता पा कर जन औषधि स्टोर्स खोल सकते है.
  13. किसान विकास पत्र : यह एक निवेश स्कीम थी, जिसके अंतर्गत 8 वर्ष और चार महीने के बाद जमा की गयी राशि दुगनी हो जायेगी. हालाँकि इसमें किसी तरह का कर लाभ नहीं था. किसान विकास पत्रडीनॉमिनेशन की शुरुआत रू 1000, 5000, 10000, 50000 आदि से हो सकती है और इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है.
  14. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना : किसानों के पैदावार को बढाने के लिए तथा उन्हें मिट्टी की उर्वरा से अवगत कराने के लिए सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजनाकी शुरुआत की है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सहायता से मिट्टी की उर्वरा शक्ति के विषय में जानने का मौक़ा मिलता है और उसके अनुसार किसान मिटटी में खाद मिलाने में सक्षम हो पाते हैं.
  15. बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना : प्रधानमंत्री बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना के अंतर्गत बेटियों की शिक्षा और विकास पर काम किया गया. इसके अंतर्गत चाइल्ड सेक्स रेश्यो को संतुलित करने की बात ध्यान में रखी गयी है. साथ ही बच्चियों को पढ़ाने के लिए कई सुविधाएँ मुहैया कराई जा रही है.
  16. मिशन इंद्रधनुष : मिशन इन्द्रधनुष के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने की बात की गई है. इस योजना की सहयता से नवजात शिशुओं को और गर्भवती महिलाओं को सात तरह की वैक्सीन मुफ्त में दी जायेगी, जिसमे दिप्ठेरिया, टिटनेस, पोलियो, टीबी, मेअस्लेस हेपेटाइटिस बी, परटूससीस आदि है. मिशन इन्द्रनुष के अंतर्गत 352 जिलो में काम किया गया है, जिसमे 279 मध्य प्रथामिकता वाले जिले, 33 उत्तर पूर्वी जिले, तथा 40 ऐसे जिले शामिल हैं, जहाँ कुपोशण के कई बच्चे शिकार हैं.
  17. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना : दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली पहुंचाने, इससे सम्बंधित इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने, मीटरिंग व्यवस्था बनाने आदि कार्य किये जायेंगे. इसके साथ ही ग्रामांचलों में जहाँ पर बिजली नहीं पहुंच पाती है, वहाँ पर बिजली सेवा पहुँचाने का काम है. इससे पहले यह कार्य राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के ज़रिये हो रहा था.
  18. पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते योजना : इस योजना के तहत श्रमिकों के सम्बंधित सभी आवश्यक जानकारियों को ऑनलाइन वेबपोर्टल की सहयता से श्रमिकों तक पहुँचाने की बात कही गयी. इस कार्य के लिए ऑनलाइन पोर्टल के इस्तेमाल से सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार कम होगा. इस स्कीम के अंतर्गत एक संयुक्त लेबर पोर्टल लॉन्च किया गया, जिसका नाम ‘श्रम सुविधा’ था. इस वेब पोर्टल के सहारे सभी लेबर सम्बंधित डेटा मैनेजमेंट का काम किया जाएगा.
  19. अटल रेजुवेनेशन और अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) : इस योजना के अंतर्गत मूलभूत सेवायें मसलन जल सप्लाई, सीवरेज, अर्बन ट्रांसपोर्ट आदि को शहरों और घरों तक पहुँचाने के कार्य की शुरुआत हुई, जिससे लोगों तक शुद्ध चीज़ें पहुंचे और जो लोग ग़रीब हैं उन्हें भी इसका लाभ प्राप्त हो सके हैं. इसका सबसे मुख्य उद्देश्य सभी घरों तक सीवरेज तथा शुद्ध पानी का कनेक्शन दिया जा सके, पार्क वगैरह का निर्माण हो सके और साइकिलिंग का इस्तेमाल करके प्रदुषण को कम किया जा सके.
  20. स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद योजना : स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना एक तरह की टूरिज्म योजना थी. इसके अन्तर्गत थीम पर आधारित टूरिज्म सर्किट का निर्माण किये जाने की योजना थी. इसकी थीम्स में रिलिजन, कल्चर आदि हैं, जिसको आधार बना कर देश भर में टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करनी है. प्रसाद यानि पिल्ग्रिमेज रेजुवेनेश औग्मेंटेशन ड्राइव योजना के अंतर्गत अमृतसर, अजमेर, अमरावती, द्वारका, गया, कांचीपुरम, केदारनाथ कामख्या, मथुरा, पूरी, वाराणसी और वेल्लान्कानी आदि तीर्थ स्थानों पर विश्वप्रसिद्द टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कराना था. इन सभी स्थानों पर आध्यात्मिक केन्द्रों की स्थापना भी इस योजना के उद्देश्यों में एक है. इसकी सहयता से इन स्थानों का आध्यात्मिक महत्व और टूरिज्म दोनों बढेगा.
  21. नेशनल हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड औग्मेन्टेशन योजना : आर्थिक मजबूती, अर्बन प्लानिंग और ऐतिहासिक धरोहरों को एक साथ समृद्ध करने के लिए इस महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत की गयी. इसकी सहायता से देश की ख़त्म होती ऐतिहासिक धरोहरों को बचाया जा सकेगा. इ
अरुणा आसफ़ अली की जीवनी
पूरा नाम – अरुणा आसफ़ अली
जन्म – 16 जुलाई 1909
जन्मस्थान – कालका ग्राम, पंजाब
पिता – उपेन्द्रनाथ गांगुली
माता – अम्बालिका देवी
विवाह – आसफ़ अली

अरुणा आसफ अली का जन्म अरुणा गांगुली के नाम से 16 जुलाई 1909 को ब्रिटिश कालीन भारत में बंगाली ब्राह्मण परीवार में पंजाब के कालका ग्राम में हुआ था। उनके पिता उपेन्द्रनाथ गांगुली एक रेस्टोरेंट के मालिक थे। उनकी माता अम्बालिका देवी त्रिलोकनाथ सान्याल की बेटी थी।
उपेन्द्रनाथ गांगुली का छोटा भाई धीरेंद्रनाथ गांगुली भूतकालीन फ़िल्म डायरेक्टर थे। उनका एक और भाई नागेंद्रनाथ एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे जिन्होंने नोबेल प्राइज विनर रबीन्द्रनाथ टैगोर की बेटी मीरा देवी से विवाह किया था।
अरुणा की बहन पूर्णिमा बनर्जी भारत के कांस्टिटुएंट असेंबली की सदस्य है। अरुणा की पढाई लाहौर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में पूरी हुई। ग्रेजुएशन के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में वह पढाने लगी। वहा उनकी मुलाकात आसफ अली से हुई, जो अल्लाहाबाद में कांग्रेस पार्टी की नेता थे। 1928 में अपने परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने सितम्बर 1928 में विवाह कर लिया।
आसफ अली विवाह करने और महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी की एक सक्रीय सदस्य बनी। हिंसात्मक होने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और इसीलिये 1931 के गांधी-इरविन करार के बावजूद उन्हें छोड़ा नही गया।
लेकिन कैद बाकी महिलाओ ने उनका साथ देते हुए कहा की वे तभी जेल छोड़ेंगे जब अरुणा आसफ अली को भी रिहा किया जायेगा। लोगो के भारी सहयोग को देखते हुए आख़िरकार अधिकारियो को अरुणा आसफ अली को रिहा करना ही पड़ा।
1932 में उन्होंने तिहार जेल में अपनी विविध मांगो को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। उस समय तिहार जेल की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उनकी भूक हड़ताल से तिहार जेल में काफी सुधार हुए। बाद में वह अम्बाला चली गयी।
महात्मा गांधी के आह्वान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं जब सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का परिचय दिया और नौ अगस्त के दिन मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दे डाली।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज अरुणा आसफ अली भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर उनके कार्य और उनका अंदाज आने वाली पीढ़ियों को सदैव रास्ता दिखाते रहेंगें। उन्हें यूँ ही स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी‘ नहीं कहा जाता है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अरुणा आसफ़ अली के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी