अरुणा आसफ़ अली निगम महापौर/ पार्षद परिचय सूची

नाम : मा.द्वारका नाथ चौधरी
पद : निगम पार्षद
वॉर्ड : 46 संजय नगर,
नगर निगम जम्मू
राज्य : जम्मू-कश्मीर
पार्टी : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
चुनाव : 2018= 891/225 वोट
सम्मान :
next year

विवरण :

introduction 
Name : Honorable  DWARKA NATH CHOWDHARY
Designation : Municipal Corporator
Ward :  46 Sanjay Nagar
Municipal Corporation : Jammu
Municipal Corporation : Jammu
State : Jammu & Kashmir 
Eligibility :  NA
Mobail No : 9419187653
Support - Indian national congress(INC)
Residence : H.NO. 234/4 SANJAY NAGAR, JAMMU, JAMMU Pin Code : 180001 
Language : Hindi and Kashmiri,punjabi,english And Urdu, Dogri 
Current Time 06:51 PM 
Date: Friday , Nov 30,2018 (IST) 
Telephone Code / Std Code: 0191 
Assembly constituency : assembly constituency 
Assembly MLA : 
Lok Sabha constituency : parliamentary constituency 
Parliament MP : 
Pin Code : 180001 
Post Office Name : Jammu
 
वार्ड न. 46 - संजय नगर, नगर निगम जम्मू के बारे में
नगर निगम वार्ड न. 46 - संजय नगर, निकाय चुनाव 2018 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय गुरमीत कौर जी ने कुल पड़े मत संख्या 891 में से (225)  मत पाकर 
2 = राज सिंह रंधावा =  भारतीय जनता पार्टी   (119)  को 106 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- नरेंद्र कुमार गुप्ता = निर्दलीय (44)  मत पाकर कर तीसरे स्थान प्राप्त किया  
नाई बस्ती, अशोक नगर, गांधीनगर, दिगियाना, प्रीते नगर संजय नगर के पास के इलाके हैं।
नगर निगम जम्मू के बारे में 
जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को मन्दिरों का शहर भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं।
यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है।
इतिहास
 कश्मीर का इतिहास और जम्मू एवं कश्मीर का इतिहास
कई इतिहासकारों एवं स्थानीय लोगों के विश्वास के अनुसार जम्मू की स्थापना राजा जम्बुलोचन ने १४वीं शताब्दी ई.पू. में की थी और नाम रखा जम्बुपुरा जो कालांतर में बिगड़ कर जम्मू हो गया। राय जम्बुलोचन राजा बाहुलोचन का छोटा भाई था। (१८४६–१९५२) में बाहुलोचन ने तवी नदी के तट पर बाहु किला बनवाया था और जम्बुलोचन ने जम्बुपुरा नगर बसवाया था। राजा एक बार आखेट करते हुए तवी नदी के तट पर एक स्थान पर पहुंचा जहां उसने देखा कि एक शेर व बकरी एक साथ एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं। पानी पीकर दोनों जानवर अपने अपने रास्ते चले गये। राजा आश्चर्यचकित रह गया और आखेट का विचार छोड़कर अपने साथियों के पास पहुंचा व सारी कथा विस्तार से बतायी। सबने कहा कि यह स्थान शंति व सद्भाव भरा होगा जहां शेर व बकरी एक साथ पानी पी रहे हों। तब उसने आदेश दिया कि इस स्थान पर एक किले का निर्माण किया जाये व उसके निकट ही शहर बसाया जाये। इस शहर का नाम ही जम्बुपुरा या जम्बुनगर पड़ा और कालांतर में जम्मू हो गया।आज भी यहां बाहु का किला एक ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल है।
नगर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। जम्मू शहर से 32 किलोमीटर (20 मील) दूरस्थ अखनूर में पुरातात्त्विक खुदाई के बाद इस जम्मू नगर के हड़प्पा सभ्यता के एक भाग होने के साक्ष्य भी मिले हैं। जम्मू में मौर्य, कुशाण, कुशानशाह और गुप्त वंश काल के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। ४८० ई. के बाद इस क्षेत्र पर एफ्थलाइटिस का अधिकार हो गया था और यहां कपीस और काबुल से भी शासन हुआ था। इनके उत्तराधिकारी कुशानो-हेफ्थालाइट वंश हुए जिनका अधिकार ५६५ से ६७० ई. तक रहा। तदोपरांत ६७० ई. से लेकर ११वीं शताब्दी केआरंभ तक शाही राजवंश का राज रहा जिसे ग़ज़्नवी के अधीनस्थों ने छीन लिया। जम्मू का उल्लेख तैमूर के विजय अभियानों के अभिलेखों में भी मिलता है। इस क्षेत्र ने सिखों एवं मुगलों के आक्रमणों के साथ एक बार फिर से शक्ति-परिवर्तन देखा और अन्ततः ब्रिटिश राज का नियंत्रण हो गया। यहां ८४० ई. से १८६० ई. तक देव वंश का शासन भिरहा था। तब नगर अन्य भारतीय नगरों से अलग-थलग पड़ गया और उनसे पिछड़ गया था। उसके उपरांत डोगरा शासक आये और जम्मू शहर को अपनी खोई हुई आभा व शान वापस मिली। उन्होंने यहां बड़े बड़े मन्दिरों व तीर्थों का निर्माण किया व पुराने स्थानों का जीर्णोद्धार करवाया, साथ ही कई शैक्षिक संस्थाण भी बनवाये। उस काल में नगर ने काफ़ी उन्नति की।
डोगरा शसकों से जम्मू का शासन १९वीं शताब्दी में महाराजा रंजीत सिंह जी के नियंत्रण में आया और इस प्रकार जम्मू सिख साम्राज्य का भाग बना। महाराजा रंजीत सिंह ने गुलाब सिंह को जम्मू का शासक नियुक्त किया। किन्तु ये शासन अधिक समय नहीं चल पाया और महाराजा रंजीत सिंह के देहान्त के बाद ही सिख साम्राज्य कमजोर पड़ गया और महाराजा दलीप सिंह के शासन के बाद ही ब्रिटिश सेना के अधिकार में आ गया और दलीप सिंह को कंपनी के आदेशानुसार इंग्लैंड ले जाया गया। किन्तु ब्रिटिश राज के पास पंजाब के कई भागों पर अधिकार करने के कारण उस समय पहाड़ों में युद्ध करने लायक पर्याप्त साधन नहीं थे। अतः उन्होंने महाराजा गुलाब सिंह को सतलुज नदी के उत्तरी क्षेत्र का सबसे शक्तिमान शासक मानते हुए जम्मू और कश्मीर का शासक मान लिया। किन्तु इसके एवज में उन्होंने महाराज से भारतीय रुपया७५ लाख नकद लिये। यह नगद भुगतान महाराजा के सिख साम्राज्य के पूर्व जागीरदार रहे होने के कारण वैध माना गया और इस संधि के दायित्त्वों में भी आता था। इस प्रकार महाराजा गुलाब सिंह जम्मू एवं कश्मीर के संस्थापक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
उन्हीं के वंशज महाराजा हरिसिंह भारत के विभाजन के समय यहां के शासक थे और भारत के अधिकांश अन्य रजवाड़ों की भांति ही उन्हें भी भारत के विभाजन अधिनियम १९४७ के अन्तर्गत्त ये विकल्प मिले कि वे चाहें तो अपने निर्णय अनुसार भारत या पाकिस्तान से मिल जायें या फ़िर स्वतंत्र राज्य ले लें; हालांकि रजवाड़ों को ये सलाह भी दी गई थी कि भौगोलिक एवं संजातीय परिस्थितियों को देखते हुए किसी एक अधिराज्य (डोमीनियन) में विलय हो जायें। अन्ततः जम्मू प्रान्त भारतीय अधिराज्य(तत्कालीन) में ही विलय हो गया।
 
आवागमन
राष्ट्रीय राजमार्ग
सड़क मार्ग
जम्मू से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग १अ जम्मू शहर और क्षेत्र को कश्मीर घाटी से जोड़ता है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग १ब इसे पुंछ शहर से जोड़ता है। जम्मू कठुआ से सड़क मार्ग द्वारा मात्र 80 किलोमीटर (50 मील) की दूरी पर है और उधमपुर से 68 किलोमीटर (42 मील) की दूरी पर है। यहां से हिन्दू तीर्थ वैष्णो देवी का निकटवर्ती पड़ाव कटरा 49 किलोमीटर (30 मील) की सड़क दूरी पर है।
स्थानीय परिवहन
शहर में मिनी बस द्वारा नगर बस सेवा उपलब्ध है जिसके निश्चित मार्ग शहर भर में परिवहन सुलभ कराते हैं। इनके अलावा मैटाडोर भी उपलब्ध हैं। बसों के सिवाय ऑटोरिक्शा और स्थानीय टैक्सी सेवा भी मिलती है। छोटी दूरी तय करने हेतु साइकिल रिक्शा भी सदा उपलब्ध रहती हैं।
वायु मार्ग
जम्मू विमानक्षेत्र जम्मू शहर से मात्र 7 किलोमीटर (4 मील) की दूरी पर सतबाड़ी नामक क्षेत्र में बना है। यहां से श्रीनगर, लेह, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, बंगलुरु आदि कई बड़े शहरों की सीधी वायु सेवा उपलब्ध है।
रेल मार्ग
जम्मू क्षेत्र के रेलवे स्टेशन
जम्मूक्षेत्र में कुल ११ रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें प्रमुख स्टेशन जम्मू तवी (स्टेशनकूट JAT) है। यह स्टेशन भारत के प्रमुख नगरों से भली-भांति जुड़ा हुआ है। सियालकोट को जाने वाली पुरानी रेलवे लाइन अब भारत के विभाजन के समय से बंद हो चुकी है और तभी से १९७१ तक जम्मू में कोई रेल-सेवा नहीं रही थी। १९७५ में भारतीय रेल ने जम्मू-पठानकोट रेलवे लाइन का कार्य पूर्ण किया और जम्मू एक बार फिर से देश से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा। कश्मीर रेलवे केआरंभ हो जाने से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन का महत्त्व दोहरा हो गया है।
दर्शनीय स्थल जम्मू क्षेत्र 
पुरमंडल
वैष्णो देवी गुफा
भैरों मंदिर
नंदिनी वन्य जीवन अभयारण्य
मानसर सरोवर
बाहू का किला
जम्मू के त्योहार
लोहड़ी (१३ जनवरी)
बैसाखी (१३ या १४ अप्रैल)
बाहु मेला (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर)
चैत्रे चौदस (मार्च-अप्रैल)
पुरमंडल मेला (फ़रवरी-मार्च)
झीरी मेला (अक्टूबर-नवंबर)
नवरात्रि (मार्च-अप्रैल एवं सितंबर-अक्टूबर)
जम्मू राजाओं की सूची
राय सूरज देव ८५०-९२०
राय भोज देव ९२०-९८७
राय अवतार देव ९८७-१०३०
राय जसदेव १०३०-१०६१
राय संग्राम देव १०६१-१०९५
राय जसास्कर १०९५-११६५
राय ब्रज देव ११६५-१२१६
राय नरसिंह देव १२१६-१२५८
राय अर्जुन देव १२५८-१३१३
राय जोध देव १३१३-१३६१
राय मल देव १३६१-१४००
राय हमीर देव (भीम देव) १४००-१४२३
राय अजायब देव
राय बैरम देव
राय खोखर देव (देहान्त १५२८)
राय कपूर देव १५३०-१५७०
राय समील देव १५७०-१५९४
राय संग्राम, जम्मू राजा १५९४-१६२४
राजा भूप देव १६२४-१६५०
राजा हरि देव १६५०-१६८६
राजा गुजै देव १६८६-१७०३
राजा ध्रुव देव १७०३-१७२५
राजा रंजीत देव १७२५-१७८२
राजा ब्रजराज देव १७८२-१७८७
राजा सम्पूर्ण सिंह १७८७-१७९७
राजा जीत सिंह १७९७-१८१६
राजा किशोर सिंह १८२०-१८२२
जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा
महाराजा गुलाब सिंह १८२२-१८५६
महाराजा रणबीर सिंह १८५६-१८८५
महाराजा प्रताप सिंह १८८५-१९२५
महाराजा हरि सिंह १९२५-१९४८
कर्ण सिंह (जन्म १९३१) भारत के राजनयिक
आस पास के शहर
जम्मू 1 किमी निकट
उधमपुर 41 किलोमीटर दूर
कथुआ 83 किमी निकट
सुजानपुर 94 किमी
तालुक द्वारा पास के पास 
जम्मू 0 किलोमीटर निकट
राजौरी 1 किमी निकट
पंचराई 1 किमी निकट
सतवारी 5 किमी
पास एयर एयरपोर्ट के पास 
सतवारी एयरपोर्ट 7 किलोमीटर 
पठानकोट एयरपोर्ट 104 किमी 
राजा संसी हवाई अड्डे 128 किमी
श्रीनगर हवाई अड्डे 157 किमी
जिलों के पास
जम्मू 1 किमी निकट
सांबा 33 किमी निकट
उधमपुर 37 किमी निकट
रेलवे स्टेशन के पास रंबन 72 किलोमीटर 
जम्मू तवी रेल मार्ग स्टेशन 5.5 किलोमीटर
विजयपुर जम्मू रेलवे स्टेशन 27 किलोमीटर 

राजनीति

क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण राजनैतिक पार्टियों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ़्रेंस, जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और जम्मू एंड कश्मीर नेशनल पैन्थर्स पार्टी हैं। जम्मू के कुछ हिन्दू और स्थानीय भाजपा शाखा जम्मू को वर्तमान कश्मीर राज्य से विलग कर एक अलग राज्य बनाकर भारतीय संघ में विलय कर देने की मांग करते रहे हैं। इसका कारण है कि सभी नीतियां कश्मीर-केन्द्रित होने के कारण जम्मू क्षेत्र की अनदेखी होती जा रही है।

जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास 
2014  राजेश गुप्ता  बीजेपी 21776 विक्रम मल्होत्रा कांग्रेस  9082
2008  अशोक कुमार खजुरिया  बीजेपी 15907 नरेंद्र सिंह कांग्रेस 5474
2002  योगेश कुमार सावनी कांग्रेस 11784 अशोक कुमार  बीजेपी 8448
1998  अशोक कुमार  एजीपी 13164 वेद कुमार कांग्रेस 6967
1996 वैद विष्णो दत्त  बीजेपी 1947 रमन भल्ला कांग्रेस6546
1987  चमन लाल  बीजेपी 13 9 30 वेद प्रकाश कांग्रेस 10697
1983 ओम प्रकाश एमसी 14262 चमन लाल बीजेपी 7619
1977  राम नाथ भलगोत्रा जेएनपी 13179 अमृत कुमार मल्होत्रा कांग्रेस 5141

विकास कार्य :

 

next year 2019 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 60 की उपलब्धियां
भारत की आज़ादी,
(महात्मा गाँधी, नहरु जी, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना आज़ाद, बाबा साहब आंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, जे.पी.कृपलानी, मदन मोहन मालवीय, जमना लाल बजाज, खान अब्दुल गफ़्फ़र खान, लाल बहादुर शास्त्री जी आदी आदी)
1 -545 से ज़्यादा छोटी बड़ी रियासतों का विलय,
(सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू, वी.पी.मेनन..)
2 -भारत का संविधान,
(बाबा साहब आंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, जे.पी.कृपलानी आदी)
3 -रूस की तर्ज़ पर भारत में भी पञ्च वर्षीय योजनाओं का सृजन,
पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 8 दिसम्बर 1951 को भारत की संसद को पहली पाँच साल की योजना प्रस्तुत की। योजना मुख्य रूप से बांधों और सिंचाई में निवेश सहित कृषि प्रधान क्षेत्र,. कृषि क्षेत्र में भारत के विभाजन और तत्काल स्थिति ध्यान देने की जरूरत को सबसे मुश्किल माना गया था
(जवाहर लाल नेहरू)
4 -भाखड़ा नांगल और हीरा कुण्ड जैसे बड़े बाँध,
भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ और अमेरिकी बांध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में 1962 में इसका निर्माण पूरा हुआ। 22 अक्टूबर 1963 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसका शुभारम्भ किया था। इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और बिजली उत्पादन है। इस बांध पर लगे पनबिजली संयंत्र से  1325 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है जिससे पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बिजली की आपूर्ति होती है।
(जवाहर लाल नेहरू)
5 -भिलाई, राउरकेला और बोकारो में हैवी स्टील प्लाँट,
(जवाहर लाल नेहरू)
6 - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
15 अगस्त 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया।
(जवाहर लाल नेहरू)
7 - रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
१९५८ में पूर्व-कार्यरत भारतीय सेना की प्रौद्योगिकी विकास अधिष्ठान (टीडीई) तथा रक्षा विज्ञान संस्थान (डीएसओ) के साथ प्रौद्योगिकी विकास और उत्पादन का निदेशालय (डीटीडीपी) के एकीकरण से गठन किया गया और रक्षा संगठन एवं अनुसंधान संगठन का गठन किया गया था।
(जवाहर लाल नेहरू)
8 -अनेक विश्व विद्यालयों का  निर्माण कराया,
(जवाहर लाल नेहरू)
9 - अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान 7 AIIMS  का निर्माण 
1एम्स दिल्लीएम्स1956नई दिल्ली दिल्ली,
2एम्स भोपालएम्स2012भोपालमध्य प्रदेश,
3एम्स भुवनेश्वरएम्स2012भुवनेश्वरओडिशा,
4एम्स जोधपुरएम्स2012जोधपुरराजस्थान,
5एम्स पटना जे पी एन-एम्स2012पटनाबिहार,
6एम्स रायपुरएम्स2012रायपुरछत्तीसगढ़,
7एम्स ऋषिकेशएम्स2012ऋषिकेशउत्तराखंड,
(जवाहर लाल नेहरू, मनमोहन सिंह )
  10 -  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)  
1 - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर / IITKGP1951,
2भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई / IITB1958,
3भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर / IITK1959,
4भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास / IITM1959,
5भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली / IITD1961,
6भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी / IITG1994,
7भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की/ IITR1847,
8भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़/ IITRPR2008,
9भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर/ IITBBS2008,
10भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर/ IITGN2008,
11भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद / IITH2008,
12भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर  / IITJ2008,
13भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना / IITP2008,
14भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर / IITI2009,
15भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी / IITMandi2009,
16भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी IIT(BHU)2012
(जवाहर लाल नेहरू, मनमोहन सिंह ),
11 -भारतीय रेल विश्व की सबसे बड़ी रेल नेटवर्क एवं सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाला रेल नेटवर्क बनी,
(जवाहर लाल नेहरू, शास्त्री जी, इंदिरा गाँधी आदी)
12 -भारतीय आर्मी विश्व की सबसे सक्तिशाली सेनाओं में शामिल,
(इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
13 -भारतीय वायु सेना विश्व की 5वीं सबसे ताक़तवर वायू सेना बनी,
(इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, मनमोहन सिंह)
14 -रियासतों को दिए जाने वाले Privy Purse की समाप्ती,
राजभत्ता, निजी कोश, प्रिवी पर्स किसी संवैधानिक या लोकतांत्रिक राजतंत्र में राज्य के स्वायत्त शासक एवं राजपरिवार को मिलने वाले विशेष धनराशी को कहा जाता है। इस विशेष वार्षिक धनराशि को राजभत्ता, निजी कोश या प्रिवी पर्स कहा जाता था। इस व्यवस्था को ब्रिटेन में चल रहे राजभत्ते (प्रिवी पर्स) की व्यवस्था के आधार पर पारित किया गया था। इस \\\\\\\"अलोकतांत्रिक\\\\\\\" व्यवस्था को सन १९७१में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के दैरान पूर्णतः स्थगित कर दिया गया,
(इंदिरा गाँधी)
15 -गुजरात में श्वेत (दुग्ध) क्रांती,
सफेद क्रांति भी ओपेरेशन फ्लड के रूप में जाना जाता है। ओपरेशन फ्लड़ा यह भारत की योजना है जिससे कि भारत में दूध की कमी को दूर किया जा सके।
(इंदिरा गाँधी)
16 -बैंको का राष्ट्रीयकरण,
देश के प्रमुख चौदह बैंकों का राष्ट्रीयकरण 19 जुलाई सन् 1969 ई. को किया गया। ये सभी वाणिज्यिक बैंक थे। इसी तरह 15 अप्रैल सन 1980 को निजी क्षेत्र के छ: और बैंक राष्ट्रीयकृत किये गये। इन सभी बीस बैंकों की शाखायें देशभर में फैली हैं। वर्तमान में कुल १९ राष्ट्रीयकृत बैंक हैं।
(इंदिरा गाँधी)
17 -पंजाब, हरयाणा, UP समेत पूरे भारत में हरित क्रांती,
(इंदिरा गाँधी)
18 -दो दो बार पाकिस्तान को युद्ध में करारी शिकस्त,
(लाल बहादुर शास्त्री एवं इंदिरा गाँधी)
19 -पाकिस्तान को युद्ध में हरा कर, बंगलादेश के रूप में, दो टुकड़ों में करना,
(इंदिरा गाँध
20 -पूरे विश्व के विरोध के बावजूद पोखरण में परमाणू परिक्षण,
भारतीय परमाणु आयोग ने यहाँ अपना पहला भूमिगत परिक्षण १८ मई १९७४ को किया था। हालांकि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है। बाद में ११ और १३ मई १९९८ को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किये और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।
(इंदिरा गाँधी)
21 -अनेक Pay Scale Commissions का सृजन और उनकी अनुशंसाओं को लागू किया,
(नहरू जी, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
22 - भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम
भारत का अंतरिक्ष में राकेश शर्मा के रूप में पहला क़दम  1984 में, राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय नागरिक बन गए। जब वह भारत की ओर सोवियत संघ के अन्तरिक्ष यान में अन्तरिक्ष में गए थे। शर्मा उन लोग से एक हैं जो भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए 2006 में प्रस्ताव का समर्थन कर रहे थे।
(इंदिरा गाँधी)
23 -वोट देने की उम्र 21 से 18 घटाना, जिससे युवाओं की राजनीत में भागीदारी बढ़ी,
(राजीव गाँधी)
24 -दूरसंचार क्रांती,
उदारीकरण 1981 में शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हर साल 5,000,000 लाइनें लगाये जाने के प्रयास के तहत फ्रांस की अल्काटेल सीआईटी के साथ राज्य संचालित दूरसंचार कंपनी (आईटीआई) के विलय के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया,इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, इस अवधि के दौरान, राजीव गांधी के नेतृत्व में, कई सार्वजनिक क्षेत्र जैसे कि दूरसंचार विभाग (डीओटी), वीएसएनएल और एमटीएनएल जैसे संगठनों की स्थापना हुई। 
(राजीव गाँधी)
25 -कंप्यूटर क्रांती,
(राजीव गाँधी)
26 -जवाहरलाल नहरू रोज़गार योजना (JNRY),
(इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी)
27 -नयी मौद्रिक नीती (New Economic Policies) का सृजन,
(नरसिम्हा राव एवं मनमोहन सिंह)
28 -पंचायती राज कानून,
(नरसिम्हा राव)
29 -नगरी निकाय कानून,
(नरसिम्हा राव)
30 -PSLV, CLV जैसे अनेकों अंतरिक्ष सेटेलाईट का सफल परेक्षण,
(नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
31 -अग्नी, त्रिशूल, नाग आदी जैसे अनेक देसी मसाइल को बनाना,
(एपीजे अबुलकलाम साहब, नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
32 -सुज़ूकी, हुंडई, शेव्रोले, नोकिया, सैमसंग, LG, रेनोल्ट, मोटोरोला, पेनासोनिक, पायनियर, JBL जैसी अनेक अंतराष्ट्रीय कंपनीयों द्वारा भारत में निवेश, जिससे लाखों रोज़गार generation हुआ और हमारी अर्थव्यवस्था और मज़बूत बनी,
(नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह)
33 -महात्मा गाँधी रोज़गार गारेंटी योजना (MANREGA), जो की विश्व की सबसे बड़ी सफल रोज़गार योजना साबित हुई,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
34 -सूचना का अधिकार (RTI),
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
35 -पेंशन योजना,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
36 -ज़मीन अधिकरण कानून,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
37 -NRHM (108 एम्बुलेंस) योजना,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
38 -शिक्षा का अधिकार,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी)
39 -मिड डे मील योजना,
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी)
40 -इंदिरा आवास योजना एवं राजीव आवास yojna
(मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, )
41 -जननी सुरक्षा योजना,
(मनमोहन सिंह जी)
42 -आधार कार्ड,
(नंदन नीलेकणी, मनमोहन सिंह)
43 -जम्मू कोटरा रेल लाइन का सृजन,
(मनमोहन सिंह)
44 -चंद्रयान मिशन,
(मनमोहन सिंह)
अरुणा आसफ़ अली की जीवनी
पूरा नाम – अरुणा आसफ़ अली
जन्म – 16 जुलाई 1909
जन्मस्थान – कालका ग्राम, पंजाब
पिता – उपेन्द्रनाथ गांगुली
माता – अम्बालिका देवी
विवाह – आसफ़ अली

अरुणा आसफ अली का जन्म अरुणा गांगुली के नाम से 16 जुलाई 1909 को ब्रिटिश कालीन भारत में बंगाली ब्राह्मण परीवार में पंजाब के कालका ग्राम में हुआ था। उनके पिता उपेन्द्रनाथ गांगुली एक रेस्टोरेंट के मालिक थे। उनकी माता अम्बालिका देवी त्रिलोकनाथ सान्याल की बेटी थी।
उपेन्द्रनाथ गांगुली का छोटा भाई धीरेंद्रनाथ गांगुली भूतकालीन फ़िल्म डायरेक्टर थे। उनका एक और भाई नागेंद्रनाथ एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे जिन्होंने नोबेल प्राइज विनर रबीन्द्रनाथ टैगोर की बेटी मीरा देवी से विवाह किया था।
अरुणा की बहन पूर्णिमा बनर्जी भारत के कांस्टिटुएंट असेंबली की सदस्य है। अरुणा की पढाई लाहौर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में पूरी हुई। ग्रेजुएशन के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में वह पढाने लगी। वहा उनकी मुलाकात आसफ अली से हुई, जो अल्लाहाबाद में कांग्रेस पार्टी की नेता थे। 1928 में अपने परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने सितम्बर 1928 में विवाह कर लिया।
आसफ अली विवाह करने और महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी की एक सक्रीय सदस्य बनी। हिंसात्मक होने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और इसीलिये 1931 के गांधी-इरविन करार के बावजूद उन्हें छोड़ा नही गया।
लेकिन कैद बाकी महिलाओ ने उनका साथ देते हुए कहा की वे तभी जेल छोड़ेंगे जब अरुणा आसफ अली को भी रिहा किया जायेगा। लोगो के भारी सहयोग को देखते हुए आख़िरकार अधिकारियो को अरुणा आसफ अली को रिहा करना ही पड़ा।
1932 में उन्होंने तिहार जेल में अपनी विविध मांगो को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। उस समय तिहार जेल की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उनकी भूक हड़ताल से तिहार जेल में काफी सुधार हुए। बाद में वह अम्बाला चली गयी।
महात्मा गांधी के आह्वान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं जब सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का परिचय दिया और नौ अगस्त के दिन मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दे डाली।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज अरुणा आसफ अली भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर उनके कार्य और उनका अंदाज आने वाली पीढ़ियों को सदैव रास्ता दिखाते रहेंगें। उन्हें यूँ ही स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी‘ नहीं कहा जाता है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अरुणा आसफ़ अली के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी