नाम : | मा. नारायण लाल नैनावत | ||
पद : | निगम पार्षद | ||
वॉर्ड : | 51 | ||
नगर निगम | जयपुर | ||
राज्य : | राजस्थान | ||
पार्टी : | भारतीय जनता पार्टी | ||
चुनाव : | 2015= NA वोट | ||
सम्मान : |
Next month | ||
विवरण : introduction
Name: Honorable Narayan Lal Nainavat
Designation : Municipal Corporator
Ward : 51
Municipal Corporation : Jaipur
State : Rajasthan
Eligibility : NA
Mobail No : 9414042630
Support - Bharatiya Janata Party (BJP)
Residence : NA
Language : English and Hindi, Rajasthani
Current Time 01:03 PM
Date: Monday , Dec 17,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 0141
Ward : Ward
Assembly constituency : Bagru assembly constituency
Assembly MLA : GANGA DEVI (INC) Contact Number: 9413383456
Lok Sabha constituency : Jaipur parliamentary constituency
Parliament MP : Ramcharan Bohara (BJP) Contact Number: 9829066531
वार्ड न. 51 नगर निगम जयपुर के बारे में
नगर निगम वार्ड न. 51जयपुर निकाय चुनाव 2015 में भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय नारायण लाल नैनावत जी ने कुल पड़े मत संख्या NA में से (NA ) मत प्राप्त कर
2 = NA = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (NA ) को NA अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता
3- NA = निर्दलीय (NA ) मत पाकर कर तीसरे स्थान प्राप्त किया
जयपुर नगर निगम भारत के राजस्थान राज्य में जयपुर शहर का स्थानीय शासी निकाय है। यह निगम जयपुर शहर के नागरिक बुनियादी ढांचे को बनाए रखने और संबंधित प्रशासनिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए जिम्मेदार है। निगम क्षेत्र में कुल 91 वार्ड हैं, जिन्हे 8 जोनों में बांटा गया है।नगर निगम का नेतृत्व महापौर करते हैं, और प्रत्येक वार्ड का प्रतिनिधित्व निर्वाचित सदस्य करते हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) जयपुर नगर की योजना और विकास के लिए जिम्मेदार नोडल सरकारी एजेंसी है। जयपुर में दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्र जयपुर और जयपुर ग्रामीण शामिल हैं।
जयपुर उच्चारण सहायता·सूचना जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।[2] यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।[3] जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (Indias Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली ,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है।
शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं।[4] बाद में एक और द्वार भी बना जो न्यू गेट कहलाया।[5] पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं।[4]
जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा।
इतिहास
सत्रहवीं शताब्दी में जब मुगल अपनी ताकत खोने लगे, तो समूचे भारत में अराजकता सिर उठाने लगी, ऐसे दौर में राजपूताना की आमेर रियासत, एक बडी ताकत के रूप में उभरी.जाहिर है कि महाराजा सवाई जयसिंह को तब मीलों के दायरे में फ़ैली अपनी रियासत संभालने और सुचारु राजकाज संचालन के लिये आमेर छोटा लगने लगा और इस तरह से इस नई राजधानी के रूप में जयपुर की कल्पना की गई। इस शहर की नींव पहले पहल कहां रखी गई, इसके बारे में मतभेद हैं, किंतु कुछ इतिहासकारों के अनुसार तालकटोरा के निकट स्थित शिकार की होदी से इस शहर के निर्माण की शुरुआत हुई। कुछ इसे ब्रह्मपुरी और कुछ आमेर के पास एक स्थान यज्ञयूप स्थल से मानते हैं। पर ये निर्विवाद है संबसे पहले चन्द्रमहल बना और फिर बाज़ार और साथ में तीन चौपड़ें |
सवाई जयसिंह ने यह शहर बसाने से पहले इसकी सुरक्षा की भी काफी चिंता की थी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही सात मजबूत दरवाजों के साथ किलाबंदी की गई थी। जयसिंह ने हालाँकि मराठों के हमलों की चिंता से अपनी राजधानी की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनवाई थी, लेकिन उन्हें शायद मौजूदा समय की सुरक्षा समस्याओं का भान नहीं था। इतिहास की पुस्तकों में जयपुर के इतिहास के अनुसार यह देश का पहला पूरी योजना से बनाया गया शहर था और स्थापना के समय राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखकर ही इसका विकास किया था। नगर के निर्माण का काम १७२७ में शुरू हुआ और प्रमुख स्थानों के बनने में करीब चार साल लगे। यह शहर नौ खंडों में विभाजित किया गया था, जिसमें दो खंडों में राजकीय इमारतें और राजमहलों को बसाया गया था। प्राचीन भारतीय शिल्पशास्त्र के आधार पर निर्मित इस नगर के प्रमुख वास्तुविद थे एक बंगाली ब्राह्मण विद्याधर (चक्रवर्ती)]], जो आमेर दरबार की कचहरी-मुस्तफी में आरम्भ में महज़ एक नायब-दरोगा (लेखा-लिपिक) थे, पर उनकी वास्तुकला में गहरी दिलचस्पी और असाधारण योग्यता से प्रभावित हो कर महाराजा ने उन्हें नयी राजधानी के लिए नए नगर की योजना बनाने का निर्देश दिया।
यह शहर प्रारंभ से ही गुलाबी नगर नहीं था बल्कि अन्य सामान्य नगरों की ही तरह था, लेकिन 1876 में जब वेल्स के राजकुमार आए तो महाराजा रामसिंह (द्वितीय) के आदेश से पूरे शहर को गुलाबी रंग से जादुई आकर्षण प्रदान करने की कोशिश की गई थी। उसी के बाद से यह शहर गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सुंदर भवनों के आकर्षक स्थापत्य वाले, दो सौ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले जयपुर में जलमहल, जंतर-मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ का किला, हवामहल और आमेर का किला राजपूतों के वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूने हैं।
दर्शनीय स्थल
सिटी पैलेस
जंतर मंतर, जयपुर
हवा महल
गोविंद देवजी का मंदिर
सरगासूली-
रामनिवास बाग
गुड़िया घर -
बी एम बिड़ला तारामण्डल
गलताजी
जैन मंदिर
मोती डूंगरी और लक्ष्मी नारायण मंदिर
स्टैच्यू सर्किल
आस पास के शहर
जयपुर 4 किमी निकट
Reengus 61 किमी निकट
फुलेरा 62 किमी निकट
तालुक के पास
निकट 64 किलोमीटर दूर
जयपुर 0 किलोमीटर निकट है
संगानेर 17 किमी निकट
झोतवाड़ा 17 किमी निकट
एयर पोर्ट्स के नजदीक
संगानेर एयरपोर्ट 9 किलोमीटर दूर है
खेरिया हवाई अड्डे के पास 243 किमी
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 251 किलोमीटर
ग्वालियर एयरपोर्ट 281 किमी निकटतम
जिलों के पास
जयपुर 0 किलोमीटर निकट है
दौसा 59 किमी के पास
टोंक 90 किलोमीटर निकट
रेलवे स्टेशन के नजदीक
सीकर 112 किमी
जयपुर जंक्शन रेल वे स्टेशन 2.8 किलोमीटर दूर है
जयपुर गांधीनगर रेल मार्ग स्टेशन 3.6 किलोमीटर दूर है
दुर्गापुर रेल वे स्टेशन 5.8 किलोमीटर दूर है
जयपुर में क्षेत्र में राजनीती
बगरु विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक
माननीय गंगा देवी (कांग्रेस) Contact Number: 9413383456
बागरु विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
झोतवाड़ा, सांगानेर, जयपुर
बागरू विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2013 कैलाश चंद बीजेपी 100947 = 46356 डॉ प्रहलाद रघु कांग्रेस 54591
2008 ) श्रीमती गंगा देवी कांग्रेस 57036 = 3517 रक्षापाल कुलदीप बीजेपी 53519
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विकास कार्य : माननीय निगम पार्षद जी के विकास कार्य सूची अभी उपलब्ध नहीं हुई है जल्द ही पूर्ण कार्य देख सकेंगे नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गयी सरकारी योजनाओं की सूचीमोदी सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की गयी है. इन योजनाओं के द्वारा वे देश के लोगों के लिए कई तरह की सुविधाएँ लाने की कोशिश में है. पिछले तीन साल में मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की है.
यहाँ पर मोदी सरकार द्वारा अब तक की सभी योजनाओं के विषय में दिया जा रहा है :
इस तरह तात्कालिक सरकार ने कई तरह की योजनाएँ देशवासियों के कल्याण के लिए शुरू कर रखी है. नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति, नई दिल्ली
द्वारा जनहित में जारी
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