अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ नगर पालिका चेयरमैन/ सभासद परिचय सूची

नाम : राज कुमार
पद : पालिका सभासद
वॉर्ड : वार्ड 33
पालिका/परिषद बटाला
ज़िला : गुरदासपुर
राज्य : झारखंड
पार्टी : भारतीय जनता पार्टी
चुनाव : 2015= 3500/1150 वोट
सम्मान :
नॉट

विवरण :

introduction

Name :Honorable Raj Kumar 

Designation :  Corporator

Ward No . : 33 

Municipality council :Batala (ਬਟਾਲਾ ) 

District : Gurdaspur 

State : Punjab 

Eligibility - Graduate

Support - BJP

Mobail No. : 9517194886 

Language : Punjabi 

Current Time 01:22 PM 

Date: Saturday , Dec 01,2018 (IST) 

Telephone Code / Std Code: 01871 

Municipality Council Chairman: Shri Naresh Mahajan (BJP) Contact no. - 01871-243426,

Assembly constituency : Batala assembly constituency 

Assembly MLA : Lakhbir Singh Lodhinangal (IND) Contact Number: 9814054886

Lok Sabha constituency : Gurdaspur parliamentary constituency 

Parliament MP : BARINDERMEET SINGH PAHRA (INC )

Pin Code : 143505 

Post Office Name : Batala

वार्ड न. 33 नगर पालिका बटाला पार्षद संक्षिप्त जीवनी

श्री राजकुमार का जन्म पंजाब राज्य के पठानकोट के झड़पुर में हुआ, एक समाज सेवक ईमानदार और सच की लड़ाई लड़ने वाले अपनी पार्टी के लिए वफादार रहे हैं , २००५ से राजनितिक तौर पर भाजपा पार्टी से जुड़कर पार्टी हित  में कार्य किया बूथ स्तर युवा कार्यकारिणी सदस्य, महासचिव, सिविल लाइन  मंडल उपाध्यक्ष पद सहित विभिन पदों पर आसीन रहे, और क्षेत्र के विकास कार्यों में रूचि ली , पार्टी ने २०१५ निकाय चुनाव वार्ड न. ३३ से पार्षद पद के लिए टिकट   घोषित किया, चुनाव में विजय प्राप्त की 

निकाय  चुनाव 2018 वार्ड न. 33 नगर पालिका बटाला में कुल मतदान संख्या 3500 में से भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर पालिका पार्षद पद पर माननीय राज कुमार जी ने 1150 मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्धंदी 

2  = ??????? = अकाली दल =  950 मत प्राप्त कर दूसरे न.  को 200  अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 

3- ??????  = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस = 425 = मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहीं 

बटाला पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिले में बटाला तहसील में एक नगर पालिका  है। इसमें कुल 35 वार्ड है यह जिला मुख्यालय गुरदासपुर से दक्षिण की ओर 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक तहसील प्रमुख तिमाही है।

बटाला पिन कोड 143505 है और डाक प्रमुख कार्यालय बटाला है।

श्री गुरु तेग बहादुर नगर (1 किमी), शास्त्री नगर (1 किमी), लुथारा कॉलोनी (1 किमी), आधुनिक संपत्ति-अधिक कैलेश (1 किमी), धरमपुर कॉलोनी (1 किमी) बटाला के पास के गांव हैं। बटाला पूर्व की तरफ कादियन तहसील से घिरा हुआ है, उत्तर की ओर धारवाल तहसील, पश्चिम की ओर फतेहगढ़ चूरियन तहसील, पश्चिम की ओर मजीथा -3 तहसील।

बटाला, कदियन, गुरदासपुर, अमृतसर बटाला के पास के शहर हैं।

यह जगह गुरदासपुर जिला और अमृतसर जिले की सीमा में है। अमृतसर जिला मजीथा -3 इस जगह की तरफ पश्चिम है।

बटाला को एक बार आयरन बर्ड ऑफ एशिया के रूप में जाना जाता था क्योंकि यह सीआई की उच्चतम मात्रा का उत्पादन करता था। कास्टिंग, कृषि और यांत्रिक मशीनरी। सीटाई कास्टिंग और मैकेनिकल मशीनरी के निर्माण में बटाला उत्तरी भारत के प्रमुख शहरों में से एक है। यह एक कृषि बाजार और औद्योगिक केंद्र भी है। कपास जीनिंग, बुनाई, चीनी परिष्करण, और चावल मिलिंग कुछ अन्य उद्योग यहां हो रहे हैं।

बटाला के बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि इस शहर को तहसील कहा जाता है लेकिन यह अपने जिला गुरदासपुर से अधिक विकसित है। आजकल लोग बटाला को जिला और नगरपालिका निगम की स्थिति की लंबी मांग के संबंध में आंदोलनों में विरोध कर रहे हैं और भाग ले रहे हैं।

लैंडमार्क्स

कश्मीर ग्रांड ट्रंक रोड पर अमृतसर से 38 किमी दूर गुरदासपुर जिले में स्थित है। पहले के समय में लाहौर प्रांत के पुराने शहरों में से एक, बटाला धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व, जैसे हजीरा पार्क, बाराह दारी, हाकिटक समध के कई स्मारकों का घर है। ये स्मारक सिख इतिहास और मुगल काल से जुड़े हुए हैं। इस शहर में ब्रिटिश राज के दौरान कई चर्च बनाए गए हैं।

बटाला कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

बटाला जंक्शन रेल वे स्टेशन, बटाला शुगर मिल्स रेलवे स्टेशन बटाला के बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। 

ट्रांसपोर्ट

बटाला मशीन टूल्स और ऊनी उत्पादों के निर्माण के लिए मशहूर एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर है। इसलिए, यह सड़क और रेलवे द्वारा पंजाब के अन्य शहरों और कस्बों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सरकारी और निजी बसें अन्य शहरों की यात्रा का मुख्य स्रोत हैं। जिला में बटाला का एकमात्र सरकारी बस डिपो है।

रोडवेज

पंजाब में पठानकोट के साथ राजस्थान में हनुमानगढ़ को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 54 (पुराना एनएच 15) बटाला से गुजरता है और इसे पठानकोट, अमृतसर और भटिंडा से जोड़ता है, बटाला एनएच -44 के साथ राज्य राजमार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, इस प्रकार इसे जलंधर, लुधियाना, चंडीगढ़ से जोड़ता है। और नई दिल्ली, भारत की राजधानी।

रेल

बटाला रेलवे स्टेशन

बटाला रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड बीएटी) भारतीय रेलवे के उत्तरी रेलवे क्षेत्र के फिरोजपुर डिवीजन के अमृतसर-पठानकोट लाइन पर है। अमृतसर जंक्शन रेलवे स्टेशन शहर से लगभग 38 किमी दूर स्थित निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन है। कटाडियन की ट्रेन बटाला से एक और मोड़ है। रेल मंत्रालय ने बीटा जंक्शन के माध्यम से बटाला-क्वाडियन रेल लिंक जलंधर से जुड़ने के लिए 2010 की बजट योजना को स्वीकार कर लिया है। परियोजना जल्द ही शुरू हो जाएगी। यह परियोजना अमृतसर के माध्यम से जाने की जरूरत के बिना बटाला को हाई स्पीड अमृतसर-दिल्ली सेक्शन में जोड़ने और जालंधर के लिए यात्रा का समय 1 घंटे तक काटने में मदद करेगी।

शहरों के नजदीक

बटाला 3 किमी निकट

कदियन 1 9 किलोमीटर 

गुरदासपुर 32 किमी 

अमृतसर 42 किमी 

तालुक के पास

बटाला 0 किलोमीटर 

कदियन 14 किमी 

धीरवाल 16 किलोमीटर 

फतेहगढ़ चूरियन 1 9 किलोमीटर 

एयर पोर्ट्स के पास

राजा संसी हवाई अड्डे 44 किमी 

पठानकोट हवाई अड्डे के पास 66 किलोमीटर 

सतवारी एयरपोर्ट 113 किलोमीटर

गगगल हवाई अड्डे के पास 126 किमी

पर्यटक स्थलों के पास

गुरदासपुर 32 किमी

अमृतसर 42 किमी 

कपूरथला 58 किलोमीटर 

पठानकोट 71 किमी 

जलंधर 72 किलोमीटर 

जिलों के पास

गुरदासपुर 32 किमी 

अमृतसर 42 किमी 

तरण तारण 55 किलोमीटर

कपूरथला 55 किलोमीटर 

रेलवे स्टेशन के पास

बटाला जंक्शन रेल वे स्टेशन 1.7 किमी निकटतम

बटाला शुगर मिल्स रेल वे स्टेशन 3.9 किमी निकट

धारीवाल रेल वे स्टेशन 1 9 किलोमीटर दूर है

बटाला में राजनितिक इतिहास 

बटाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल

एसएडी, बीजेपी, कांग्रेस बटाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

बटाला के पास मतदान केंद्र / बूथ

1) आरडी.खोस्ला डी.ए.ए.एस.स्कूल बाताल

2) कृष्ण नगर बटाला के पास सरकारी प्राइमरी स्कूल सर्कुलर रोड

3) कृष्ण नगर बटाला के पास सरकारी प्राइमरी स्कूल सर्कुलर रोड

4) शरणार्थी शिविर बटाला

5) एसएल। बावा डी.ए.वी.कोल्लेज (लड़के) बटाला

बटाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक ।

माननीय लखबीर सिंह लोढ़िनंगल कांग्रेस 

बटाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।

बटाला, कदियन

बटाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012  अश्वनी सेखरी कांग्रेस  66806 = 18885 लखबीर सिंह लोढ़ी नंगल एसएडी  47921

2007  जगदीश साहनी बीजेपी 47936 = 86 अश्वानी कांग्रेस  47850

2002  अश्वानी कांग्रेस  47 9 33 = 13528 जगदीश सावनी बीजेपी 34405

1997  जगदीश भाजपा 49,843 = 13,857 अश्विनी कांग्रेस 35986

1992 जगदीश भाजपा 20,288 = 3059 अश्विनी कांग्रेस 17,229

1985 अश्वानी आईएनसी 34401 = 14171 धर्म सिंह एसएडी 20230

1980  गोपाल कृष्ण चट्राथ कांग्रेस  26448 = 5616 बलदेव मिटर बीजेपी  20832

1977 पन्ना लाल नाययार जेएनपी 28191 = 3192 विश्व मित्तर सेखरी कांग्रेस  24 999

1972  विश्व मितार कांग्रेस  23808 = 9466 गुरबचन सिंह बीजेएस 14342

1969  बिकरामजीत सिंह बीजेएस 22239 = 1604 मोहन लाल कांग्रेस 

 20635

1967 जेएन एम लाल इंक 18528 = 4806 आर लाल  बीजेएस 13722

1962  मोहन लाल कांग्रेस  27294 =14658 गुरबचन सिंह निर्दलीय  12636

1957  गोरख नाथ कांग्रेस  15276 = 1505 रतन लाल बीजेएस 13771

1951  गुरबचन सिंह कांग्रेस  137 9 0 7302 रिवाइल सिंह निर्दलीय 6488

विकास कार्य :

मानियै पार्षद द्वारा किये गए क्षेत्र में विकास कार्य 

 1 - पार्षद बनने के उपरांत सर्वप्रथम कार्य फैजपुर और लेबर क्वाटर की बिजली समस्या से निजात दिलाने हेतु साहिल फोडरी के साथ चौक में ट्रांफार्मर कार्य कराया,

2 - अजीत नगर में आज़ादी के बाद प्रथम बार स्ट्रीट लाइट मीटर लगवाया गया, नई तार, ट्यूब लाइट लगवाने के कार्य,

3 - रविदास वाली गली में अशोक कुमार के घर से मैन रोड तक का सड़क निर्माण कार्य,

4 - फैजपुर का मैन रोड से कलगोधार गुरुद्वारे तक सड़क निर्माण कार्य ,

5 - कामरेट पम्मा परधान के घर से लेबर क्वाटर तक की गली का निर्माण कार्य,

6 - अजीत नगर में कारण सिंह भाटी से विशन दास के घर तक गली का निर्माण कार्य

7 - बाबा विरसा सिंह वाली गली वार्ड न. 33  वाली गली का निर्माण कार्य 

8 - अजीत नगर सेलर वाली गली मैन रोड से प्रोफेसर मखन सिंह के घर तक का निर्माण कार्य,

9 - अजीत नगर बाबे धोधी वाली गली का निर्माण कार्य, 

10 - बाली टीवी सेंटर से लकर हरकृष्ण पब्लिक स्कूल वली गली तक सीवरेज लाइन ओर टाइल्स निर्माण कार्य, 

11 - सत की दुकान से गुरदास की चक्की तक गली का निर्माण कार्य, 

12 -  बैंक मैनेजर नाथा राम जी घर से लेके कलि के घर तक गली निर्माण कार्य, 

13 - खैराती लाल के घर से अमीर चंद के घर तक गली का निर्माण कार्य,

14 - पवन के घर से लेकर लंबरदार के घर तक गली का निर्माण कार्य,

15 - भारत कालोनी तेलियों वाली गली का निर्माण कार्य

16 - देश की आज़ादी के बाद प्रथम बार  चैथा कॉलोनी गली न 1 में सीवरेज एवं इंट्रोल टाइल 2 गली का निर्माण कार्य

17 - यशपाल फोजी के घर से धनीराम के घर तक एवं अवतार वाली गली का निर्माण कार्य

18 - स्वच्छ भारत मिशन के तहत 120 घरों में शौचालय का निर्माण कार्य ग्रांट मंजूर कराई,

19 - प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 60 घरों को धनराशि आवंटित कराई,

20 - 1500 पात्र नागरिकों को नई पेंशन जैसे बृद्ध पेंशन,विधवा पेंशन,आश्रित पेंशन,दिव्यांग पेंशन,शामिल हैं,

21 - 200 नीली कार्ड जिसके माध्यम से भारत सरकार द्वारा निशुल्क राशन प्राप्त होता है,

22 - 100 परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वल योजना के तहत गैस सिलेंडर पात्र परिवारों को लाभ दिलाया,

23 - शमशान घाट के लिये 5 लाख रुपये की धनराशि जारी करवाई, जिससे फर्श ओर चार दिवारी करवाई गई,

24 - वाटर सप्लाई का पानी गंदा आने के कारण पाइप अंडरग्राउंड करवाई गई 

25 - राजकुमार पार्षद वाली गली का निर्माण कार्य टोना लहरिया के घर से बिशम्बर दास के घर तक निर्माण कार्य

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जीवन परिचय,
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्टूबर 1900 को हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला ख़ाँ था। उनकी माँ मजहूरुन्निशाँ बेगम बला की खूबसूरत खबातीनों (स्त्रियों) में गिनी जाती थीं। अशफ़ाक़ ने स्वयं अपनी डायरी में लिखा है कि जहाँ एक ओर उनके बाप-दादों के खानदान में एक भी ग्रेजुएट होने तक की तालीम न पा सका वहीं दूसरी ओर उनकी ननिहाल में सभी लोग उच्च शिक्षित थे। उनमें से कई तो डिप्टी कलेक्टर व एस. जे. एम. (सब जुडीशियल मैजिस्ट्रेट) के ओहदों पर मुलाजिम भी रह चुके थे।
बचपन से इन्हें खेलने, तैरने, घुड़सवारी और बन्दुक चलने में बहुत मजा आता था। इनका कद काठी मजबूत और बहुत सुन्दर था। बचपन से ही इनके मन देश के प्रति अनुराग था। देश की भलाई के लिये चल रहे आंदोलनों की कक्षा में वे बहुत रूचि से पढाई करते थे। धीरे धीरे उनमें क्रांतिकारी के भाव पैदा हुए। वे हर समय इस प्रयास में रहते थे कि किसी ऐसे व्यक्ति से भेंट हो जाय जो क्रांतिकारी दल का सदस्य हो।
अपने चार भाइयो में अशफाकुल्ला सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई रियासत उल्लाह खान पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के सहकर्मी थे। जब मणिपुर की घटना के बाद बिस्मिल को भगोड़ा घोषित किया गया तब रियासत अपने छोटे भाई अश्फाक को बिस्मिल की बहादुरी के किस्से सुनाते थे। तभी से अश्फाक को बिस्मिल से मिलने की काफी इच्छा थी, क्योकि अश्फाक भी एक कवी थे और बिस्मिल भी एक कवी ही थे। जब मैनपुरी केस के दौरान उन्हें यह पता चला कि राम प्रसाद बिस्मिल उन्हीं के शहर के हैं तो वे उनसे मिलने की कोशिश करने लगे। 1920 में जब बिस्मिल शाहजहाँपुर आये और जब उन्होंने स्वयं को व्यापार में वस्त कर लिया, तब अश्फाक ने बहोत सी बार उनसे मिलने की कोशिश की थी लेकिन उस समय बिस्मिल ने कोई ध्यान नही दिया था।
1922 में जब नॉन-कोऑपरेशन (असहयोग आन्दोलन) अभियान शुरू हुआ और जब बिस्मिल ने शाहजहाँपुर में लोगो को इस अभियान के बारे में बताने के लिये मीटिंग आयोजित की तब एक पब्लिक मीटिंग में अशफाकुल्ला की मुलाकात बिस्मिल से हुई थी धीरे धीरे वे राम प्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आये और उन्होंने बिस्मिल को अपने परिचय भी दिया की वे अपने सहकर्मी के छोटे भाई है। उन्होंने बिस्मिल को यह भी बताया की वे अपने उपनाम 'वारसी' और 'हसरत' से कविताये भी लिखते है। बाद में उनके दल के भरोसेमंद साथी बन गए। इस तरह से वे क्रांतिकारी जीवन में आ गए। बाद में कुछ समय तक साथ रहने के बाद अश्फाक और बिस्मिल भी अच्छे दोस्त बन गये। अश्फाक जब भी कुछ लिखते थे तो तुरंत बिस्मिल को जाकर दिखाते थे और बिस्मिल उनकी जांच कर के गलतियों को सुधारते भी थे। कई बाद तो बिस्मिल और अश्फाक के बीच कविताओ और शायरियो की जुगलबंदी भी होती थी, जिसे उर्दू भाषा में मुशायरा भी कहा जाता है।
वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे उनके लिये मंदिर और मस्जिद एक समान थे। एक बार शाहजहाँपुर में हिन्दू और मुसलमान आपस में झगड़ गए और मारपीट शुरू हो गयी। उस समय अशफाक बिस्मिल के साथ आर्य समाज मन्दिर में बैठे हुए थे। कुछ मुसलमान मंदिर पर आक्रमण करने की फ़िराक में थे। अशफाक ने फ़ौरन पिस्तौल निकाल लिया और गरजते हुए बोले 'मैं भी कट्टर मुस्लमान हूँ लेकिन इस मन्दिर की एक एक ईट मुझे प्राणों से प्यारी हैं। मेरे लिये मंदिर और मस्जिद की प्रतिष्ठा बराबर है। अगर किसी ने भी इस मंदिर की नजर उठाई तो मेरी गोली का निशाना बनेगा। अगर तुम्हें लड़ना है तो बाहर सड़क पर जाकर खूब लड़ो।' यह सुनकर सभी के होश उड़ गए और किसी का साहस नहीं हुआ कि उस मंदिर पर हमला करे।
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर सन् 1927 को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है।
1857 के गदर में उन लोगों (उनके ननिहाल वालों) ने जब हिन्दुस्तान का साथ नहीं दिया तो जनता ने गुस्से में आकर उनकी आलीशान कोठी को आग के हवाले कर दिया था। वह कोठी आज भी पूरे शहर में जली कोठी के नाम से मशहूर है। बहरहाल अशफ़ाक़ ने अपनी कुरबानी देकर ननिहाल वालों के नाम पर लगे उस बदनुमा दाग को हमेशा-हमेशा के लिये धो डाला।
राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ की दोस्ती :-
चौरी-चौरा कांड के बाद जब महात्मा गांधी ने अपना असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तब हजारों की संख्या में युवा खुद को धोखे का शिकार समझ रहे थे। अशफ़ाक उल्ला खां उन्हीं में से एक थे। उन्हें लगा अब जल्द से जल्द भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के साथ वह शाहजहांपुर के प्रतिष्ठित और समर्पित क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ जुड़ गए।
आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे। वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे। धर्मों में भिन्नता होने के बावजूद दोनों का मकसद सिर्फ देश को स्वराज दिलवाना ही था। यही कारण है कि जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए। धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई।
काकोरी कांड
जब क्रांतिकारियों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों से विनम्रता से बात करना या किसी भी प्रकार का आग्रह करना फिजूल है तो उन्होंने विस्फोटकों और गोलीबारी का प्रयोग करने की योजना बनाई। इस समय जो क्रांतिकारी विचारधारा विकसित हुई वह पुराने स्वतंत्रता सेनानियों और गांधी जी की विचारधारा से बिलकुल उलट थी। लेकिन इन सब सामग्रियों के लिए अधिकाधिक धन की आवश्यकता थी। इसीलिए राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार के धन को लूटने का निश्चय किया। उन्होंने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन में जाने वाले धन को लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा।
ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों के इस बहादुरी भरे कदम से भौंचक्की रह गई थी। इसलिए इस बात को बहुत ही सीरियसली लेते हुए सरकार ने कुख्यात स्कॉटलैंड यार्ड को इसकी तफ्तीश में लगा दिया। एक महीने तक CID ने भी पूरी मेहनत से एक-एक सुबूत जुटाए और बहुत सारे क्रांतिकारियों को एक ही रात में गिरफ्तार करने में कामयाब रही। 26 सितंबर 1925 को पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। और सारे लोग भी शाहजहांपुर में ही पकड़े गए। पर अशफाक बनारस भाग निकले। जहां से वो बिहार चले गए। वहां वो एक इंजीनियरिंग कंपनी में दस महीनों तक काम करते रहे। वो गदर क्रांति के लाला हरदयाल से मिलने विदेश भी जाना चाहते थे।
अपने क्रांतिकारी संघर्ष के लिए अशफाक उनकी मदद चाहते थे। इसके लिए वो दिल्ली गए जहां से उनका विदेश जाने का प्लान था। पर उनके एक अफगान दोस्त ने, जिस पर अशफाक को बहुत भरोसा था, उन्हें धोखा दे दिया। और अशफाक को गिरफ्तार कर लिया गया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी