अरुणा आसफ़ अली निगम महापौर/ पार्षद परिचय सूची

नाम : मा.चरण जीत गांधी
पद : निगम पार्षद
वॉर्ड : 46 मोतीलाल नेहरू नगर, चंद्रभानु गुप्त
नगर निगम लखनऊ
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : समाजवादी पार्टी
चुनाव : 2017= 8247/4970 वोट
सम्मान :
NA

विवरण :

introduction
Name: Honorable Charan Jeet Gandhi
Designation: Municipal Corporator
Ward Name: 46 - Motilal Nehru Nagar, Chandrabhanu Gupta
Municipal Corporation: Lucknow
State: Uttar Pradesh
Eligibility: High School
Mobail No: 9415101121
Support: Samajwadi Party
residence : Na 
Language : Hindi and Urdu, Awadhi 
Current Time 03:17 PM 
Date: Saturday , Dec 29,2018 (IST) 
Telephone Code / Std Code: 0522 
Ward : Ward No. 04
Assembly constituency : Lucknow Cantt assembly constituency 
Assembly MLA : Dr. Reeta Joshi (BJP) Contact Number: 9415215283
Lok Sabha constituency : Lucknow parliamentary constituency 
Parliament MP : Raj Nath Singh (BJP) Contact Number: 05222235656
Lucknow Municipal Corporation Mayor: Sanyukta Bhatia
Contact Number: 9161999960
वार्ड न. 46 - मोतीलाल नेहरू नगर, चंद्रभानु गुप्त निगम पार्षद संक्षिप्त जीवनी 
नगर निगम वार्ड न. 46 - मोतीलाल नेहरू नगर, चंद्रभानु गुप्त में कुल 24983 मतदाता हैं,  निकाय चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी समर्थित नगर निगम पार्षद पद पर माननीय चरन जीत गाँधी जी ने कुल पड़े मत संख्या 8247 में से (4970)  मत प्राप्त कर 
2 = उमा शर्मा= भारतीय जनता पार्टी (2608) को 230 मतों से हराकर चुनाव जीता 
3- रेशमा = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (2992 ) मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे

लखनऊ नगर निगम उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ के नागरिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन के लिए जिम्मेदार नगर निगम है। संगठन, संक्षेप में, एलएमसी के रूप में जाना जाता है। यह नागरिक प्रशासनिक निकाय शहर की स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य और पार्कों जैसी अन्य सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन करता है। निगम में कुल110 वार्ड और 2327968 मतदाता हैं,

निकाय चुनाव 2017 में नगर निगम महापौर पद पर भारतीय जनता पार्टी समर्थित माननीय संयुक्ता भाटिया ने कुल पड़े मत संख्या 899449 में से (377166) 41.94 मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार 

2 - मीरा वर्धन = समाजवादी पार्टी (245810) 27.34 को 131356 अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 

3- प्रेमा अवस्थी =भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस  (109571) 12.19 मत प्राप्त कर तीसरे  स्थान पर रहे । वर्तमान मेयर संयुक्ता भाटिया हैं जबकि वर्तमान आयुक्त राकेश कुमार सिंह  हैं , नगरसेवकों का चयन करने के लिए हर पांच साल में चुनाव होते हैं। विभिन्न राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को नामित करते हैं और संबंधित वार्ड के लोग अपने वार्ड के लिए नगरसेवक का चुनाव करने के लिए चुनाव के दौरान अपना वोट डालते हैं। 

लखनऊ  भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है।[2]कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है।

लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है।[3] इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है।[4] आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है।[5] यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं।

लखनऊ का इतिहास

लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। यह भगवान राम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था।[6][7] अत: इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। यहां से अयोध्या भी मात्र ८० मील दूरी पर स्थित है।[6] एक अन्य कथा के अनुसार इस शहर का नाम, \\\\\\\'लखन अहीर\\\\\\\' जो कि \\\\\\\'लखन किले\\\\\\\' के मुख्य कलाकार थे, के नाम पर रखा गया था।[कृपया उद्धरण जोड़ें] लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफ़ुद्दौला ने १७७५ ई. में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। लेकिन बाद के नवाब विलासी और निकम्मे सिद्ध हुए। इन नवाबों के काहिल स्वभाव के परिणामस्वरूप आगे चलकर लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध का बिना युद्ध ही अधिग्रहण कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। १८५० में अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। लखनऊ के नवाबों का शासन इस प्रकार समाप्त हुआ।[6]

सन १९०२ में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूनाइटेड प्रोविन्स या यूपी कहा गया। सन १९२० में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से बदल कर लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ स्थापित की गयी। स्वतन्त्रता के बाद १२ जनवरी सन १९५० में इस क्षेत्र का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रख दिया गया और लखनऊ इसकी राजधानी बना। इस तरह यह अपने पूर्व लघुनाम यूपी से जुड़ा रहा। गोविंद वल्लभ पंत इस प्रदेश के प्रथम मुख्यमन्त्री बने। अक्टूबर १९६३ में सुचेता कृपलानी उत्तर-प्रदेश एवं भारत की प्रथम महिला मुख्यमन्त्री बनीं।

शहर और आस-पास

पुराने लखनऊ में चौक का बाजार प्रमुख है। यह चिकन के कारीगरों और बाजारों के लिए प्रसिद्ध है। यह इलाका अपने चिकन के दुकानों व मिठाइयों की दुकाने की वजह से मशहूर है। चौक में नक्खास बाजार भी है। यहां का अमीनाबाद दिल्ली के चाँदनी चौक की तरह का बाज़ार है जो शहर के बीच स्थित है। यहां थोक का सामान, महिलाओं का सजावटी सामान, वस्त्राभूषण आदि का बड़ा एवं पुराना बाज़ार है। दिल्ली के ही कनॉट प्लेस की भांति यहां का हृदय हज़रतगंज है। यहां खूब चहल-पहल रहती है। प्रदेश का विधान सभा भवन भी यहीं स्थित है। इसके अलावा हज़रतगंज में जी पी ओ, कैथेड्रल चर्च, चिड़ियाघर, उत्तर रेलवे का मंडलीय रेलवे कार्यालय (डीआरएम ऑफिस), लाल बाग, पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय (पीएमजी), परिवर्तन चौक, बेगम हज़रत महल पार्क भी काफी प्रमुख़ स्थल हैं। इनके अलावा निशातगंज, डालीगंज, सदर बाजार, बंगला बाजार, नरही, केसरबाग भी यहां के बड़े बाजारों में आते हैं। अमीनाबाद लखनऊ का एक ऐसा स्थान है जो पुस्तकों के लिए मशहूर है।

यहां के आवासीय इलाकों में सिस-गोमती क्षेत्र में राजाजीपुरम, कृष्णानगर, आलमबाग, दिलखुशा, आर.डी.एस.ओ.कालोनी, चारबाग, ऐशबाग, हुसैनगंज, लालबाग, राजेंद्रनगर, मालवीय नगर, सरोजिनीनगर, हैदरगंज, [[ठाकुरगंज एवं सआदतगंज आदि क्षेत्र हैं। ट्रांस-गोमती क्षेत्र में गोमतीनगर,इंदिरानगर, महानगर, अलीगंज, डालीगंज, नीलमत्था कैन्ट, विकासनगर, खुर्रमनगर, जानकीपुरम एवं साउथ-सिटी (रायबरेली रोड पर) आवासीय क्षेत्र हैं।

पर्यटन स्थल

शहर और आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें ऐतिहासिक स्थल, उद्यान, मनोरंजन स्थल एवं शॉपिंग मॉल आदि हैं। यहां कई इमामबाड़े हैं। इनमें बड़ा एवं छोटा प्रमुख है। प्रसिद्ध बड़े इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने १७८४ में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। यहां एक अनोखी भूल भुलैया है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं। इसके अलावा छोटा इमामबाड़ा, जिसका असली नाम हुसैनाबाद इमामबाड़ा है मोहम्मद अली शाह की रचना है जिसका निर्माण १८३७ ई. में किया गया था। इसे छोटा इमामबाड़ा भी कहा जाता है।

सआदत अली का मकबरा बेगम हजरत महल पार्क के समीप है। इसके साथ ही खुर्शीद जैदी का मकबरा भी बना हुआ है। यह मकबरा अवध वास्तुकला का शानदार उदाहरण हैं। मकबरे की शानदार छत और गुम्बद इसकी खासियत हैं। ये दोनों मकबरे जुड़वां लगते हैं। बड़े इमामबाड़े के बाहर ही रूमी दरवाजा बना हुआ है। यहां की सड़क इसके बीच से निकलती है। इस द्वार का निर्माण भी अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत किया गया था। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा १७८२ ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। जामी मस्जिद हुसैनाबाद इमामबाड़े के पश्चिम दिशा स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मोहम्मद शाह ने शुरू किया था लेकिन १८४० ई. में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इसे पूरा करवाया। मोती महल गोमती नदी की सीमा पर बनी तीन इमारतों में से प्रमुख है। इसे सआदत अली खां ने बनवाया था।

लखनऊ रेज़ीडेंसी के अवशेष ब्रिटिश शासन की स्पष्ट तस्वीर दिखाते हैं। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के समय यह रेजिडेन्सी ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेन्ट का भवन था। यह ऐतिहासिक इमारत हजरतगंज क्षेत्र में राज्यपाल निवास के निकट है। लखनऊ का घंटाघर भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। हुसैनाबाद इमामबाड़े के घंटाघर के समीप १९वीं शताब्दी में बनी एक पिक्चर गैलरी है। यहां लखनऊ के लगभग सभी नवाबों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं।

कुकरैल फारेस्ट एक पिकनिक स्थल है। यहां घड़ियालों और कछुओं का एक अभयारण्य है। यह लखनऊ के इंदिरा नगर के निकट, रिंग मार्ग पर स्थित है। बनारसी बाग वास्तव में एक चिड़ियाघर है, जिसका मूल नाम प्रिंस ऑफ वेल्स वन्य-प्राणी उद्यान है। स्थानीय लोग इस चिड़ियाघर को बनारसी बाग कहते हैं। यहां के हरे भरे वातावरण में जानवरों की कुछ प्रजातियों को छोटे पिंजरों में रखा गया है। यह देश के अच्छे वन्य प्राणी उद्यानों में से एक है। इस उद्यान में एक संग्रहालय भी है।

इनके अलावा रूमी दरवाजा, छतर मंजिल, हाथी पार्क, बुद्ध पार्क, नीबू पार्क मैरीन ड्राइव और इंदिरा गाँधी तारामंडल भी दर्शनीय हैं। लखनऊ-हरदोइ राजमार्ग पर ही मलिहाबाद गांव है, जहां के दशहरी आम विश्व प्रसिद्ध हैं। लखनऊ का अमौसी हवाई अड्डा शहर से बीस किलोमीटर दूर अमौसी में स्थित है। शहर से ९० किलोमीटर की दूरी पर ही नैमिषारण्य तीर्थ है। इसका पुराणों में बहुत ऊंचा स्थान बताया गया है। यहीं पर ऋषि सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को पुराणों का आख्यान दिया था। लखनऊ के निकटवर्ती शहरों में कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, फैजाबाद, बाराबंकी, हरदोई हैं।

धार्मिक सौहार्द

लखनऊ में वैसे तो सभी धर्मों के लोग सौहार्द एवं सद्भाव से रहते हैं, किंतु हिन्दुओं एवं मुस्लिमों का बाहुल्य है। यहां सभी धर्मों के अर्चनास्थल भी इस ही अनुपात में हैं। हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों में हनुमान सेतु मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, अलीगंज का हनुमान मंदिर, भूतनाथ मंदिर, इंदिरानगर, चंद्रिका देवी मंदिर, नैमिषारण्य तीर्थ और रामकृष्ण मठ, निरालानगर हैं।[37] यहां कई बड़ी एवं पुरानी मस्जिदें भी हैं। इनमें लक्ष्मण टीला मस्जिद, इमामबाड़ा मस्जिद एवं ईदगाह प्रमुख हैं। प्रमुख गिरिजाघरों में कैथेड्रल चर्च, हज़रतगंज, इंदिरानगर (सी ब्लॉक) चर्च, सुभाष मार्ग पर सेंट पाउल्स चर्च एवं असेंबली ऑफ बिलीवर्स चर्च हैं।[38] यहां हिन्दू त्यौहारों में होली,[39] दीपावली, दुर्गा पूजा एवं दशहरा और ढेरों अन्य त्यौहार जहां हर्षोल्लास से मनाये जाते हैं, वहीं ईद और बारावफात तथा मुहर्रम के ताजिये भी फीके नहीं होते। साम्प्रदायिक सौहार्द यहां की विशेषता है। यहां दशहरे पर रावणके पुतले बनाने वाले अनेकों मुस्लिम एवं ताजिये बनाने वाले अनेकों हिन्दू कारीगर हैं।[

आवागमन

वायुमार्ग

लखनऊ का अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, जयपुर, पुणे, भुवनेश्वर, गुवाहाटी और अहमदाबाद से प्रतिदिन सीधी फ्लाइट द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेलमार्ग

चारबाग रेलवे जंक्शन भारत के प्रमुख शहरों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से लखनऊ मेल और शताब्दी एक्सप्रेस, मुम्बई से पुष्पक एक्सप्रेस, कोलकाता से दून एक्स्प्रेस और हावड़ा एक्स्प्रेस 3050 के माध्यम से लखनऊ पहुंचा जा सकता है। चारबाग स्टेशन के अलावा लखनऊ जिले में कई अन्य स्टेशन भी हैं:-

२ किलोमीटर दूर ऐशबाग रेलवे स्टेशन,

५ किलोमीटर पर लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन,

७ किलोमीटर पर आलमनगर रेलवे स्टेशन,

११ किलोमीटर पर बादशाहनगर रेलवे स्टेशन तथा

अमौसी रेलवे स्टेशन हैं।

इसके अतिरिक्त मल्हौर में १३ कि.मी, गोमती नगर में १५ कि.मी, काकोरी १५ कि.मी, मोहनलालगंज १९ कि.मी, हरौनी २५ कि.मी, मलिहाबाद २६ कि.मी, सफेदाबाद २६ कि.मी, निगोहाँ ३५ कि.मी, बाराबंकी जंक्शन ३५ कि.मी, अजगैन ४२ कि.मी, बछरावां ४८ कि.मी, संडीला ५३ कि.मी, उन्नाव जंक्शन ५९ कि.मी तथा बीघापुर ६४ कि.मी पर स्थित हैं। इस प्रकार रेल यातायात लखनऊ को अनेक छोटे छोटे गाँवों और कस्बों से जोड़ता है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग २४ से दिल्ली से सीधे लखनऊ पहुंचा जा सकता है। लखनऊ का राष्ट्रीय राजमार्ग २ दिल्ली को आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर के रास्ते कोलकाता से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २५ झांसी को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २८ मुजफ्फरपुर से, राष्ट्रीय राजमार्ग ५६ वाराणसी से जोड़ते हैं।

Mayors

Mayorterm startterm ended

Raj Kumar Srivastava1 February 19601 February 1961

Giriraj Dharna Rastogi2 February 19611 May 1962

Purushottam Das Kapoor2 May 19621 May 1964

V R Mohan2 May 19641 May 1965

Om Narayan Bansal2 May 196531 June 1966

Madan Mohan Singh Sidhu4 July 196830 June 1969

Balak Ram Vaishya1 July 196930 June 1970

Beni Prasad Halwasiya1 July 197030 June 1971

Dauji Gupta5 July 197127 May 1992

Akhilesh Das Gupta 13 May 199330 November 1995

S. C. Rai1 December 199513 February 2006

Dinesh Sharma14 November 200622 March 2017

Suresh Awasthi23 March 201730 November 2017

Sanyukta Bhatia1 December 2017present

लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल

लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस प्रमुख राजनीतिक दल हैं।

लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक।

 डॉ। रीता जोशी बीजेपी से हैं

लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

लखनऊ

लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2012 प्रो। रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस 63052 = 21753 सुरेश चंद्र तिवारी बीजेपी 41299

2007 सुरेश चंद्र तिवारी भाजपा 30444 = 5376 अरविंद कुमार त्रिपाठी उर्फ गुड्डू बसपा 25068

2002 सुरेश चंद्र तिवारी बीजेपी 36473 = 15347 शारदा प्रताप शुक्ला एसपी 21126

1996 सुरेश चंद्र तिवारी बीजेपी 61836 = 43786 राज किशोर मिश्रा एसपी 18050

1993 सतीश भाटिया बीजेपी 48898 = 22046 गुरूबक्स सिंह बक्सी उर्फ़ बाबा एसपी 26852

1991सतीश भाटिया भाजपा 32159 = 16356 प्रेमवारी तिवारी कांग्रेस 15803

1989 प्रेमवती तिवारी कांग्रेस 19204 = 2059 सच्चिदानंद जद 17145

1985 प्रेमवती तिवारी कांग्रेस 29186 = 23785 बद्री प्रसाद अवस्थी बीजेपी 5401

1980 प्रेमवती तिवारी कांग्रेस 22300 = 14102 बद्री प्रसाद अवस्थी बीजेपी 8198

1977 कृष्णा कांत मिश्रा JNP 22028 = 11982 अवतार सिंह कांग्रेस10046

1974 रण सिंह कांग्रेस 25242 = 12156 सचिदानंद बीकेडी 13086

1969 सच्चिदा नंद BKD 19721 = 7862 बालक राम वैश्यकांग्रेस 11859

1967  बी। पी। अवस्थी  13299 = 434 बी। आर। वैश कांग्रेस12865

1962 बालक राम वैश कांग्रेस 15468 = 4922 छोटे लाल यादव JS 10546

1957 श्याम मनोहर मिश्रा कांग्रेस 18849 = 8687 गोविंद प्रसाद BJS10162

 

विकास कार्य :

समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की जनता को क्या क्या यौजना नागरिकों के लिये लागू की हैं

 प्रदेश मे किये गये विकास कार्य.....

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले 5 वर्षों में क्या-क्या कार्य किये, इसकी एक संक्षिप्त बानगी

*1. किसानों की कर्ज माफ़ी - 1650 करोड़*

*2. ओला पीड़ित किसानों को मदद – 2900 करोड़*

*3. किसानों का फिर ऋण माफ़ी – 38000 करोड़*

*4. किसानों को क्रेडिट कार्ड – 36लाख किसान परिवार*

*5. किसानों को अनुदान – 25 हजार करोड़*

*6. किसानों का दुर्घटना बीमा – 2.72 लाख किसान*

*7. मुफ्त सिंचाई – 55 लाख किसान परिवार*

 

*8. मुफ्त बैटरी रिक्शे – 2.5 लाख*

*9. बुनकरों का बकाया बिजली बिल माफ़*

*10. मजदूरों को बीमा व् पेंशन अनुदान*

*11. मजदूरों को मुफ्त सायकिलें – 1 लाख से ज्यादा*

*12. मुफ्त दवाई व जांच*

*13. मुफ्त शिक्षा, ड्रेस मिड डे मील–2 करोड़ छात्र-छात्राएं*

*14. गरीबों को बहुत कम कीमत में अनाज*

*15. बेरोजगारी भत्ता –1000₹ की दर से 12 लाख बेरोजगारों को*

*16. समाजवादी पेंशन – 50 लाख से ज्यादा लोगों को*

*17. कन्या विद्याधन – 89 हजार छात्रायें*

*18. नि:शुल्क लैपटाप – 15 लाख*

*19. रसोइयों को मानदेय – 4 लाख*

*20. नौकरियां – 4 लाख 21 हजार*

*21. 2016 के अंत में नई नौकरियों का प्रवधान – 2 लाख*

*22. शादी हेतु अनुदान – 82916 लड़कियों को*

*23. अल्पसंख्यक मदरसों को अनुदान*

*24. मेट्रो – 5 महानगरों में योजना लखनऊ में 2 से 3 माह के अंदर मेट्रो का सुहाना सफर शुरू।

*25. लखनऊ – आगरा एक्सप्रेस वे मार्ग*

*26. लखनऊ – बलिया समाजवादी एक्सप्रेस वे मार्ग का काम शुरू*

*27. इटावा में लायन सफारी की स्थापना*

*28. ग्रेटर नोएडा में नाईट सफारी*

*29. फिल्म सिटी हेतु जगह चयनित*

*30. ललितपुर में 660 मेगावाट का सोलर बिजली घर*

*31. एटा में 1320 मेगावाट का बिजली घर*

*32. हरदुआगंज में – 660 मेगावाट का बिजलीघर*

*33. नई सडक – 1966 किलोमीटर*

*34. सडकों का नवीनिकरण – 10200 किलोमीटर*

*35. गड्ढा मुक्त सड़के – 60107 किलोमीटर*

*36. पुलों का निर्माण – 43*

*37. औद्योगिक निवेश – 65 हजार करोड़*

*38. नई बैंक शाखाएँ – 3200

*39. सायकिल ट्रैक*

*40. बुंदेलखंड में नये बांधों का निर्माण*

*41. बुंदेलखंड विकास के लिए कई सहायता पैकेज*

*42. एशिया का सबसे बड़ा पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क का निर्माण*

*43. सिनेमा घर - 560*

*44. इत्र पार्क की स्थापना*

*45. इत्र म्यूजियम की स्थापना*

*46. हस्तशिल्प पार्क *

*47. महिला बाजारों की शुरुआत*

*48. लखीमपुर के विकास के लिए करोड़ो का पैकेज दिये और 4 लेन से जोड़ने का काम किये।

*49. 23 करोड़ पेड़ लगाने का रिकार्ड आने वाली पीढ़ी को स्वक्ष वातावरण देने के लिए*

*50. दुग्ध उद्योग को बढ़ावा*

*51. नये हैण्ड पम्प – 61572*

*52. 50 पीड़ित परिवारों को 20-45 लाख की मदद*

*53. हजारों परिवारों को 5-5 लाख की मदद*

*54. सात जिलों में नये मेडिकल कालेज*

*55. 108 व 102 एम्बुलेंस सेवा का नि:शुल्क संचालन*

*56. बृद्धावस्था पेंशन – 52 हजार बुजुर्गों को*

*57. बेटियों की शादी के लिए अनुदान – 10 हजार रूपये*

*58. सस्ते आवास – 3 लाख*

*59. अपराध नियंत्रण के लिए थानों को दी गयी नई गाड़ियाँ – 1056*

*60.डॉयल 100 को किया गया और विश्व लेबल की टेक्नालॉजी से युक्त जिससे अपराध मुक्त हो उत्तर-प्रदेश*

*61. पुलिस भर्ती – 41 हजार*

*62. वैट माफ़ – 50 जरूरी चीजो

*63.गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर,हर्ट बाईपास एवं किडनी ट्रांसप्लांट आदि बीमारियों के इलाज हेतु विशेष सहायता राशि की व्यवस्था।*

*64.रायबरेली में मुफ्त जमीन देकर एम्स का निर्माण करवाना ।*

*65.समग्र-लोहिया ग्राम योजना के माध्यम से गाँवों का सम्पूर्ण विकास एवं गरीबों को मुफ़्त 3.5 लाख ₹ के आवास।*

*66.जनेश्वर मिश्र योजना के अंतर्गत गाँवो का चयन करके गांव में विकास कार्य*

*67.सोनभद्र में अनपरा डी की एक नई इकाई का लोकार्पण कर बढ़ाया विधुत उत्पादन एक और नई पर कार्य प्रगति पर*

*68.किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प और अन्य कृषक उपकरण व्यवस्था।*

*69.महिलाओं की सुरक्षा हेतु 1090 का कुशल संचालन जिससे सोहदों पर लगा नियंत्रण*

*70.छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति के माध्यम से मुफ्त शिक्षा व्यवस्था का प्रबन्ध*

*71.कौशल विकास मिशन के माध्यम से युवाओं को मुफ्त में शिक्षित कर रोजगार दिलाना*

*72.हौसला पोषण योजना’ का शुभारंभ, गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों को मिलेगा लाभ

अरुणा आसफ़ अली की जीवनी
पूरा नाम – अरुणा आसफ़ अली
जन्म – 16 जुलाई 1909
जन्मस्थान – कालका ग्राम, पंजाब
पिता – उपेन्द्रनाथ गांगुली
माता – अम्बालिका देवी
विवाह – आसफ़ अली

अरुणा आसफ अली का जन्म अरुणा गांगुली के नाम से 16 जुलाई 1909 को ब्रिटिश कालीन भारत में बंगाली ब्राह्मण परीवार में पंजाब के कालका ग्राम में हुआ था। उनके पिता उपेन्द्रनाथ गांगुली एक रेस्टोरेंट के मालिक थे। उनकी माता अम्बालिका देवी त्रिलोकनाथ सान्याल की बेटी थी।
उपेन्द्रनाथ गांगुली का छोटा भाई धीरेंद्रनाथ गांगुली भूतकालीन फ़िल्म डायरेक्टर थे। उनका एक और भाई नागेंद्रनाथ एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर थे जिन्होंने नोबेल प्राइज विनर रबीन्द्रनाथ टैगोर की बेटी मीरा देवी से विवाह किया था।
अरुणा की बहन पूर्णिमा बनर्जी भारत के कांस्टिटुएंट असेंबली की सदस्य है। अरुणा की पढाई लाहौर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में पूरी हुई। ग्रेजुएशन के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में वह पढाने लगी। वहा उनकी मुलाकात आसफ अली से हुई, जो अल्लाहाबाद में कांग्रेस पार्टी की नेता थे। 1928 में अपने परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने सितम्बर 1928 में विवाह कर लिया।
आसफ अली विवाह करने और महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी की एक सक्रीय सदस्य बनी। हिंसात्मक होने की वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और इसीलिये 1931 के गांधी-इरविन करार के बावजूद उन्हें छोड़ा नही गया।
लेकिन कैद बाकी महिलाओ ने उनका साथ देते हुए कहा की वे तभी जेल छोड़ेंगे जब अरुणा आसफ अली को भी रिहा किया जायेगा। लोगो के भारी सहयोग को देखते हुए आख़िरकार अधिकारियो को अरुणा आसफ अली को रिहा करना ही पड़ा।
1932 में उन्होंने तिहार जेल में अपनी विविध मांगो को लेकर भूख हड़ताल भी की थी। उस समय तिहार जेल की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण उनकी भूक हड़ताल से तिहार जेल में काफी सुधार हुए। बाद में वह अम्बाला चली गयी।
महात्मा गांधी के आह्वान पर हुए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अरुणा आसफ अली ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं जब सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने अद्भुत कौशल का परिचय दिया और नौ अगस्त के दिन मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा झंडा फहराकर अंग्रेजों को देश छोड़ने की खुली चुनौती दे डाली।
अरुणा आसफ़ अली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फहराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद भी वह राजनीती में हिस्सा लेती रही और 1958 में दिल्ली की मेयर बनी। 1960 में उन्होंने सफलतापूर्वक मीडिया पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। Aruna Asaf Ali के या योगदान को देखते हुए 1997 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज अरुणा आसफ अली भले ही हमारे बीच नहीं हैं। पर उनके कार्य और उनका अंदाज आने वाली पीढ़ियों को सदैव रास्ता दिखाते रहेंगें। उन्हें यूँ ही स्वतंत्रता संग्राम की ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी‘ नहीं कहा जाता है।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी अरुणा आसफ़ अली के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी