बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

स्वच्छ भारत अभियान

कोतवाल धन सिंह गुर्जर कर्मठ पुलिस प्रशासन सम्मान पत्र

नाम : श्री उदयभान गोदारा
पद : थाना प्रभारी (S.H.O.)
नियुक्त : हांसी नगर
ज़िला : हिसार
राज्य : हरियाणा
सम्मान : NA
उपलब्धि/सामाजिक कार्य विवरण :

introduction

Mr.Udayabhan Godara

Post: Station Incharge (SHO)

Police Station: Hansi Nagar

District: Hisar

State: Haryana

Mob : 9813035355

हांसी शहर के बारे में 

हांसी-  भारत के हरियाणा राज्य के हिसार जिले में हांसी-तहसील में एक शहर है। यह हिसार डिवीजन से संबंधित है। यह जिला मुख्यालय हिसार से पूर्व की ओर 28 किमी स्थित है। यह एक तहसील प्रमुख तिमाही है।

हांसी-पिन कोड 125033 है और डाक प्रमुख कार्यालय टी सी हांसी है।

धनी राजू (3 किलोमीटर), सैनीपुरा (3 किमी), धनी पिरान (4 किमी), धनी कुमरन (4 किमी), धनी पुराया (5 किलोमीटर) हंससी-आई के पास के गांव हैं। हांसी- मैं बावानी खेरा तहसील से दक्षिण की तरफ, नारनुंड तहसील उत्तर की ओर, हिसार-आई तहसील पश्चिम की ओर, हांसी तहसील पूर्व की तरफ घिरा हुआ हूं।

हांसी, हिसार, बरवाला, भिवानी हंससी-आई के पास के शहर हैं।

यह जगह हिसार जिला और भिवानी जिले की सीमा में है। भिवानी जिला बावानी खेरा इस जगह की ओर दक्षिण है।

हांसी- के जनसांख्यिकी

अंग्रेजी यहां स्थानीय भाषा है।

हांसी में राजनीति

एचजेसीबीएल, आईएनएलडी, आईएनसी, बीजेपी  इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।

हांसी के पास मतदान केंद्र / बूथ

1) S.d। लड़की सीनियर सेक। स्कूल हांसी (पूर्वी विंग)

2) रविदा धर्मशाला हांसी (पश्चिम विंग)

3) वेष पंचायती धर्मशाला हांसी (पूर्वी विंग)

4) अनुसूचित जाति चौपाल मुजादपुर

5) चौपाल अनुसूची जाति भटोल जाटन

लोकसभा निर्वाचन क्ष्रेत्र के मौजूदा सांसद 

माननीय दुष्यंत चौटाला आईएनएलडी संपर्क न. 9811600003

हांसी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक।

माननीय रेणुका बिश्नोई  एचजेसीबीएल पार्टी संपर्क न. 01662-244595

हांसी विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

हांसी

हांसी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

2014  रेणुका बिश्नोई एचजेसीबीएल 46335 = 14652 उम्मेद सिंह लोहान आईएनएलडी  31683

2009 विनोद भायना एचजेसीबीएल 36529 = 6283 प्रो। चतरार पाल सिंह कांग्रेस   30246

2005  अमीर चंद कांग्रेस   33665 = 4453 विनोद भायण निर्दलीय  29212

2000  सुभाष चंद आईएनएलडी 22435 = 5707 अमीर चंद निरलादिय 16728

1996 अटार सिंह एचवीपी 51767 =28671 अमीर चंद एस कांग्रेस 23096

1991  अमीर चंद निर्लदलीय  19689 = 1921 अटार सिंह निर्दलीय 17768

1987  पर्दीप कुमार चौधरी बीजेपी 47867 = 29431 अमीर चंद कांग्रेस  18436

1982  अमीर चंद एलकेडी 20934 = 3793 हरि सिंह कांग्रेस 17141

1977  बलदेव तय्यल जेएनपी 22732 = 9193 अमीर चंद इंड निर्दलीय 13539

1972  इशर सिंह निर्दलीय 14896 = 3753 हरि सिंह कांग्रेस  11143

1 9 68 जेन हरि सिंह कांग्रेस   13608 = 4245 अजीत सिंह वीएचपी 9363

1 9 67 जेएन एच सिंह कांग्रेस   16435 = 9664 के सिंह सिंह निर्दलीय 6771

हांसी कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

हांसी रेल वे स्टेशन, औरंग नगर रेल वे स्टेशन हांसी-आई के बहुत पास के रेलवे स्टेशन हैं। कैसे रोहतक जेएन रेल वे स्टेशन हांसी-आई के पास 71 किलोमीटर के प्रमुख रेलवे स्टेशन है

शहरों के नजदीक

हांसी 3 किमी निकट

हिसार के पास 24 किमी

बरवाला 35 किमी निकट

भिवानी 43 किमी निकट

तालुक के पास

हांसी मैं निकट केएम

बावानी खेरा 17 किलोमीटर दूर

नारनंद 24 किमी निकट

हिसार-i 24 किमी निकट

एयर पोर्ट्स के पास

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे 141 किमी 

मुजफ्फरनगर हवाई अड्डे के पास 18 9 किलोमीटर

चंडीगढ़ हवाई अड्डे के पास 215 किलोमीटर 

सूरत गुजरात एयरपोर्ट 223 किलोमीटर 

पर्यटक स्थलों के पास

हांसी 0 किलोमीटर निकट है

भिवानी 43 किमी निकट

भिंडवास के पास 95 किलोमीटर 

पानीपत 115 किमी निकट

मनसा 127 किलोमीटर निकट

जिलों के पास

हिसार 26 किमी निकट

भिवानी 41 किलोमीटर दूर है

जिंद 47 किलोमीटर निकट

रोहतक 69 किमी निकट

रेलवे स्टेशन के पास

हांसी रेल वे स्टेशन 2.4 किलोमीटर दूर है

औरंग नगर रेल मार्ग स्टेशन 8.9 किलोमीटर निकट है

भिवानी रेल वे स्टेशन 41 किलोमीटर दूर है

जिंद जेएन रेल वे स्टेशन 45 किलोमीटर दूर है

 

श्री उदयभान गोदारा जी को राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान एवं क्षेत्र में अपराधियों के खिलाफ की गयी कार्यवाही से अपराध पर अंकुश लगाने तथा सामाजिक कार्यों के प्रति रूचि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के प्रचार प्रसार में संस्था को दिया गया सहयोग, सोशल  मिडिया के माध्यम से नागरिकों से संबाद स्थापित कर पुलिस के प्रति विश्वास कायम किया देश के महान क्रांतिकारियों की जीवनी जन जन तक पहुंचने हेतु संस्था श्रीमान जी को भारतीय डिजिटल रिकॉर्ड सूचि में दर्ज कर कोतवाल धनसिंह गुर्जर कर्मठ पुलिस प्रशासन सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है संस्था आपकी ईमानदारी को सलाम करती है : मेहनाज़ अंसारी 

हरियाणा पुलिस 

कोतवाल धन सिंह गुर्जर जीवनी : कोतवाल धन सिंह गुर्जर भारत के प्रथम स्वतंत्रा संग्राम के प्रथम क्रान्तिकारी थे। जिन्होने 10 मई 1857 को मेरठ से क्रान्ति शूरूआत की।
इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति का प्रारम्भ/आरम्भ ”10 मई 1857“ को ”मेरठ“ में हुआ था और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है उस दिन मेरठ में धनसिंह के नेतृत्व में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। धन सिंह कोतवाल जनता के सम्पर्क में थे, धनसिंह का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में भारतीय क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस चीफ के पद पर थे। 10 मई 1857 को धन सिंह ने की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया। और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात २ बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था सब नष्ट कर चुकी थी। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, और सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गुर्जर है इसलिए उसने गुर्जरो की भीड को नहीं रोका और उन्हे खुला संरक्षण दिया। इसके बाद घनसिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया 1857 की क्रान्ति की शुरूआत धन सिंह कोतवाल ने की अतः इसलिए 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते है। मेरठ की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः 4 बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपों से हमला किया। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनको कैद कर फांसी की सजा दे दी गई। आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक "स्वाधीनता आन्दोलन" और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। कोतवाल का नारा -मारो या मरो
साधू व कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने छावनी में जाकर सैनिको को अंग्रेजो से बगावत करने को लिये प्रेरित किया व साथ ही जेल में बंद कैदियो को कोतवाल जी ने अपने साथ क्रान्ति के लिये तैयार कर लिया। कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने गांव को साथ साथ आसपास के सभी गांवो में गुप्तखाने यह संदेश भिजवा दिया कि अंग्रेजो के खिलाफ दस मई को शाम पांच बजे निर्णायक लडाई लडी जायेगी ,सब को मेरठ की कोतवाली में आना है। और हुआ भी यहीं किसानो की घुटन ने लू में तपिश बढा दी ,सैनिको के क्रोध ने दस मई की उस शाम को रौद्र रूप धारण कर लिया और जैसे ही मेरठ में पांच बजे गिरजाघर व घंटाघर के घंटे बजे और अंग्रेजो ने चर्च में जाकर प्रार्थना की ,ठीक उसी समय मेरठ की कोतवाली में कोतवाल के नारे मारो या मरो के उदघोष के साथ सदियो से गुलाम भारत की आजादी का बिगुल बज उठा।दस मई की वह सांझ कोई साधारण सांझ नहीं थी बल्कि किसानो व सैनिको की साझी सांझ थी जिसमें वे अपने हको के लिये लड रहे थे, पराधीनता की रातो से लडकर आने वाले कल का सवेरा आजाद व खुशहाल देखना चाहते थे।
यह सांझ हिंदू व मुसलमानो की साझी सांझ थी जब दोनो समुदायो ने कंधे से कंधा मिलाकर इस जनक्रान्ति में बढ चढकर हिस्सा लिया व भाइचारे की मिशाल कायम की। कोतवाली में क्रान्ति का पहला कदम उठा , कोतवाल ने पुलिस के सिपाहियो से क्रान्ति के लिये आह्वान किया जो साथ ना आये उन्हें अंदर जाकर चुप बैठने को कहा व बाकि को साथ लेकर मेरठ के कारागारो में बंद कैदियो को क्रान्ति में शामिल होने की शर्त पर ताला तोडकर 850 कैदियों को रिहा कर दिया व कोतवाली के हथियार बांट दिये। इस प्रकार कोतवाली से कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में चली यह टुकडी मुक्तिवाहिनी बन गयी।
मेरठ कैंट में पहुँचकर वहाँ भारतीय सैनिको ने जबरदस्त विद्रोह कर दिया व मारो फिरंगियो को ,मारो गोरो को नारो के साथ अंग्रेज अधिकारियो को मार दिया मगर बच्चो व औरतो को सुरक्षित गिरजाघर में जाने दिया ।वहीं गांवो से किसानो ने कूच करना शुरू किया व ले लो ,ले लो जैसे जोशीले नारे के साथ आसमान गूंज उठा । ले लो ,ले लो यह नारा गांव देहात में अब भी जोश व ललकार को लिये लगाया जाता है । उसी दिन किसान,पुलिस सिपाही ,बागी व सैनिको का समूह जो कि अब मुक्तिवाहिनी का रूप से चुका था कोतवाल धन सिंह गुर्जर को नेतृत्व में दिल्ली की ओर चल निकला।
मेरठ के इस कोतवाल ने जो अब क्रान्तिकारीयो की अगुवाई कर रहा था मारो या मरो के नारे को साथ जोश भरते हुए उसी दिन दस मई को दिल्ली की ओर प्रस्थान किया। अगले दिन क्रान्तिनायक कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में मुक्तिवाहिनी ने मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को हिंदुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया व इस गदर की कमान बहादुरशाह जफर को सौंप दी। पहले तो बादशाह बहादुरशाह जफर ने इंकार किया मगर फिर सभी क्रान्तिकारियो के आग्रह पर अंग्रेजो के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिये । उस दौर में मुगल सल्तनत अपनी आखिरी सांसे गिन रही थी व मुगल बादशाह नाम के बादशाह थे। लेकिन मुगल बादशाह का प्रभाव पूरे हिंदुस्तान में होने को कारण वीर क्रान्तिकारीयो ने मुगल बादशाह को ही कमान सौंप देना उचित समझा ।
मेरठ की क्रान्ति के जनक कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अपने असाधारण नेतृत्व कौशल का परिचय दिया व अपने जोशीले भाषण व नारो से मुक्तिवाहिनी में ऐसा जोश भरा कि मेरठ से दिल्ली तक हर रास्ते व बाधा को पार करके अंग्रेजीराज की धज्जियाँ उडाते चले गये व गुलामी की बेडियों को फेंकते चले गये। ब्रितानी भारत में औपनिवेशिक अंधेरे को क्रान्ति की मशाल से जलाकर कोतवाल धन सिहँ गुर्जर ने अनुकरणीय वीरता व नायकत्व का अनुपम उदाहरण पेश किया । धन्य है वो संत जिसने गुलामी में वैराग्य की बजाय देश को आजाद कराने की अलख जगायी।बात में अंग्रेजो ने अपने खिलाफ लोगो के ऊपर बहुत ही बर्बरतापूर्ण व अमानवीय कारवाई की । कोतवाल धन सिंह गुर्जर को मेरठ के किसी चौराहे पर 4 जुलाई 1857 को दिनदहाडे फाँसी पर चढा दिया व लोगो को हराने के लिये शव को वहीं पेड पर लटकने दिया ताकि लोगो में खौफ रहे व अंग्रेजो के खिलाफ कोई चूँ तक ना करें
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी कोतवाल धन सिंह गुर्जर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी