सुखदेव थापर एन.जी.ओ./संगठन/यूनियन/एसोसिएशन पदाधिकारी परिचय सूची

नाम :
माननीय सुरेश शर्मा
पद :
प्रदेश अध्यक्ष
संगठन :
राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन
मनोनीत :
उत्तर प्रदेश
निवास :
वैशाली
नगर/ब्लॉक :
नगर निगम गाजियाबाद
जनपद :
गाजियाबाद
राज्य :
उत्तर प्रदेश
सम्मान :

माननीय अध्यक्ष जी ने ग्र्राम पंचायत के विकास में प्रधानों सदस्यों के हक़ के लिए किये गए संघर्ष के उपरान्त देश और समाज तक महापुरुषों की जीवनी पहुंचने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्वच्छ भारत अभियान के प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने के लिए संस्था द्वारा क्रांतिकारी सुखदेव थापर संगठन सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है , मैहनाज अंसारी - संस्थापक 

विवरण :
Name : Suresh Sharma 
position : Prdesh Adhyksh
Organization : Rashtriya Panchayatiraj Gram Prdhan Sanghthan 
Address : mahveer Nivas 6/122A, Vaishali 
Ward Name : Vaishali
Nagar Nigam Name : Ghaziabad
District : Ghaziabad 
State : Uttar Pradesh 
Division : Meerut 
Language : Hindi and Urdu 
Current Time 09:50 PM
Date: Tuesday , Oct 02,2018 (IST)
Telephone Code / Std Code: 05440 
Mobail No. : 9410028445
Assembly constituency : Noida assembly constituency 
Assembly MLA : Pankaj Singh (BJP) Mob. 9899552000
Lok Sabha constituency : Gautam Buddha Nagar parliamentary constituency 
Parliament MP : Dr.Mahesh Sharma (BJP) Tel. 0120-2466528
Pin Code : 201010 
Post Office Name : I.E.Sahibabad
 
निवास स्थान वैशाली के बारे में
उत्तर प्रदेश राज्य, भारत में गाजियाबाद शहर में वैशाली एक क्षेत्र है। यह मेरठ डिवीजन से संबंधित है।
वैशाली पिन कोड 201010 है और पोस्टल हेड ऑफिस सहिबाबाद है।
कौशम्बी, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट 4, राम प्रस्थ, चंदर नगर, साहिबाबाद आसपास के इलाके वैशाली में हैं।
नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, लोनी गाजियाबाद के पास के शहर हैं।
वैशाली की जनसांख्यिकी
हिंदी यहां स्थानीय भाषा है।
वैशाली में राजनीति
बीजेपी, एसपी, बीएसपी इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
वैशाली के पास मतदान केंद्र / बूथ
1) विश्व भारती पब्लिक स्कूल सेक्टर 28 आर.एन. 6
2) जिज्ञासा। पथ। हल्दौनी आर नं। 5
3) इंदिरा गांधी कला केंद्र सेक्शन 6 नोएडा
4) एम। ए एफ अकादमी सेक्टर 62 आर.एन. ४
5) प्र पथ पथ झुंडुपुरा आरएनओ -५
नोएडा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
बीजेपी, एसपी, बीएसपी नोएडा विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।
नोएडा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक 
भाजपा पार्टी के पंकज सिंह हैं
नोएडा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंडल।
बिसारख, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा,
नोएडा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक जितने का इतिहास।
2014  विमला बाथम शर्मा बीजेपी 100433 = 58952 काजल शर्मा एसपी  41481
2012  महेश कुमार शर्मा बीजेपी 77319 = 27676 ओमदत्त शर्मा बीएसपी 49643
 
वैशाली को कैसे पहुंचे
रेल द्वारा
चंदर नगर रेलवे स्टेशन, आनंद विहार रेलवे स्टेशन वैशाली के पास रेलवे स्टेशन हैं। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन वैशाली के नजदीक प्रमुख रेलवे स्टेशन 9 किमी दूर है
 
शहरों के नजदीक
नोएडा 8 किलोमीटर 
गाजियाबाद 10 किलोमीटर
दिल्ली 10 किलोमीटर 
लोनी 15 किमी 
 
तालुक के पास
पूर्व दिल्ली 5 किमी 
उत्तर पूर्व दिल्ली 8 किमी 
गाजियाबाद 9 किमी 
नोएडा 10 किलोमीटर 
 
एयर पोर्ट्स के पास
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 28 किलोमीटर
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 105 किलोमीटर
खेरिया एयरपोर्ट 1 9 6 किलोमीटर 
देहरादून हवाई अड्डा 221 किलोमीटर 
 
पर्यटक स्थलों के पास
नोएडा 8 किलोमीटर
दिल्ली 12 किलोमीटर 
सूरजकुंड 1 9 किलोमीटर 
फरीदाबाद 27 किमी 
गुड़गांव के पास 39 किमी
 
जिलों के पास
पूर्वी दिल्ली 8 किमी 
गाजियाबाद 9 किमी 
उत्तर पूर्व दिल्ली 12 किम
केंद्रीय दिल्ली 13 किमी 
 
रेलवे स्टेशन के पास
चंदर नगर रेल मार्ग स्टेशन 3.1 किलोमीटर
आनंद विहार रेलवे स्टेशन 3.1 किमी
सामाजिक कार्य :
NA
सुखदेव थापर की जीवनी
सुखदेव थापर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब में विविध क्रांतिकारी संगठनो के वरिष्ट सदस्य थे। उन्होंने नेशनल कॉलेज, लाहौर में पढाया भी है और वही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना भी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिशो का विरोध कर आज़ादी के लिये संघर्ष करना था।
Sukhdev विशेषतः 18 दिसम्बर 1928 को होने वाले लाहौर षड्यंत्र में शामिल होने की वजह से जाने जाते है। वे भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ सह-अपराधी थे जिन्होंने उग्र नेता लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद जवाब में लाहौर षड्यंत्र की योजना बनायीं थी।
8 अप्रैल 1929 को उन्होंने नयी दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में उन्होंने मिलकर बमबारी की थी और कुछ समय बाद ही पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। और 23 मार्च 1931 को तीनो को फाँसी दी गयी थी। और रहस्यमयी तरीके से उन्हें शवो को सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था।
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाणा के नौघरा में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल और माता का नाम राल्ली देवी था। सुखदेव के पिता की जल्द ही मृत्यु हो गयी थी और इसके बाद उनके अंकल लाला अचिंत्रम ने उनका पालन पोषण किया था।
किशोरावस्था से ही सुखदेव ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों से चिर-परिचित थे। उस समय ब्रिटिश भारतीय लोगो के साथ गुलाम की तरह व्यवहार करते थे और भारतीयों लोगो को घृणा की नजरो से देखते थे। इन्ही कारणों से सुखदेव क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने की कोशिश करते रहे।
बाद में सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन और पंजाब के कुछ क्रांतिकारी संगठनो में शामिल हुए। वे एक देशप्रेमी क्रांतिकारी और नेता थे जिन्होंने लाहौर में नेशनल कॉलेज के विद्यार्थियों को पढाया भी था और समृद्ध भारत के इतिहास के बारे में बताकर विद्यार्थियों को वे हमेशा प्रेरित करते रहते थे।
इसके बाद सुखदेव ने दुसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर “नौजवान भारत सभा” की स्थापना भारत में की। इस संस्था ने बहुत से क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया था और आज़ादी के लिये संघर्ष भी किया था।
आज़ादी के अभियान ने सुखदेव की भूमिका –
सुखदेव ने बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया है जैसे 1929 का “जेल भरो आंदोलन” । इसके साथ-साथ वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के भी सक्रीय सदस्य थे। भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर वे लाहौर षड़यंत्र में सह-अपराधी भी बने थे। 1928 में लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद यह घटना हुई थी।
1928 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के अंडर एक कमीशन का निर्माण किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय में भारत की राजनितिक अवस्था की जाँच करना और ब्रिटिश पार्टी का गठन करना था।
लेकिन भारतीय राजनैतिक दलों ने कमीशन का विरोध किया क्योकि इस कमीशन में कोई भी सदस्य भारतीय नही था। बाद में राष्ट्रिय स्तर पर उनका विरोध होने लगा था। जब कमीशन 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर गयी तब लाला लाजपत राय ने अहिंसात्मक रूप से शांति मोर्चा निकालकर उनका विरोध किया लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने उनके इस मोर्चे को हिंसात्मक घोषित किया।
इसके बाद जेम्स स्कॉट ने पुलिस अधिकारी को विरोधियो पर लाठी चार्ज करने का आदेश दिया और लाठी चार्ज के समय उन्होंने विशेषतः लाला लाजपत राय को निशाना बनाया। और बुरी तरह से घायल होने के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गयी थी।
जब 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई थी तब ऐसा माना गया था की स्कॉट को उनकी मृत्यु का गहरा धक्का लगा था। लेकिन तब यह बात ब्रिटिश पार्लिमेंट तक पहुची तब ब्रिटिश सरकार ने लाला लाजपत राय की मौत का जिम्मेदार होने से बिल्कुल मना कर दिया था।
इसके बाद सुखदेव ने भगत सिंह के साथ मिलकर बदला लेने की ठानी और वे दुसरे उग्र क्रांतिकारी जैसे शिवराम राजगुरु, जय गोपाल और चंद्रशेखर आज़ाद को इकठ्ठा करने लगे, और अब इनका मुख्य उद्देश्य स्कॉट को मारना ही था।
जिसमे जय गोपाल को यह काम दिया गया था की वह स्कॉट को पहचाने और पहचानने के बाद उसपर शूट करने के लिये सिंह को इशारा दे। लेकिन यह एक गलती हो गयी थी, जय गोपाल ने जॉन सौन्ड़ेर्स को स्कॉट समझकर भगत सिंह को इशारा कर दिया था और भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने उनपर शूट कर दिया था। यह घटना 17 दिसम्बर 1928 को घटित हुई थी। जब चानन सिंह सौन्ड़ेर्स के बचाव में आये तो उनकी भी हत्या कर दी गयी थी।
इसके बाद पुलिस ने हत्यारों की तलाश करने के लिये बहुत से ऑपरेशन भी चलाये, उन्होंने हॉल के सभी प्रवेश और निकास द्वारो को बंद भी कर दिया था। जिसके चलते सुखदेव अपने दुसरे कुछ साथियों के साथ दो दिन तक छुपे हुए ही थे।
19 दिसम्बर 1928 को सुखदेव ने भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी वोहरा को मदद करने के लिये कहा था, जिसके लिये वह राजी भी हो गयी थी। उन्होंने लाहौर से हावड़ा ट्रेन पकड़ने का निर्णय लिया। अपनी पहचान छुपाने के लिये भगत सिंह ने अपने बाल कटवा लिये थे और दाढ़ी भी आधे से ज्यादा हटा दी थी। अगले दिन सुबह-सुबह उन्होंने पश्चिमी वस्त्र पहन लिये थे, भगत सिंह और वोहरा एक युवा जोड़े की तरह आगे बढ़ रहे थे जिनके हाथ में वोहरा का एक बच्चा भी था।
जबकि राजगुरु उनका सामान उठाने वाला नौकर बना था। वे वहाँ से निकलने में सफल हुए और इसके बाद उन्होंने लाहौर जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। लखनऊ ने, राजगुरु उन्हें छोड़कर अकेले बनारस चले गए थे जबकि भगत सिंह और वोहरा अपने बच्चे को लेकर हावड़ा चले गए।
सुखदेव की मृत्यु – Sukhdev death दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बमबारी करने के बाद सुखदेव और उनके साथियों को पुलिस ने पकड़ लिया था और उन्होंने मौत की सजा सुनाई गयी थी। 23 मार्च 1931 को सुखदेव थापर, भगत सिंह और शिवराम राजगुरु को फाँसी दी गयी थी और उनके शवो को रहस्यमयी तरीके से सतलज नदी के किनारे पर जलाया गया था। सुखदेव ने अपने जीवन को देश के लिये न्योछावर कर दिया था और सिर्फ 24 साल की उम्र में वे शहीद हो गए थे। भारत को आज़ाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसे ही देशभक्त शहीदों में से एक थे, सुखदेव थापर, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया। सुखदेव महान क्रान्तिकारी भगत सिंह के बचपन के मित्र थे। दोनों साथ बड़े हुये, साथ में पढ़े और अपने देश को आजाद कराने की जंग में एक साथ भारत माँ के लिये शहीद हो गये। 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले ये तीन दिवाने हमेशा के लिये सो गये। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी सुखदेव थापर के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी