शहर का इतिहास
गुप्ता राजवंश से लेकर मुगलों ने किया राज
गाजियाबाद का इतिहास 2500 ईसा पूर्व पुराना है. इस बात का आधार हिंडन नदी के तट पर आधारित केसर के मैदान पर हुआ शोध है. यहाँ हुए शोध कार्य और खुदाई से मिले अवशेषों से इसकी उम्र का पैमाना तय किया गया.
गाजियाबाद जिले की पूर्वी सीमा पर एक कोट नामक गाँव स्थित था. इस गाँव को प्रसिद्ध सम्राट समुद्रगुप्त का सहयोग प्राप्त था. दरअसल, समुद्रगुप्त ने कोट कुलजम और किले पर विजय प्राप्त करने के बाद इसी गाँव में अश्वमेध का यज्ञ किया था. कोट में सात से भी ज्यादा युद्ध लड़े गए थे.
चौथी सदी में लोनी में समुद्रगुप्त और कोट कुलजम के बीच मशहूर युद्ध हुआ. इसी युद्ध से गाजियाबाद शहर की नींव पड़ गई थी. इस युद्ध में जीत के बाद मुगलों के आगमन तक यह हिंदू राजाओं के ही आधीन रहा.
गाजीउद्दीन नगर से बना जिला गाजियाबाद
सन 1740 में, वजीर गाजी-उद-दीन ने गाजियाबाद की स्थापना की. उसने इस शहर का नाम अपने नाम पर ही गाजीउद्दीन नगर रखा. वह मुग़ल शासक अहमदशाह और अलमगीर द्वितीय के दरबार का मंत्री था.
आज के इस मॉडर्न शहर पर कई शासकों ने अपनी हुकूमत चलाई. जिसमें हिंदू राजाओं से लेकर मुग़ल शासक शामिल हैं. इसमें समुद्रगुप्त, मुहम्मद-बिन-तुग़लक, तैमुर, मुगल और मराठा शामिल हैं. इसी शहर में मुगल सम्राट द्वारा बनाई गई सेराई बहुत मशहूर है. इसमें 120 कमरे बने हुए हैं. इस ढांचे का आकार एक आर्क के रूप में बना हुआ है.
मुगलों ने इस शहर को चार आलीशान दरवाजों के भीतर बसाया था. इन चार दरवाजों में डासना गेट, दिल्ली गेट, सिहनी गेट और शाही गेट शामिल हैं. इस दरवाजों के अलावा, इस शहर में लगभग 14 फीट लम्बे स्तंभ आज भी मौजूद हैं.
गाजीउद्दीन नगर का नाम तब बदला गया जब यहाँ रेलवे स्टेशन की लाइन भी खुली. जिसके बाद इसका नाम छोटा करके गाजियाबाद कर दिया गया. समय के साथ, चौथा दरवाजा यानि शाही गेट का नाम बदल गया. अब इस का नाम बदलकर बाज़ार गेट हो गया है.
आजादी के बाद एक बार फिर इसी गेट का नामकरण हुआ. इस बार इसका नाम बदलकर जवाहर गेट रख दिया गया, जो आज तक प्रचलन में है. जबकि बाकी तीनों दरवाज़ों के नाम अभी तक वही हैं जैसे पहले हुआ करते थे.
इस धरती से एक और युद्ध जुड़ा हुआ है. वह युद्ध जो मराठों और मुगलों के बीच हुआ था. इस युद्ध में मराठों ने मुगलों को हराकर जीत हासिल कर ली. इसके साथ ही उन्होंने यहाँ अपना राज कायम कर लिया. इस शहर ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ भी आवाज उठाने में अहम भूमिका निभायी थी. यहीं 1857 में स्वतंत्रता सेनानियों और अंग्रेजों के बीच झड़प भी हुई थी.
बताते चलें कि साल 1763 में, राजा सूरजमल की रोहिल्लाओं ने इसी शहर के पास हत्या कर दी गई थी. उस समय भी यह शहर चर्चा में आया था.
गाजियाबाद एक इंडस्ट्रियल हब के रूप में
कभी मुगलों के आधीन रहे इस शहर के इंडस्ट्रियल हब में तब्दील होने की कहानी दिलचस्प है. साल 1976 तक यह शहर मेरठ शहर की ही एक तहसील था. उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त ने इसे अलग कर दिया. उन्होंने 14 नवम्बर, 1976 में इसे एक अलग जिला गाजियाबाद के रूप में घोषित कर दिया. इसी के साथ गाजियाबाद के नाम का नया जिला अस्तित्व में आया.
गाजियाबाद शहर ही गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट का हेडक्वाटर है. हालांकि, यहाँ साल 1865 से ही रेलवे मौजूद है. फिर भी साल 1940 तक यहाँ आधुनिक औद्योगीकरण की दस्तक नहीं हो पाई थी.
साल 1940 में, यहाँ पहली आधुनिक इंडस्ट्री की स्थापना हुई थी. इसकी स्थापना के साथ और आजादी के बाद भी यह इंडस्ट्री बढती ही चली गई. इसका लगातार विस्तार होता रहा. साल 1947 के बाद 22 फैक्टरियाँ का बड़ी जल्दी ही विस्तार हुआ.
यहाँ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, औद्योगिक और कृषि हर क्षेत्र में लगातार उन्नति ही हुई है. यहां अपने जिला घोषित होने के साथ ही औद्योगीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होता रहा.
70 के दशक में बड़ी संख्या में स्टील मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगातार बढ़ती चली गई. इसी दौर में इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का भी विस्तार हुआ था. इसी समय ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ और ‘सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ की भी स्थापना की गई.
यहाँ मोहंस (1949), टाटा जैसी कंपनियां भी आना शुरू हो गई. यहाँ धीरे-धीरे पैर पसार रहा उद्योग आज बहुत बड़े स्तर तक पहुँच चुका है. आज गाजियाबाद की एक बड़ी पहचान उसमें मौजूद इंडस्ट्रीज ही हैं.
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल
भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
SSP, INC (U), INC (I), JS, JD, BJS, RPI, JNP
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र में मंडल।
गाज़ियाबाद,
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।
2012 जनरल सुरेश बंसल बीएसपी 64485 = 12121 अतुल गर्ग बीजेपी 52364
2007 जनरल सुनील कुमार शर्मा भाजपा 88506 = 25655 सुरेश बंसल बीएसपी 62851
2004 जनरल सुरेंद्र कुमार मुन्नी एसपी 64173 = 11458 सतीश त्यागी कांग्रेस 52715
2002 जनरल सुरेन्द्र प्रकाश गोयल कांग्रेस 64760 = 4526 बालेश्वर त्यागी भाजपा 60234
1996 जनरल बालेश्वर त्यागी भाजपा 110990 = 68015 जितेन्द्र सपा 42975
1993 जनरल बालेश्वर त्यागी भाजपा 91199 = 44929 अनूप सिंह जेडी 46270
1991 जनरल बालेश्वर त्यागी भाजपा 54714 = 21827 अनूप सिंह जेडी 32887
1989 जनरल सुरेंद्र कुमार उर्फ मुन्नी कांग्रेस 54326 = 16877 बालेश्वर त्यागी भाजपा 37449
1985 जनरल कृष्ण कुमार शर्मा कांग्रेस 30108 = 1185 दिनेश चंद्र गर्ग बीजेपी 28923
1980 जनरल सुरेन्द्र कुमार उर्फ़ मुन्नी कांग्रेस (U) 18556 = 589 सतीश चंद शर्मा कांग्रेस(I) 17967
1977 जनरल राजेंद्र JNP 28647 = 334 प्यारे लाल कांग्रेस 28313
1974 जनरल प्यारे लाल कांग्रेस 23546 = 13205 बलदेव राज शर्मा BJS 10341
1969 जनरल पीरे लाल एसएसपी 19159 = 6335 आफताब अली कांग्रेस 12824
1967 GEN P.Lal आरपीआई 22,341 5281 R.Singh BJS 17060
1962 जनरल तेज सिंह कांग्रेस 17610 = 2001 ईश्वर दयाल JS 15609
1957 जनरल तेज सिंह कांग्रेस 17505 = 7891 पी। चंद्रा बीजेएस 9614
कैसे पहुंचें गाजियाबाद
रेल द्वारा
न्यू गाजियाबाद रेल मार्ग स्टेशन, गाजियाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन गाजियाबाद के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।
शहरों के पास
गाजियाबाद 0 KM
बल्लभगढ़ 15 KM
मुरादनगर 15 KM
नोएडा 16 KM
तालुकों के पास
गाजियाबाद 0 KM
बिसरख 13 KM
लोनी 14 KM
पूर्वी दिल्ली 14 KM
एयर पोर्ट्स के पास
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 37 KM
मुजफ्फरनगर एयरपोर्ट 98 KM
खेरिया एयरपोर्ट 197 KM
देहरादून हवाई अड्डा 215 KM
पर्यटक स्थलों के पास
नोएडा 16 KM
दिल्ली 21 KM
सूरजकुंड 25 KM
फरीदाबाद 33 KM
गुड़गांव 49 KM
जिले के पास
गाजियाबाद 0 KM
पूर्वी दिल्ली 13 KM
उत्तर पूर्वी दिल्ली 17 KM
मध्य दिल्ली 21 KM
रेल्वे स्टेशन के पास
न्यू गाजियाबाद रेल मार्ग स्टेशन 2.2 KM
गाजियाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 2.4 KM
गुलधर रेल मार्ग स्टेशन 6.0 KM
साहिबाबाद जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 6 KM