नाम : | मा. दीपामाला गोयल | ||
पद : | नगर पालिका अध्यक्षा | ||
वॉर्ड : | 00 - नगर | ||
पालिका/परिषद | बदायूं | ||
ज़िला : | बदायूँ | ||
राज्य : | उत्तर प्रदेश | ||
पार्टी : | भारतीय जनता पार्टी | ||
चुनाव : | 2017 - 66564 - 32316 वोट | ||
सम्मान : |
माननीय नगर पालिका अध्यक्ष जी को निकाय चुनाव २०१७ में विजेता चुने जाने के उपरान्त नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव समस्त क्षेत्र का विकास करेंगे एवं संस्था को सामाजिक कार्य में डोनेशन देकर सहयोग करने के लिए धन्यबाद - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी | ||
विवरण : introduction नगर पालिका परिषद में कुल 130118 मतदाता हैं, बदायूं; शहर में कुल 25 वार्ड हैं। निकाय 2017 के चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी द्वारा समर्थित नगर पालिका परिषद की अध्यक्षता में, श्रीमती दीपामाला गोयल जी ने (32316) 49.89 मत पाकर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार श्रीमती फातिमा रजा (2 9,140) को वोटों के 3 हजार अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 3- प्रीति साहू (बहुजन समाज पार्टी) 1377 मत प्राप्त किये 5 - राजा रानी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) 590 मत प्राप्त किये श्रीमती दीपामाला गोयल बीजेपी पार्टी क्षेत्र की कद्दावर नेता हैं जो पहले भी चुनाव लड़ चुकी हैं अपनी जुझरु मिलनसार होने के कारण क्षेत्र के नागरिक बहुत सम्मान देते हैं, बदायूं जिले के बारे में बदायूं जिले उत्तर प्रदेश राज्य के 71 जिलों में से एक है, बदायूं जिला प्रशासनिक मुख्यालय बदायूं है, यह 261 किलोमीटर की दूरी पर लखनऊ की राज्य की राजधानी में स्थित है। बदायूं जनसंख्या की आबादी 3712738 जनगरणा 2011 के अनुसार है। यह आबादी के अनुसार राज्य का 16 वां सबसे बड़ा जिला है। बदायूं जिले उत्तर में बरेली जिले के साथ सीमा के साथ सीमा पर, पश्चिम में बुलंदशहर जिले, पश्चिम में काशीराम जिले, उत्तर में मुरादाबाद जिले, उत्तर में रामपुर जिले, और पूर्व में शाहजहांपुर जिला हैं। बदायूं जिला लगभग 5168 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रह रहा है। । इसकी सीमा 191 मीटर से 161 मीटर है। यह जिला हिंदी बेल्ट है बदायूं जिले का मौसम बदायूं जिले में गर्मी गर्म है, उच्चतम तापमान 26 डिग्री और 47 डिग्री सेल्सियस के बीच है। जनवरी का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, 17 डिग्री सेल्सियस, मार्च 24 डिग्री सेल्सियस, 31 अप्रैल, सेल्सियस, 36 डिग्री सेल्सियस है। बदायूं भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। बदायूँ, उत्तर प्रदेश का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है। यह गंगा की सहायक नदी स्रोत के समीप स्थित है। 11वीं शती के एक अभिलेख में, जो बदायूँ से प्राप्त हुआ है, इस नगर का तत्कालीन नाम वोदामयूता कहा गया है। इस लेख से ज्ञात होता है कि उस समय बदायूँ में पांचाल देश की राजधानी थी। बर्तमान में बदायूं जिला , रूहेलखण्ड में आता है, रूहेलखण्ड में बरेली , बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, जिले सामिल है। स्थापना यह जान पड़ता है कि अहिच्छत्रा नगरी, जो अति प्राचीन काल से उत्तर पांचाल की राजधानी चली आई थी, इस समय तक अपना पूर्व गौरव गँवा बैठी थी। एक किंवदन्ती में यह भी कहा गया है कि, इस नगर को अहीर सरदार राजा बुद्ध ने 10वीं शती में बसाया था। 13 वीं शताब्दी में यह दिल्ली के मुस्लिम राज्य की एक महत्त्वपूर्ण सीमावर्ती चौकी था और 1657 में बरेली द्वारा इसका स्थान लिए जाने तक प्रांतीय सूबेदार यहीं रहता था। 1838 में यह ज़िला मुख्यालय बना। कुछ लोगों का यह मत है कि बदायूँ की नींव अजयपाल ने 1175 ई. में डाली थी। राजा लखनपाल को भी नगर के बसाने का श्रेय दिया जाता है। गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भगीरथ ने कहां तपस्या की थी। यहां गंगा के कछला घाट से कुछ ही दूर पर बूढ़ी गंगा के किनारे एक प्राचीन टीले पर अनूठी गुफा है। कपिल मुनि आश्रम के बगल स्थित इस गुफा को भगीरथ गुफा के नाम से जानते हैं। पहले यहां राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की भी मूर्तियां थी, जो कुछ साल पहले चोरी चली गईं। करीब ही राजा भगीरथ का एक अति जीर्ण-शीर्ण मंदिर है, जहां अब सिर्फ चरण पादुका बची हैं। अध्यात्मिक दृष्टि से सूकरखेत (बाराह क्षेत्र) का वैसे भी बहुत महत्व है। बदायूं के कछला गंगा घाट से करीब पांच कोस की दूरी पर कासगंज की ओर बढ़कर एक बोर्ड दिखाई पड़ता है, जिस पर लिखा है भगीरथ गुफा। एक गांव है होडलपुर। थोड़ी दूर जंगल के बीच एक प्राचीन टीला दिखाई पड़ता है। बरगद का विशालकाय वृक्ष और अन्य पेड़ों के झुरमुटों बीच मठिया है। इसी टीले पर स्थित है कपिल मुनि आश्रम और भगीरथ गुफा। लाखोरी ईंटें से बनी एक मठिया के द्वार पर हनुमानजी की विशालकाय मूर्ति लगी है। भीतर प्रवेश करने पर एक मूर्ति और दिखाई पड़ती है, इसे स्थानीय लोग कपिल मुनि की मूर्ति बताते हैं। मूर्ति के बगल से ही सुरंगनुमा रास्ता अंदर को जाता है, जिसमें से एक व्यक्ति ही एक बार में प्रवेश कर सकता है। पांच मीटर भीतर तक ही सुरंग की दीवारों पर लाखोरी ईटें दिखाई पड़ती हैं। इसके बाद शुरू हो जाती है कच्ची अंधेरी गुफा। सुरंगनुमा रास्ते से भीतर जाने के बाद एक बड़ी कोठरी मिलती है, जहां एक शिवलिंग भी कोने में है। कोठरी के बाद फिर सुरंग और फिर कोठरी। पहले गंगा इसी टीले के बगल से होकर बहती थीं। अभी भी गंगा की एक धारा समीप से होकर बहती है, जिसे बूढ़ी गंगा कहते हैं। टीले के नीचे स्थित मंदिर से दुर्लभ मुखार बिंदु शिवलिंग भी चोरी चला गया था। बाद में पुलिस ने पाली (अलीगढ़) के एक तालाब से शिवलिंग तो बरामद कर लिया, लेकिन सगर पुत्रों की मूर्तियों का अभी भी कोई पता नहीं है। इसी टीले पर तीन समाधि भी हैं, इनमें से एक को गोस्वामी तुलसीदास के गुरु नरहरिदास की समाधि कहते हैं। इतिहास नीलकंठ महादेव का प्रसिद्ध मन्दिर, शायद लखनपाल का बनवाया हुआ था। ताजुलमासिर के लेखक ने बदायूँ पर कुतुबुद्दीन ऐबक के आक्रमण का वर्णन करते हुए इस नगर को हिन्द के प्रमुख नगरों में माना है। बदायूँ के स्मारकों में जामा मस्जिद भारत की मध्य युगीन इमारतों में शायद सबसे विशाल है इसका निर्माता इल्तुतमिश था, जिसने इसे गद्दी पर बैठने के बारह वर्ष पश्चात अर्थात 1222 ई. में बनवाया था। रचना-सौंदर्य यहाँ की जामा मस्जिद प्रायः समान्तर चतुर्भुज के आकार की है, किन्तु पूर्व की ओर अधिक चौड़ी है। भीतरी प्रागंण के पूर्वी कोण पर मुख्य मस्जिद है, जो तीन भागों में विभाजित है। बीच के प्रकोष्ठ पर गुम्बद है। बाहर से देखने पर यह मस्जिद साधारण सी दिखती है, किन्तु इसके चारों कोनों की बुर्जियों पर सुन्दर नक़्क़ाशी और शिल्प प्रदर्शित है। बदायूँ में सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी के परिवार के बनवाए हुए कई मक़बरे हैं। प्राचीन इमारतों अलाउद्दीन ने अपने जीवन के अन्तिम वर्ष बदायूँ में ही बिताए थे। अकबर के दरबार का इतिहास लेखक अब्दुलक़ादिर बदायूँनी यहाँ अनेक वर्षों तक रहा था और बदायूँनी ने इसे अपनी आँखों से देखा। बदायूँनी का मक़बरा बदायूँ का प्रसिद्ध स्मारक है। इसके अतिरिक्त इमादुल्मुल्क की दरगाह (पिसनहारी का गुम्बद) भी यहाँ की प्राचीन इमारतों में उल्लेखनीय है। कृषि व उद्योग बदायूँ में आसपास के क्षेत्रों में चावल, गेंहूं, जौ, बाजरा और सफ़ेद चने की उपज होती है। यहाँ लघु उद्योग भी हैं।बदायूँ मैन्था के लिए मशहूर है देश का लगभग ४०% फ़ीसद मैन्था यहीं होता है इसलिए इसे भारत का मैन्था शहर भी कहते हैं सड़क परिवहन |
|||
विकास कार्य : 2019 |