शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष/ सदस्य परिचय सूची

नाम : मा. मुन्नी देवी
पद : नगर पंचायत अध्यक्ष
वॉर्ड : 00
नगर पंचायत तिंदवारी
ज़िला : बांदा
राज्य : उत्तर प्रदेश
पार्टी : आम आदमी पार्टी
चुनाव : 2017 5939/1058 वोट
सम्मान :
माननीय जी को निकाय चुनाव 2017 में विजेता चुने जाने के उपरान्त नवनिर्माण जनकल्याण सहायता समिति (NGO) नई दिल्ली द्वारा www.njssamiti.com पर जनप्रतिनिधि डिजिटल रिकॉर्ड में शामिल कर सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है, संस्था आशा और कामना करती है बिना भेदभाव समस्त क्षेत्र का विकास करेंगे एवं संस्था को सामाजिक कार्य में सहयोग करने माननीय जी को शहीद राजगुरु नगर पंचायत अध्यक्ष / सदस्य सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया है महापुरुषों की जीवनी समाज तक पहुंचाने के लिए धन्यबाद - मेहनाज़ अंसारी (जनरल सक्रेटरी)

विवरण :

Introduction 

Honorable Munni Devi 

Designation : Chairman

Nagar Panchayat Tindwari

District- :  Banda

State : Uttar Pradesh 

Mob : 8853218641

Supporting : Aam Aadmi Party 

नगर पंचायत तिंदवारी के बारे में मा. मुन्नी देवी

तिंदवारी उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में, तिंदवारी एक नगर पंचायत है। इसमें 15 वार्ड हैं निकाय चुनाव 2017 में यहां की नगर पंचायत अध्यक्षता पद परaam आदमी पार्टी समर्थित मुन्नी देवी चुनाव जीती जिनको कुल पड़े मत (5939) में से 1058 मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतियाशी से ८० वोटों से अधिक जीतीं

२-  पूजा = भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (923) १६.२३ मत 

3- शिवकली  (679)  11.94 मत प्राप्त 

4- शशिप्रभा बहुजन समाज पार्टी (649)   11.41 मत प्राप्त करना

तिंदवारी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में तिंदवारी ब्लॉक में एक टाउन है। यह चित्रकूट डिवीजन से संबंधित है। यह जिला प्रमुख क्वार्टर बांदा से पूर्व में 2 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक ब्लॉक हेड क्वार्टर है।

तिंदवारी पिन कोड 210128 है और डाक प्रमुख कार्यालय तिंडीवारी है।

गोखराही (3 किमी), जसिपुर (3 किमी), मुंगस (3 किमी), मिरगाहानी (4 किमी), भिंडौरा (4 किलोमीटर) तिंदवारी के पास के गांव हैं। तिंडीवारी पूर्व में बाबरू ब्लॉक से घिरा हुआ है, पश्चिम की ओर बडोखार खुर्द ब्लॉक, पश्चिम की तरफ बांदा ब्लॉक, उत्तर में जसपुरा ब्लॉक।

बांदा, फतेहपुर, हमीरपुर, चित्रकूट तिंदवारी के नजदीकी शहर हैं।

तिंदवारी की जनसांख्यिकी

हिंदी यहां स्थानीय भाषा है।

तिंदवारी कैसे पहुंचे

रेल द्वारा

10 किमी से भी कम समय में तिंदवारी के पास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। कानपुर सेंट्रल रेल वे स्टेशन टिंडवारी के पास 106 किलोमीटर दूर प्रमुख रेलवे स्टेशन है

तिंडीवारी में राजनीति

जेएम, बीजेपी, एसपी, बीएसपी, कांग्रेस इस क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक दलों हैं।

तिंदवारी के पास मतदान केंद्र / बूथ

1) नवीन Pr.vi.sonrahi

2) नवीन Pr.vi.tindwari कक्ष संख्या 1

3) नवीन Pr.vi.tindwari कक्ष संख्या 2

4) Pr.vi.kulkumhari

5) Pr.vi.kyotra माजरा बहिंगा

संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा सांसद 

माननीय कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल बीजेपी संपर्क न. 

वर्तमान में तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक।

माननीय ब्रजेश कुमार प्रजापति बीजेपी संपर्क न. 9889699909, 

तिंडीवारी विधानसभा क्षेत्र में मंडल।

बडोखार, खुर्द, जसपुरा, तिंदवारी, बांदा

 विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीतने का इतिहास।

२०१२  दलजीत सिंह कांग्रेस 61184 = 15015 बिश्महर प्रसाद एसपी 46169

2007  विशाखहर प्रसाद एसपी 33725 7213 दल जीट जेएम जेएम जेएम 26512

2002  विशाखर प्रसाद निषाद एसपी 42096 =2916 विवेक कुमार सिंह बीजेपी 3980

1996  महेंद्र पाल निषाद बीएसपी 39001 = 7849 राम हिट बीजेपी 31152

1993  विशाखर प्रसाद बीएसपी 46168 = 18226 शीतल प्रसाद त्रिपाठी बीजेपी  27942

1991 विशाखहर प्रसाद बीएसपी 17527 = 1737 चंद्र भान सिंह जेडी 15790

1989  चंदर भान सिंह जेडी 49316 = 32340 अर्जुन सिंह कांग्रेस16976

1985 अर्जुन सिंह आईएनसी 31553 = 25174 गया प्रसाद एलकेडी 6379

1981  व्.प.सिंह  कांग्रेस (आई) 62,738 = 59,625 बी.बी.बरह्मचार

 भाजपा 3113

1980  शिव प्रताप सिंह कांग्रेस 20754 = 12456 राम हिट जेएनपी 8298

1977  जगन्नाथ सिंह जेएनपी 29130 = 4406 जगरुप सिंह कांग्रेस 24724

1974  जगन्नाथ सिंह बीजेएस 1 9010 6715 विचित्र वीर सिंह कांग्रेस12295

शहरों के नजदीक

बांदा 28 किमी निकट

फतेहपुर 4 9 किमी निकट

हमीरपुर 60 किमी निकट

चित्रकूट 66 किलोमीटर

तालुक के पास

तिंदवारी 4 किमी निकट

बाबरू 20 किमी निकट

बडोखार खुर्द 26 किमी निकट

बांदा 27 किमी 

एयर पोर्ट्स के पास

कानपुर हवाई अड्डे के पास 98 किलोमीटर दूर है

खजुराहो एयरपोर्ट 121 किलोमीटर दूर है

बमराउली एयरपोर्ट 137 किमी निकटतम

अमौसी हवाई अड्डे के पास 147 किमी

पर्यटक स्थलों के पास

कलिनजर 77 किमी निकट

अजयगढ़ 94 किमी के पास

कौशम्बी 103 किमी निकट

कानपुर 105 किमी निकट

रायबरेली 110 किलोमीटर दूर है

जिलों के पास

बांदा 28 किमी निकट

फतेहपुर 50 किमी निकट

हमीरपुर जिला 59 किलोमीटर के पास

चित्रकूट 83 किमी निकटतम

रेलवे स्टेशन के पास

बांदा जेएन रेल वे स्टेशन 28 किलोमीटर दूर है

अटारा रेल वे स्टेशन 41 किलोमीटर दूर है

विकास कार्य :

2019

राजगुरु का जीवन परिचय –
पूरा नाम – शिवराम हरि राजगुरु
अन्य नाम – रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र (इनके पार्टी का नाम)
जन्म – 24 अगस्त 1908
जन्म स्थान – खेड़ा, पुणे (महाराष्ट्र)
माता-पिता – पार्वती बाई, हरिनारायण
धर्म – हिन्दू (ब्राह्मण)
राष्ट्रीयता – भारतीय
योगदान – भारतीय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष
संगठन – हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
मृत्यु /शहादत – 23 मार्च 1931
वीर और महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था|इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था|राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था|इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया|राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे|भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था|इस कारण अंग्रेजो से घृणा तो स्वाभाविक ही था|ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे|संकट मोल लेने में भी इनका कोई जवाब नहीं था|किन्तु ये कभी-कभी लापरवाही कर जाते थे|राजगुरु का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए इनको अपने बड़े भैया और भाभी का तिरस्कार सहना पड़ता था|माँ बेचारी कुछ बोल न पातीं|ऐसी परिस्थिति से गुजरने के बावजूद भी आपने देश सेवा नही बंद करी और अपना जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया|
आपको बताये आये दिन अत्याचार की खबरों से गुजरते राजगुरु जब तब किशोरावस्था तक पहुंचे, तब तक उनके अंदर आज़ादी की लड़ाई की ज्वाला फूट चुकी थी|मात्र 16 साल की उम्र में वे हिंदुस्तान रिपब्ल‍िकन आर्मी में शामिल हो गये|उनका और उनके साथ‍ियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अध‍िकारियों के मन में खौफ पैदा करना|साथ ही वे घूम-घूम कर लोगों को जागरूक करते थे और जंग-ए-आज़ादी के लिये जागृत करते थे|
राजगुरु के बारे में प्राप्त एतिहासिक तथ्यों से ये ज्ञात होता है कि शिवराम हरी अपने नाम के पीछे राजगुरु उपनाम के रुप में नहीं लगाते थे, बल्कि ये इनके पूर्वजों के परिवार को दी गयी उपाधी थी|इनके पिता हरिनारायण पं. कचेश्वर की सातवीं पीढ़ी में जन्में थे|पं. कचेश्वर की महानता के कारण वीर शिवाजी के पोते शाहूजी महाराज इन्हें अपना गुरु मानते थे|पं. कचेश्वर वीर शिवाजी द्वारा स्थापित हिन्दू राज्य की राजधानी चाकण में अपने परिवार के साथ रहते थे|इनका उपनाम “ब्रह्मे” था|ये बहुत विद्वान थे और सन्त तुकाराम के शिष्य थे|इनकी विद्वता, बुद्धिमत्ता और ज्ञान की चर्चा पूरे गाँव में थी|लोग इनका बहुत सम्मान करते थे|इतनी महानता के बाद भी ये बहुत सज्जनता के साथ सादा जीवन व्यतीत करते थे|
क्रन्तिकारी जीवन –
दोस्तों 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था|पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये अलग-अलग जाकर क्रान्तिकारी विचारधारा को मानने वाले नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे|इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई|अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े|इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई|इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया|पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी|
आपको बताये पार्टी के आदेश के बाद राजगुरु कानपुर डी.ए.वी. कॉलेज में शिव वर्मा से मिले और पार्टी के प्रस्ताव के बारे में बताया गया|इस काम को करने के लिये इन्हें दो बन्दूकों की आवश्यकता थी लेकिन दोनों के पास केवल एक ही बन्दूक थी| इसलिए वर्मा दूसरी बन्दूक का प्रबन्ध करने में लग गये और राजगुरु बस पूरे दिन शिव के कमरे में रहते, खाना खाकर सो जाते थे|ये जीवन के विभिन्न उतार चढ़ावों से गुजरे थे|इस संघर्ष पूर्ण जीवन में ये बहुत बदल गये थे लेकिन अपने सोने की आदत को नहीं बदल पाये|शिव वर्मा ने बहुत प्रयास किया लेकिन कानपुर से दूसरी पिस्तौल का प्रबंध करने में सफल नहीं हुये|अतः इन्होंने एक पिस्तौल से ही काम लेने का निर्णय किया और लगभग दो हफ्तों तक शिव वर्मा के साथ कानपुर रुकने के बाद ये दोनों दिल्ली के लिये रवाना हो गये|दिल्ली पहुँचने के बाद राजगुरु और शिव एक धर्मशाला में रुके और बहुत दिन तक उस देशद्रोही विश्वासघाती साथी पर गुप्त रुप से नजर रखने लगे|इन्होंने इन दिनों में देखा कि वो व्यक्ति प्रतिदिन शाम के बीच घूमने के लिये जाता हैं|कई दिन तक उस पर नजर रखकर उसकी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान से देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि इसे मारने के लिये दो पिस्तौलों की आवश्यकता पड़ेगी
आपको बताये शिव वर्मा राजगुरु को धर्मशाला में ही उनकी प्रतिक्षा करने को कह कर पिस्तौल का इन्तजाम करने के लिये लाहौर आ गये|यहाँ से नयी पिस्तौल की व्यवस्था करके तीसरे दिन जब ये दिल्ली आये तो 7 बज चुके थे|शिव को पूरा विश्वास था कि राजगुरु इन्हें तय स्थान पर ही मिलेंगें|इसलिए ये धर्मशाला न जाकर पिस्तौल लेकर सीधे उस सड़क के किनारे पहुँचे जहाँ घटना को अन्जाम देना था|वर्मा ने वहाँ पहुँच कर देखा कि उस स्थान पर पुलिस की एक-दो पुलिस की मोटर घूम रही थी|उस स्थान पर पुलिस को देखकर वर्मा को लगा कि शायद राजगुरु ने अकेले ही कार्य पूरा कर दिया|अगली सुबह प्रभात रेल से आगरा होते हुये कानपुर चले गये|लेकिन इन्हें बाद में समाचार पत्रों में खबर पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि राजगुरु ने गलती से किसी और को देशद्रोही समझ कर मार दिया था|
मृत्यु –
दोस्तों आपको बताये पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये|वहां उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ता के घर पर शरण ली|वहीं पर उनकी मुलाकात डा. केबी हेडगेवर से हुई, जिनके साथ राजगुरु ने आगे की योजना बनायी|इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया|इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया|तीनों का दाह संस्कार पंजाब के फिरोज़पुर जिले में सतलज नदी के तट पर हुसैनवाला में किया|
इस तरह राजगुरु जी जब तक रहे तब तक देश में एक अलग ही माह्वल था और ये सिर्फ देश के लिए ही जिए
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु के बलिदान को युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें , मेहनाज़ अंसारी