महात्मा गांधी आई.ए.एस./ आई.पी.एस. सम्मान पत्र

नाम : डॉ. नितिन बंसल
पद : जिलाधिकारी
विभाग : NA
नियुक्त : गोंडा
राज्य : उत्तर प्रदेश

विवरण :

introduction
Name : Dr.Nitin Bansal(I.A.S.)
Designation : District Magistrate
Appointment : GONDA
Telephone No : 05262-222400
E-Mail id : dmgon[at]nic[dot]in
State : Uttar Pradesh
Division : Devipatan
Head Quarters : Gonda
Language : Hindi and Urdu, Awadhi
Area: 4448 sq. km
Population : 3431386
Sex Ratio : 922
Density : 857/ sq. km
Literacy : 61.16
Elevation / Altitude: 98 - 100 meters. Above Seal level
Current Time 10:41 AM
Date: Saturday , Sep 21,2019 (IST)
Time zone: IST (UTC+5:30)
District Pin code Index: 271XXX
Vehicle Registration Number: UP-43
RTO Office: Gonda
गोंडा जिले के बारे में
गोंडा जिला उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के 73 जिलों में से एक है। गोंडा जिला प्रशासनिक हेड क्वार्टर गोंडा है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर 123 KM पश्चिम में स्थित है। गोंडा जिले की जनसंख्या 3431386 है। यह जनसंख्या के हिसाब से राज्य का 26 वां सबसे बड़ा जिला है।
गोंडा जिले का डेमोग्राफिक्स
हिंदी यहां की स्थानीय भाषा है। साथ ही लोग उर्दू, अवधी बोलते हैं। गोंडा जिले को 17 ब्लॉक, पंचायत, 7223 गांवों में विभाजित किया गया है।
गोंडा में ब्लाकों की सूची
बभनजोत
बेलसर
छापिए
कर्नलगंज
गोंडा
हलधरमऊ
इतियथोक
 झंझरी
कटरा बाजार
मनकापुर
मुजेहना
नवाबगंज
पंडरी
कृपाल परसपुर
रुपईडीह
तरबगंज
वजीरगंज
यह भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख जिला गोंडा जिले का मुख्यालय है जो पूर्व में बस्ती, पश्चिम में बहराइच, उत्तर में बलरामपुर तथा दक्षिण में बाराबंकी और फैजाबाद से घिरा हुआ है। यहाँ की जिला जेल में काकोरी काण्ड के एक प्रमुख क्रान्तिकारी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को निर्धारित तिथि से दो दिन पूर्व १७ दिसम्बर १९२७ को बेरहम ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दी गयी थी।
नामकरण
मान्यता के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की गायें चरा करती थीं, जिस कारण इसका नाम गोनर्द पड़ा। कालान्तर में यही गोनर्द अपभ्रंश होकर गोण्डा बन गया।

भूगोल
गोण्डा २६° ४७ तथा २७° २० उत्तरी अक्षांश के मध्य एवं ८१° ३० तथा ८२° ४६ देशान्तर के मध्य में स्थित है। जनपद का कुल क्षेत्रफल 4003 वर्ग कि0मी0 है जो देवीपाटन मण्डल के कुल क्षेत्रफल का 28.13 प्रतिशत है। इस जनपद में 04 तहसीलें गोण्डा, मनकापुर, करनैलगंज एवं तरबगंज है। इन तहसीलों में तहसील गोण्डा का क्षेत्रफल 1249.48 वर्ग कि0मी0, तहसील मनकापुर का 763.70 वर्ग कि0मी0, तरबगंज का 963.31 वर्ग कि0मी0 व करनैलगंज का 1026.51 वर्ग कि0मी0 है। इस प्रकार जनपद गोण्डा के कुल क्षेत्रफल का 31.21 प्रतिशत तहसील गोण्डा, 19.07 प्रतिशत तहसील मनकापुर, 24.06 प्रतिशत तहसील तरबगंज व 25.64 प्रतिशत तहसील करनैलगंज का क्षेत्रफल है।

इतिहास
गोण्डा प्राचीन काल में कोशल महाजनपद का भाग था, मुगलों के शासन में यह फरवरी १८५६ तक अवध का हिस्सा था और मुगलों के आधीन था जिसे बाद में अंग्रेजों ने कब्ज़ा लिया।

ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में अयोध्या के राजा भगवान श्रीराम की गायें इस क्षेत्र में चरा करती थी, जिससे इस क्षेत्र का नाम गोनर्द पड़ा। यही कालान्तर में अपभ्रंश होकर गोण्डा कहलाया। आज भी बहुत से ग्रामीण गोण्डा को गोंड़ा कहते हैं। गोण्डा को महाभाष्यकार पतंजलि की जन्मभूमि भी माना जाता है। पतंजलि को गोनर्दीय पतंजलि  भी कहा जाता है। यहाँ स्थित सूकरखेत, जो सूकरक्षेत्र का ही अपभ्रंश है, तुलसीदास जी की जन्मस्थली माना जाता है। गोण्डां मुख्यालय से दक्षिण 37 कि. मी की दूरी पर पसका (सूूूकरखेत) मे प्रसिद्ध बाराह भगवान मन्दिर है।तथा यही पर तुुुलसीदास जी के गुुरू नरिहरदास जी का आश्रम भी यही है। गोंडा के बीचोंबीच राजा मोहल्ला में श्री कुलदीप श्रीवास्तव जी का निवास स्थान है।

जनसांख्यिकी
सन २००१ की जनगणना के अनुसार इस जिले की कुल जनसंख्या ३४,३१,३८६ थी जिसमें १७,८५,६२९ पुरुष एवं १६,४५,७५७ स्त्रियाँ थीं।

बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर - ये मंदिर गोंडा शहर से 17 किलोमीटर दूर स्थित है बाबा बालेश्वर नाथ बहुत ही प्राचीन मंदिर है यह गोंडा फैजाबाद रोड पर स्थित डुमरियाडीह बाजार से तरबगंज रोड पर बाल्हाराई ग्राम सभा में स्थित है मान्यता है कि यहाँ स्थित शिवलिंग श्वायाम्भू है औरंगजेब के शाशन काल में इस शिवलिंग पर आरे से प्रहार किया गया था ज़िसका चिन्ह आज भी विद्यमान है और यहीं पूरब में इमिलिया वरजोतपुरवा में वीर क्षत्रिय चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी के वंशज की २४ शाखाओं में से १८ वीं शाखा अवध के राजा श्री बच्छराज कुँवर जी के वंशज श्री कल्पनाथ चौहान के प्रपौत्र रामदुलारे चौहान s/o नागेश्वर चौहान जी की संताने निवास करती हैं व यहीं से कुछ दूर पहले ही ग्राम सभा जगदीश पुर कटरा में श्री राम चन्द्र पब्लिक स्कूल है जिसके प्रबंधक शिव गणेश तिवारी जी है इसी के बगल मरी माता का बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है

खैरा भवानी मंदिर बड़गांव गोण्डा
यातायात
गोण्डा रेलवे स्टेशन यातायात के लिये एक महत्वपूर्ण स्टेशन है। यहाँ से देश की सभी दिशाओं के लिये ट्रेन मिलती है, गोण्डा पूर्वोतर रेलवे का एक महत्वपूर्ण स्टेशन है जो लखनऊ और गोरखपुर के बीच में पड़ता है। याती सुविधा के मामले में गोण्डा रेलवे स्टेशन अव्वल है। गोण्डा प्रदेश की राजधानी लखनऊ, फैज़ाबाद, बलरामपुर एवं बहराईच से सडक मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुडा हुआ है। प्रदेश के अन्य बड़े शहरों जैसे इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, बरेली आदि तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को मोटर मार्ग द्वारा नियमित परिवहन बस सेवायें हैं।
गोंडा जिले में राजनीति
भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस गोंडा जिले के प्रमुख राजनीतिक दल हैं।
गोंडा जिले में विधानसभा क्षेत्र
गोंडा जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र।
वरुण विनय कुमार बीजेपी संपर्क नंबर: 9670086000
गोंडा प्रधान सिंह भाजपा संपर्क नंबर: 9415327999
कटरा बाजार बावन सिंह भाजपा संपर्क नंबर: 8765954996
कर्नलगंज अजय प्रताप सिंह भाजपा संपर्क नंबर: 919454451161
तरबगंज प्रेम नारायण पांडेय भाजपा संपर्क नंबर: 9721213939
गौरा प्रभात कुमार वर्मा भाजपा संपर्क नंबर: 9452736915
मानकपुर रमापति शास्त्री BJP संपर्क नंबर: 9415120668

गोंडा जिले में संसद क्षेत्र
गोंडा जिले में कुल 2 संसद क्षेत्र।
गोंडा KIRTI वरदान सिंह  भारतीय जनता पार्टी
कैसरगंज बृजभूषण शरण सिंह भारतीय जनता पार्टी

शहरों के पास
बलरामपुर 44 किलोमीटर
फैजाबाद 47 KM
रुदौली 51 KM
उटेरुला 55 KM

एयर पोर्ट्स के पास
अमौसी एयरपोर्ट 127 KM
गोरखपुर एयरपोर्ट 171 KM
कानपुर एयरपोर्ट 194 KM
बमरौली एयरपोर्ट 211 KM

जिले के पास
गोंडा 0 केएम
बलरामपुर 44 किलोमीटर
श्रावस्ती 48 किमी
फैजाबाद 48 KM

रेल्वे स्टेशन के पास
गोंडा कचहरी रेल मार्ग स्टेशन 3.2 KM
गोंडा जंक्शन रेल मार्ग स्टेशन 3.7 KM
गोंडा Mg रेल मार्ग स्टेशन 3.8 KM
कर्नलगंज रेल मार्ग स्टेशन 28 KM
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी : आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका ये भी मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। इस महान इन्सान को भारत ने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। उनका पूरा नाम था ‘मोहनदास करमचंद गांधी‘ – Mahatma Gandhi –
पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म – 2 अक्तुंबर १८६९
जन्मस्थान – पोरबंदर (गुजरात)
पिता – करमचंद
माता – पूतळाबाई
शिक्षा – १८८७ में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण। १८९१ में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर वो भारत लोटें।
विवाह – कस्तूरबा ( Mahatma Gandhi Wife Name – Kasturba Gandhi )
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर इस शहर गुजरात राज्य में हुआ था। गांधीजीने ने शुरवात में काठियावाड़ में शिक्षा ली बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह भारत में आकर अपनी वकालत की अभ्यास करने लगे। लेकिन सफल नहीं हुए। उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला।
वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए महात्मा गांधी को 10 जनवरी 1908 को उनके जीवन में पहली बार जेल हुई थी। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नक्सलवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
सी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला। वहा महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक रहे। वहा भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए कई बार जेल भी गए। अफ्रीका में उस समय बहुत ज्यादा नस्लवाद हो रहा था। उसके बारे में एक किस्सा भी है। जब गांधीजी अग्रेजों के स्पेशल कंपार्टमेंट में चढ़े उन्हें गांधीजी को बहुत बेईजत कर के ढकेल दिया।
वहा उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया। वे एक अमेरिकन लेखक हेनरी डेविड थोरो लेखो से और निबंधो से बेहद प्रभावित थे। आखिर उन्होंने अनेक विचारो ओर अनुभवों से सत्याग्रह का मार्ग चुना, जिस पर गांधीजी पूरी जिंदगी चले। पहले विश्वयुद्ध के बाद भारत में ‘होम रुल’ का अभियान तेज हो गया।
1919 में रौलेट एक्ट पास करके ब्रिटिश संसद ने भारतीय उपनिवेश के अधिकारियों को कुछ आपातकालींन अधिकार दिये तो गांधीजीने लाखो लोगो के साथ सत्याग्रह आंदोलन किया। उसी समय एक और चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह क्रांतिकारी देश की स्वतंत्रता के लिए हिंसक आंदोलन कर रहे थे। लेकीन गांधीजी का अपने पूर्ण विश्वास अहिंसा के मार्ग पर चलने पर था। और वो पूरी जिंदगी अहिंसा का संदेश देते रेहे।
महात्मा गांधीजी की जीवन कार्य
१८९३ में उन्हें दादा अब्दुला इनका व्यापार कंपनी का मुकदमा चलाने के लिये दक्षिण आफ्रिका को जाना पड़ा। जब दक्षिण आफ्रिका में थे तब उन्हें भी अन्याय-अत्याचारों का सामना करना पड़ा। उनका प्रतिकार करने के लिये भारतीय लोगोंका संघटित करके उन्होंने १८९४ में ‘नेशनल इंडियन कॉग्रेस की स्थापना की।
१९०६ में वहा के शासन के आदेश के अनुसार पहचान पत्र साथ में रखना सक्त किया था। इसके अलावा रंग भेद नीती के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश शासन विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।
१९१५ में Mahatma Gandhi – महात्मा गांधीजी भारत लौट आये और उन्होंने सबसे पहले साबरमती यहा सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की।
तथा १९१९ में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा’ आंदोलन में शुरु किया।
१९२० में असहयोग आंदोलन शुरु किया।
१९२० में लोकमान्य तिलक के मौत के बाद राष्ट्रिय सभा का नेवृत्त्व महात्मा गांधी के पास आया।
१९२० में के नागपूर के अधिवेशन में राष्ट्रिय सभा ने असहकार के देशव्यापी आंदोलन अनुमोदन देनेवाला संकल्प पारित किया। असहकार आंदोलन की सभी सूत्रे महात्मा गांधी पास दिये गये।
१९२४ में बेळगाव यहा राष्ट्रिय सभा के अधिवेशन का अध्यक्षपद।
१९३० में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुवा। नमक के उपर कर और नमक बनानेकी सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली।
१९३१ में राष्ट्रिय सभे के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे।
१९३२ में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की।
१९३३ में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया।
१९३४ में गांधीजीने वर्धा के पास ‘सेवाग्राम’ इस आश्रम की स्थापना की। हरिजन सेवा, ग्रामोद्योग, ग्रामसुधार, आदी विधायक कार्यक्रम करके उन्होंने प्रयास किया।
१९४२ में चले जाव आंदोलन शुरु उवा। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया।
व्दितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिये उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युध्द के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः १९४७ में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। गांधीजीने सदैव विभिन्न धर्मो के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया। १९४८ में
१९४८ में नाथूराम गोडसे ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था। वर्ष १९९९ में बी.बी.सी. व्दारा कराये गये सर्वेक्षण में गांधीजी को बीते मिलेनियम का सर्वश्रेष्ट पुरुष घोषित किया गया।
महात्मा गांधी विशेषता – भारत के राष्ट्रपिता, महात्मा
Mahatma Gandhi Death – मृत्यु – 30 जनवरी १९४८ में नथुराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या की।
मोहनदास करमचंद गांधी – Mahatma Gandhi भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से १९४७ में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले। विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश के महान क्रन्तिकारी महात्मा गांधी के बलिदान से युवा वर्ग राष्ट्र रक्षा का प्रण लें संस्था द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित कर सत सत नमन करते हैं , मेहनाज़ अंसारी
सूचनार्थ पत्र : NA